40 सालों से शांत बैठे एक वायरस ने फिर से सिर उठाना शुरू कर दिया है. यह वह वायरस है जिसने 90 के दशक में पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया था. नीदरलैंड में एक बार फिर ह्यूमन इम्यूनोडेफिशियेंसी वायरस (एचआईवी) का एक अत्यधिक विषाणुजनित स्ट्रेन मिला है. इसकी उत्पत्ति का पता अनुवांशिक अनुक्रम विश्लेषण यानी जेनेटिक सीक्वेंस के जरिए 1990 में लगाया गया था.
यह एचआईवी-1 समूह से ही संबंध रखता है जिसने 1981 में महामारी की शक्ल ली थी. यह वायरस पहली बार 1920 में बेल्जियन कोंगो के किन्हासा में मिला था. यह वायरस खून में मिलकर इंसानों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को खत्म कर देता है जिससे इंसान किसी भी तरह की बीमारी से लड़ने में सक्षम नहीं रह जाते हैं.
नीदरलैंड में बढ़ी चिंता
यूरोप द्वारा वित्तपोषित एक शोध समीति की चलाई जा रही परियोजना एचआईवी संक्रमित व्यक्ति पर अधिक गंभीर प्रभाव किन कारणों से पड़ता है, इस बात का पता लगाती है. हाल ही में इन्होंनें 17 लोगों में वायरस लोड को बढ़ा हुआ पाया. इनमें से 15 लोग नीदरलैंड और एक-एक बेल्जियम और स्विटजरलैंड से थे.
बाद में जब इस अध्ययन का विस्तार देकर इसमें 6706 लोगों को शामिल किया गया तो पाया गया कि इसमें से 92 लोग इस नए स्ट्रेन से संक्रमित हुए थे. उच्च वायरल लोड का मतलब है कि संक्रमित लोग ज्यादा लोगों को संक्रमित कर सकते हैं. वहीं CD4 की गणना से पता चलता है कि इम्यून सिस्टम कैसे प्रतिक्रिया देगा. अगर यह आंकड़ा कम होता है तो इसका मतलब यह है कि एड्स होने का खतरा ज्यादा है.
9 महीने के अंदर चरम पर पहुंच सकता है
साइंस जरनल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक सबटाइप-बी वैरियेंट को लेकर पता चला है कि 30-39 साल के पुरुषों में एचआईवी के बढ़ने की आशंका बहुत तेज है और महज 9 महीने के भीतर यह अपने चरम पर पहुंच सकता है. इस नए वैरियंट ने देश में चिंता बढ़ा दी है और अब यहां बीमारी पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है.
कोविड-19 की तरह ही एचआईवी भी एक राइबोन्यूक्लिक एसिड वायरस (आरएनए वायरस) होता है, इसलिए म्यूटेशन इनकी प्रकृति में होता है. हालांकि, ओमिक्रॉन के पांचवे वैरियंट के आने के बाद यह बात भी सामने आई है कि ज़रूरी नहीं है कि हर म्यूटेशन घातक ही साबित हो.
पहले से है चिंता का विषय
एचआईवी को पहले ही एक तेजी से म्यूटेशन करने वाले वायरस के तौर पर दर्ज किया जा चुका है. नेचर जरनल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक वायरस जीन की घातकता पॉजिटिव आए व्यक्ति दर व्यक्ति निर्भर करती है. दुनियाभर में करीब 3 करोड़ 77 लाख लोग ऐसे हैं जो एचआईवी के साथ जी रहे हैं. UNAIDS के मुताबिक बीते दस सालों में एचआईवी के मामले में 31 फीसदी गिरावट देखी गई है.
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Tags: HIV, New strain
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