नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने उत्तर प्रदेश और बिहार की सरकारों को निर्देश दिया है कि कोविड-19 महामारी (Covid19 Pandemic) शुरू होने से पहले से लेकर इस साल 31 मार्च तक दोनों राज्यों में गंगा नदी में तैरते दिखे मानव शवों और नदी किनारे दफनाये शवों की संख्या के बारे में जानकारी दी जाए.
न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ अफरोज अहमद की पीठ ने उत्तर प्रदेश और बिहार की सरकारों के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) और अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) को इस विषय पर तथ्यात्मक सत्यापन रिपोर्ट जमा करने को कहा.
पीठ ने कहा, “उत्तर प्रदेश और बिहार राज्यों में साल 2018 और 2019 में कोविड-19 की शुरुआत से पहले और 2020, 2021 में कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद तथा इस साल 31 मार्च तक गंगा नदी में कितने मानव शव तैरते देखे गये और कितने नदी किनारे दफनाये गये.”
उसने कहा, “कितने मामलों में उत्तर प्रदेश और बिहार की सरकारों ने शवों के दाह संस्कार या दफनाने के लिए वित्तीय सहायता दी? गंगा नदी में शवों को प्रवाहित करने या नदी के किनारे शवों को दफनाने से रोकने के लिए जन जागरुकता लाने तथा जन भागीदारी बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं?”
एनजीटी पत्रकार संजय शर्मा की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिन्होंने कोरोना वायरस से प्रभावित मानव शवों के निस्तारण के लिए उचित प्रोटोकॉल के पालन का निर्देश जारी करने का अनुरोध किया.
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