नई दिल्ली. गलवान घाटी (Galwan velly ) पर चीन के प्रोपेगेंडा वीडियो (Chinease Propaganda video) मामले में किसी भी तरह के हस्तक्षेप (intervention ) या इसे बैन (Ban) करने की कोई जरूरत नहीं है. भारत सरकार के उच्च पदस्थ सूत्र (Govt Official) ने न्यूज 18 डॉट कॉम के साथ बातचीत में यह बात कही है. उन्होंने कहा है कि यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि गलवान घाटी पर चीनी दावे से संबंधित जो वीडियो दिखाया जा रहा है वह वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC ) पर चीन की तरफ का है. इसलिए इसपर कोई स्पष्टीकरण देने की जरूरत नहीं है. यह वीडियो विवादित जगह का नहीं है. गौरतलब है कि नए साल के पहले दिन चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स (Global Times) ने एक वीडियो जारी किया था जिसमें चीनी सैनिक चीन का राष्ट्रगान गा रहे थे और दावा किया गया था कि जिस गलवान घाटी के लिए भारत-चीन के बीच हिंसक झड़प हुई थी वह हिस्सा अब चीन का है.
भारत सरकार के संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सूत्रों ने (source in the ministry of electronics and information technology -MeiTY )बताया कि यह बात पूरी तरह साफ है कि वीडियो को घाटी में चीन की तरफ से शूट किया गया था. इसलिए इस पर किसी भी तरह की कार्रवाई की जरूरत नहीं है.
विपक्षी दल स्पष्टीकरण की मांग कर रहे हैं
इस वीडियो को ग्लोबल टाइम्स ने 1 जनवरी को ट्वीट किया था. हालांकि चीन की तरफ से इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. विश्लेषकों का कहना है कि एक आम आदमी के लिए यह वीडियो गलवान घाटी के विवादित क्षेत्रों में शूट किया गया प्रतीत हो सकता है लेकिन यह वीडियो चीन की तरफ का है. दिलचस्प बात यह है कि जिस दिन ग्लोबल टाइम्स ने इस वीडियो को जारी किया उसी दिन भारतीय और चीनी सेनाओं ने LAC के कई स्थानों पर एक-दूसरों के साथ गिफ्ट्स का आदान-प्रदान भी किया था. इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दल सरकार पर हमलावर हैं. विपक्षी दलों ने सरकार से इस मामले में स्पष्टीकरण की मांग की है.
गृह मंत्रालय की सिफारिश से हो सकता है बैन
डिजिटल मीडिया इथिक्स कोड 2021 (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules, 2021. के मुताबिक संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय किसी विवादित वीडियो कंटेंट को तब हटा सकता है जब गृह मंत्रालय या कानूनी एंजेसियां इस संबंध में सिफारिश करेगी. हालांकि ऐसा तब भी किया जा सकता है जब कोई कंटेंट देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ हो या राज्य की सुरक्षा को खतरे में डालती है या मित्र देशों के साथ दोस्ताना संबंधों के लिए हानिकारक हो.
इसके
अलावा हिंसा को भड़काने या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ने की संभावना वाले कंटेंट को भी इंटरनेट पर बैन किया जाता है. गौरतलब है कि पिछले साल इस नियम को लागू किया गया. नियम के अनुसार कोई कंटेंट प्रतिबंधित है या नहीं, इसके निर्णय का अधिकार सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव को दे दिया गया है. इससे पहले किसी विवादित कंटेंट को 2009 के नियम के तहत बैन किया जाता था.
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