जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी का हर संभव प्रयास करने का यकीन दिलाया। उन्होंने कहा कि...
तुलमूला (जम्मू कश्मीर)। जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने रविवार को कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी का हर संभव प्रयास करने का यकीन दिलाया। उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों की घाटी में स्थाई वापसी के लिए उनके मन में विश्वास बिठाना जरूरी है और मौजूदा हालात ऐसे नहीं हैं कि वे अपने पैतृक स्थानों पर रह सकें।
महबूबा ने श्रीनगर से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित माता खीरभवानी मंदिर में दर्शन करने के बाद यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मैं कश्मीरी पंडितों से केवल यही अपील करंगी कि उन्हें हम पर भरोसा करना चाहिए और दुआ करनी चाहिए। हम यहां शांति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कश्मीरी पंडितों के बिना कश्मीर अधूरा है।’ उन्होंने कहा कि वे लोग अपने पैतृक स्थानों पर लौटें, उससे पहले उनके बीच विश्वास भरने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘उनके बीच विश्वास भरने के लिए पहले उन्हें ट्रांजिट शिविरों में लाया जाएगा, जहां हमारे मुस्लिम विस्थापित भी उनके साथ रहेंगे। उनका विश्वास मजबूत होने के बाद वे जहां चाहें, वहां रह सकते हैं। ट्रांजिट सुविधा सिर्फ पंडितों के लिए ही नहीं होगी बल्कि पलायन करने वाले मुस्लिमों व सिखों के लिए भी है।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात ऐसे नहीं है कि कश्मीरी पंडित अपने पैतृक स्थानों पर रह सकें। उन्होंने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले की कल रात की पथराव की घटना का जिक्र किया जहां एक पुलिस चौकी पर पत्थर फेंके गए। खीरभवानी मंदिर में उत्सव के लिए कश्मीरी पंडितों को लेकर जा रहा एक वाहन पथराव की चपेट में आ गया था।
मुफ्ती क्षीर भवानी मंदिर में आयोजित मेले में भाग लेने और देश-विदेश से आए पंडितों से मिलने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रही थीं। इस दौरान उन दो महिलाओं का हालचाल जाना जो बीती रात कुलगाम के वनपोह में शरारती तत्वों के पथराव में जख्मी हो गई थी।
मेले में कश्मीरी पंडितों की भारी संख्या में मौजूदगी पर प्रसन्नता जताते हुए महबूबा ने कहा कि यह एक अच्छा लक्षण है। यह मेला अब कश्मीरी पंडित व कश्मीरी मुस्लिमों के बीच संवाद और विश्वास बहाली का एक माध्यम बन चुका है। मेरा मानना है कि अगर विस्थापित पंडित ऐसे आयोजनों में लगातार हिस्सा लेंगे तो उनमें कश्मीर में लौटने के प्रति सुरक्षा और विश्वास की भावना बलबती होती जाएगी व एक दिन वह घरों में लौट आए होंगे।
कश्मीरी पंडितों ने मनाया वार्षिक खीरभवानी मेला
मंत्रोच्चार और मंदिर के घंटों की ध्वनि के बीच कश्मीर के गंदेरबल जिले में वार्षिक खीर भावनी मेले में राग्नया देवी के प्रसिद्ध मंदिर में हजारों कश्मीरी पंडितों ने पूजा-अर्चना की। खीर भवानी मेले का माहौल उत्साह एवं भाईचारे से भरपूर था। भव्य चिनार वृक्षों के बीच बसे माता खीर भवानी के मंदिरों में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा।
यह मेला सांप्रदायिक सद्भाव का प्रतीक बन चुका है क्योंकि स्थानीय मुस्लिम यहां श्रद्धालुओं के लिए फूलों एवं अन्य पूजा सामग्री सहित सभी प्रबंध करते हैं। इस मंदिर में नंगे पैर और गुलाब के फूल लेकर आने वाले श्रद्धालुओं में अधिकतर कश्मीरी पंडित हैं। श्रद्धालु इस अवसर पर परिसर में बने पवित्र झरने में दूध एवं खीर अर्पित करते हैं। ऐसा मानना है कि मंदिर के नीचे बहने वाले पवित्र झरने के रंग से घाटी की स्थिति का संकेत मिलता है।
अधिकतर रंगों का कोई विशेष महत्व नहीं होता किन्तु जल का रंग काला या गहरा होने पर कश्मीर के लिए अशुभ संकेत माना जाता है। बहरहाल, इस वर्ष झरने का जल शुद्ध एवं साफ है जिसके बारे में श्रद्धालुओं का मानना है कि यह घाटी के लिए एक शुभ संकेत है।
महबूबा के इस स्थान से जाने के बाद पंडितों के एक समूह ने नारे लगाते हुए धरना दिया। वे कल हुई पथराव की घटना के विरोध में सरकार एवं पुलिस के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे जिसमें एक श्रद्धालु घायल हो गया था। एक पोस्टर में कहा गया, ‘हमारा स्वागत कल पत्थरों से किया गया। क्या इसी तरह वह हमारी वापसी चाहते हैं।’
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