News18 Rising India: सोशल मीडिया के इस्तेमाल का कोई मॉडल नहीं हो सकता: प्रसून जोशी
क्या सोशल मीडिया का इस्तेमाल फेक न्यूज को बढ़ावे देने के लिए होता है
- News18India
- Last Updated: March 18, 2018, 8:37 PM IST
क्या भारत में सोशल मीडिया का इस्तेमाल ज़हर उगलने के लिए होता है. या एक ऐसा मंच है जहां पर फ्रिंज इलेमेंट की भरमार. केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) चीफ प्रसून जोशी और सुचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी के मुताबिक ऐसा नहीं है. नेटवर्क18 के कार्यक्रम राइज़िंग इंडिया के मंच पर सोशल मीडिया के इस्तेमाल के सवाल पर बेबाकी से जवाब दिया.
प्रसून जोशी का कहना है कि सोशल मीडिया हर आम और ख़ास को एक मंच देता है जहां वो अपनी बात रख सकते है. बकौल प्रसून जोशी हर किसी की ज़िंदगी में सुगबुगाहट होती है ज़हन में उतार चढ़ाव चलते रहते हैं . सोशल मीडिया के तौर पर एक ऐसा मंच जहां आप नज़रिया दुनिया के सामने रख सकते हैं.
क्या सोशल मीडिया का इस्तेमाल फेक न्यूज को बढ़ावे देने के लिए होता है
प्रसून जोशी की राय इस बारे में जुदा है. उनका कहना है कि सोशल मीडिया की वजह से समाज में हर तरह की आवाज़ आना शुरु हो गई है. जिसमें कुछ आवाजों में सच्चाई होती है कुछ आवाज़े नफरत और झूठ फैलाने के लिए होता है. लेकिन सोशल मीडिया ही ऐसी फेक न्यूज को भी एक्सपोज़ करता है.फ्रिंज एलिमेंट अर्थहीन शब्द है सोशल मीडिया के लिए
फ्रिंज एलिमेंट पर उनका कहना है कि कोई एक इंसान कैसे तय कौन सी आवाज़ फ्रिंज है कौन सी नहीं. सोशल मीडिया में ये शब्द बेमायने हो जाते हैं. कुछ लोगों के लिए हम लोगों की आवाज फ्रिंज हो सकती है. हम में से कोई ये तय नहीं कर सकता है कि क्या गलत है और क्या सही है.
वहीं केंद्रीय सुचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने का कहना है कि सोशल मीडिया ने मंच का एकाधिकार खत्म किया है. पहले कुछ लोगो को लगता था कि सिर्फ उन्हें ही बोलने का अधिकार है. अब उन लोगो को लगता है कि ये कैसे सवाल पूछने की 'हिमाकत' कर सकता है. सोशल मीडिया की यही खूबी उन लोगो को अखड़ती है. देखें वीडियो.
प्रसून जोशी का कहना है कि सोशल मीडिया हर आम और ख़ास को एक मंच देता है जहां वो अपनी बात रख सकते है. बकौल प्रसून जोशी हर किसी की ज़िंदगी में सुगबुगाहट होती है ज़हन में उतार चढ़ाव चलते रहते हैं . सोशल मीडिया के तौर पर एक ऐसा मंच जहां आप नज़रिया दुनिया के सामने रख सकते हैं.
क्या सोशल मीडिया का इस्तेमाल फेक न्यूज को बढ़ावे देने के लिए होता है
प्रसून जोशी की राय इस बारे में जुदा है. उनका कहना है कि सोशल मीडिया की वजह से समाज में हर तरह की आवाज़ आना शुरु हो गई है. जिसमें कुछ आवाजों में सच्चाई होती है कुछ आवाज़े नफरत और झूठ फैलाने के लिए होता है. लेकिन सोशल मीडिया ही ऐसी फेक न्यूज को भी एक्सपोज़ करता है.फ्रिंज एलिमेंट अर्थहीन शब्द है सोशल मीडिया के लिए
फ्रिंज एलिमेंट पर उनका कहना है कि कोई एक इंसान कैसे तय कौन सी आवाज़ फ्रिंज है कौन सी नहीं. सोशल मीडिया में ये शब्द बेमायने हो जाते हैं. कुछ लोगों के लिए हम लोगों की आवाज फ्रिंज हो सकती है. हम में से कोई ये तय नहीं कर सकता है कि क्या गलत है और क्या सही है.
वहीं केंद्रीय सुचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने का कहना है कि सोशल मीडिया ने मंच का एकाधिकार खत्म किया है. पहले कुछ लोगो को लगता था कि सिर्फ उन्हें ही बोलने का अधिकार है. अब उन लोगो को लगता है कि ये कैसे सवाल पूछने की 'हिमाकत' कर सकता है. सोशल मीडिया की यही खूबी उन लोगो को अखड़ती है. देखें वीडियो.