जाग जाइए! जल संकट के चिंताजनक संकेतों को समझिए

'मिशन पानी' सीएनएन न्यूज 18 और हार्पिक इंडिया की पहल है, जो 'पानी की कमी और स्वच्छता' के मुद्दे पर काम कर रहा है.
'मिशन पानी' सीएनएन न्यूज 18 और हार्पिक इंडिया की पहल है, जो 'पानी की कमी और स्वच्छता' के मुद्दे पर काम कर रहा है. ताकि प्रत्येक भारतीय नागरिक की दोनों तक पहुंच सुनिश्चित हो सके. इस ऐतिहासिक परिवर्तन का हिस्सा बनें, और जल बचाने और स्वच्छता को बढ़ावा देने के लिए एक जल प्रतिज्ञा लें
- News18Hindi
- Last Updated: January 21, 2021, 11:40 PM IST
जल संकट के बारे में बताने के लिए कई तथ्य और आंकड़े हैं. यह एक ऐसी संभावना है जिसके होने के संकेत कई इकोलॉजिकल और सभ्यताओं के संकेतों से पहले ही मिल जाते हैं. ये परिवर्तन हम कई सालों में देख पाते हैं. कभी ये प्राकृतिक आपदा तो कभी मौसमी उतार-चढ़ाव के रूप सामने आते हैं. हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि खतरे की सूचना देने वाली घंटी के ये सारे संकेत तो घटते जल संसाधनों की बड़ी कहानी के छोटे किस्से हैं.
बहुत गंभीर बात है कि अब जल संकट, किसी छोटे हिस्से में नहीं है, और न ही ये बनाई गई किसी कमी के कारण है. जल संकट तो उन स्थानों पर भी हो रहा है, जहां पानी प्रचुर मात्रा में मौजूद है, लेकिन लोग उस तक पहुंच नहीं पाते हैं. पानी की सप्लाई के प्रबंधन और पोषण में पहल और निवेश की कमी है. इस कमी के कारण पानी की चोरी और प्रदूषण बढ़ता है जो परिस्थिति को और भयावह कर देता है.
जलवायु का चरमोत्कर्ष
मौसम के लिए जलवायु परिवर्तन को दोषी ठहराया जा सकता है. लेकिन यह एक बड़े इकोलॉजिकल असंतुलन का भी संकेत देता है. बाढ़ की सभी घटनाओं पर ध्यान देना होगा. बाढ़ के मैदानों के बड़े हिस्से पर कंक्रीट जमाने और बसाहटों के कारण पानी के लिए जगह नहीं बच रही. इससे पानी का प्राकृतिक चक्र बाधित होता है और क्षेत्र का प्राकृतिक भूजल का भंडार कम हो जाता है जिससे बारिश की कमी होने पर सूखे के हालात बनते हैं.विकल्पों की कमी
जलवायु जोखिम और जल असुरक्षा का संयोजन ही भारत की बड़ी जनसंख्या को गरीब बनाने का सबसे बड़ा कारक रहा है. लोगों को अपने दिन का बड़ा समय पानी की तलाश और उसके जमा करने में लगाना पड़ता है, इसके कारण उन्हें आर्थिक गतिविधियों का भी बलिदान देना पड़ता है. लिहाजा वे गरीब ही रह जाते हैं. यहां तक कि जब वे पानी को खोज लेते हैं तब भी उसकी खराब गुणवत्ता से बीमारी और कुपोषण की घटनाएं बढ़ती हैं. इसके कारण लोग और भी कमजोर हो जाते हैं और वे अपनी स्थिति से उबर नहीं पाते. उनका कमजोर स्वास्थ्य और खराब स्वच्छता के कारण उनके आसपास का पानी भी प्रदूषित होता है जिससे गरीबी का चक्र बढ़ जाता है.
भारत के लोगों और योजनाकारों के लिए यह समय चेतावनियों से भरे संकेतों को पहचानने का है. साथ ही सबसे कमजोर समुदायों के लिए स्वच्छता के प्रयास और जल संरक्षण के तंत्र को बनाने का है. इन लक्षणों को समझना और रेखांकित करना होगा, जो जल संकट को हल करने और जलसंकट से सबसे ज्यादा प्रभावितों के जीवन को बचाने की दिशा में एक फलदायी कदम होगा.
'मिशन पानी' सीएनएन न्यूज 18 और हार्पिक इंडिया की पहल है, जो 'पानी की कमी और स्वच्छता' के मुद्दे पर काम कर रहा है. ताकि प्रत्येक भारतीय नागरिक की दोनों तक पहुंच सुनिश्चित हो सके. इस ऐतिहासिक परिवर्तन का हिस्सा बनें, और जल बचाने और स्वच्छताको बढ़ावा देने के लिए एक जल प्रतिज्ञा लें
www.news18.com/mission-paani पर जाएं
बहुत गंभीर बात है कि अब जल संकट, किसी छोटे हिस्से में नहीं है, और न ही ये बनाई गई किसी कमी के कारण है. जल संकट तो उन स्थानों पर भी हो रहा है, जहां पानी प्रचुर मात्रा में मौजूद है, लेकिन लोग उस तक पहुंच नहीं पाते हैं. पानी की सप्लाई के प्रबंधन और पोषण में पहल और निवेश की कमी है. इस कमी के कारण पानी की चोरी और प्रदूषण बढ़ता है जो परिस्थिति को और भयावह कर देता है.
जलवायु का चरमोत्कर्ष
मौसम के लिए जलवायु परिवर्तन को दोषी ठहराया जा सकता है. लेकिन यह एक बड़े इकोलॉजिकल असंतुलन का भी संकेत देता है. बाढ़ की सभी घटनाओं पर ध्यान देना होगा. बाढ़ के मैदानों के बड़े हिस्से पर कंक्रीट जमाने और बसाहटों के कारण पानी के लिए जगह नहीं बच रही. इससे पानी का प्राकृतिक चक्र बाधित होता है और क्षेत्र का प्राकृतिक भूजल का भंडार कम हो जाता है जिससे बारिश की कमी होने पर सूखे के हालात बनते हैं.विकल्पों की कमी
जलवायु जोखिम और जल असुरक्षा का संयोजन ही भारत की बड़ी जनसंख्या को गरीब बनाने का सबसे बड़ा कारक रहा है. लोगों को अपने दिन का बड़ा समय पानी की तलाश और उसके जमा करने में लगाना पड़ता है, इसके कारण उन्हें आर्थिक गतिविधियों का भी बलिदान देना पड़ता है. लिहाजा वे गरीब ही रह जाते हैं. यहां तक कि जब वे पानी को खोज लेते हैं तब भी उसकी खराब गुणवत्ता से बीमारी और कुपोषण की घटनाएं बढ़ती हैं. इसके कारण लोग और भी कमजोर हो जाते हैं और वे अपनी स्थिति से उबर नहीं पाते. उनका कमजोर स्वास्थ्य और खराब स्वच्छता के कारण उनके आसपास का पानी भी प्रदूषित होता है जिससे गरीबी का चक्र बढ़ जाता है.
भारत के लोगों और योजनाकारों के लिए यह समय चेतावनियों से भरे संकेतों को पहचानने का है. साथ ही सबसे कमजोर समुदायों के लिए स्वच्छता के प्रयास और जल संरक्षण के तंत्र को बनाने का है. इन लक्षणों को समझना और रेखांकित करना होगा, जो जल संकट को हल करने और जलसंकट से सबसे ज्यादा प्रभावितों के जीवन को बचाने की दिशा में एक फलदायी कदम होगा.
'मिशन पानी' सीएनएन न्यूज 18 और हार्पिक इंडिया की पहल है, जो 'पानी की कमी और स्वच्छता' के मुद्दे पर काम कर रहा है. ताकि प्रत्येक भारतीय नागरिक की दोनों तक पहुंच सुनिश्चित हो सके. इस ऐतिहासिक परिवर्तन का हिस्सा बनें, और जल बचाने और स्वच्छताको बढ़ावा देने के लिए एक जल प्रतिज्ञा लें
www.news18.com/mission-paani पर जाएं