सरकार का जवाब: MSP सहित नए मुद्दे उठाना उचित नहीं, फिर भी किसानों से हर मसले पर बात करने को तैयार

बुधवार को ही किसानों ने सरकार के पिछले न्योते को ठुकरा दिया था.
सरकार ने गुरुवार को एक और चिट्ठी लिखकर किसानों से बातचीत के लिए दिन और समय तय करने की अपील की. चिट्ठी में लिखा है कि किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए सरकार गंभीर है. साथ ही सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़ी कोई भी नई मांग जो नए कृषि कानूनों के दायरे से बाहर है, उसे बातचीत में शामिल करना तर्कसंगत नहीं होगा.
- News18Hindi
- Last Updated: December 25, 2020, 8:48 AM IST
Farmers Protest: मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों (New Agriculture Laws) के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन (Kisan Andolan) का आज 30वां दिन है. सरकार ने गुरुवार को एक और चिट्ठी लिखकर किसानों से बातचीत के लिए दिन और समय तय करने की अपील की. चिट्ठी में लिखा है कि किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए सरकार गंभीर है. साथ ही सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़ी कोई भी नई मांग जो नए कृषि कानूनों के दायरे से बाहर है, उसे बातचीत में शामिल करना तर्कसंगत नहीं होगा. बुधवार को ही किसानों ने सरकार के पिछले न्योते को ठुकरा दिया था. उन्होंने कहा था कि सरकार के प्रस्ताव में दम नहीं, नया एजेंडा लाएं तभी बात होगी.
चिट्ठी में लिखा गया है कि सरकार किसानों के हर मुद्दे का तर्कपूर्ण समाधान के अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है. नए कृषि कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और सरकार इसके लिए लिखित आश्वासन देने को भी तैयार है. इसके अलावा विद्युत संशोधन अधिनियम और पराली से संबंधित अध्यादेश पर भी सरकार बात करने को तैयार है.
सुशासन दिवस: अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर किसानों के बीच बड़ी पहुंचे बनाने की कोशिश में बीजेपी
3 दिसंबर से हुई थी वार्ता की शुरुआतचिट्ठी में ये भी लिखा गया है कि जब इन मुद्दों को लेकर 3 दिसंबर से वार्ता की शुरुआत हुई थी, तब कभी भी 'आवश्यक वस्तु अधिनियम' को मुद्दा नहीं बनाया गया था और ना ही इसमें संशोधन की मांग की गई थी. 20 दिसंबर को किसान संगठनों द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई कि सरकार ने अपने लिखित प्रस्तावों में इसे क्यों नहीं शामिल किया गया। हालांकि यह उचित व तर्कसंगत नहीं है कि कोई नई मांग (पराली, विद्युत संशोधन आदि), जो कि कृषि कानूनों से परे हैं, उन पर वार्ता किया जाए, लेकिन अगर किसान संगठन चाहते हैं तो सरकार खुले मन से इन सभी मुद्दों पर बात करने को तैयार है.
सरकार खुले दिल से हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार
भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय विभाग के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार खुले दिल से हर मुद्दे पर वार्ता करने को तैयार है, इसलिए किसानों को भी वार्ता के लिए एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए. उन्होंने आगे लिखा, 'आगे लिखा है कि किसानों को भी खुले मन से आगे आते हुए इस किसान आंदोलन को समाप्त करते हुए वार्ता के लिए आना चाहिए. किसान अपनी सुविधा अनुसार समय और तारीख तय कर लें, उनके तय समयानुसार ही विज्ञान भवन पर हर मुद्दे पर बात होगी.'
तोमर ने भी लिखी थी चिट्ठी
इससे पहले 17 दिसंबर को कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों के नाम एक खुली चिट्ठी लिखी थी. इसमें तोमर ने कहा था कि ये कानून किसानों के हित में नए अध्याय की नींव बनेंगे, देश के किसानों को और स्वतंत्र करेंगे, सशक्त करेंगे. पीएम मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से तोमर की चिट्ठी ट्वीट की थी और सभी से इसे पढ़ने की अपील भी की थी. जिसके जवाब में 20 दिसंबर को किसान संगठनों ने 20 पन्ने की एक खुली चिट्ठी लिखी थी और कहा था कि सरकार किसानों की मांगों को पूरी करने के प्रति गंभीर नहीं है, उल्टे सरकार के जिम्मेदार लोगों की तरफ से आंदोलन पर अलगाववादी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं.

अब तक कब-कब हुई बातचीत?
सबसे पहले अक्टूबर में पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं के साथ 14 अक्टूबर को कृषि सचिव से वार्ता हुई थी. इसके बाद 13 नवंबर को यहां विज्ञान-भवन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ उनकी वार्ता हुई, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलमंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य व उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश मौजूद थे.
आज 9 करोड़ खातों में ट्रांसफर होंगे PM-Kisan के 2,000 रुपये, पीएम करेंगे 6 राज्यों के किसानों से बात
सरकार के साथ तीसरे, चौथे और पांचवें दौर की वार्ताएं क्रमश: एक दिसंबर, तीन दिसंबर और पांच दिसंबर को विज्ञान भवन में ही हुईं, जिनमें तीनों मंत्री मौजूद थे. इसके बाद आठ दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक के बाद सरकार की ओर से किसान संगठनों के नेताओं को कानूनों में संशोधन समेत अन्य मसलों को लेकर सरकार की ओर से एक प्रस्ताव नौ दिसंबर को भेजा गया, जिसे उन्होंने नकार दिया दिया था.
चिट्ठी में लिखा गया है कि सरकार किसानों के हर मुद्दे का तर्कपूर्ण समाधान के अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है. नए कृषि कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और सरकार इसके लिए लिखित आश्वासन देने को भी तैयार है. इसके अलावा विद्युत संशोधन अधिनियम और पराली से संबंधित अध्यादेश पर भी सरकार बात करने को तैयार है.
सुशासन दिवस: अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर किसानों के बीच बड़ी पहुंचे बनाने की कोशिश में बीजेपी
3 दिसंबर से हुई थी वार्ता की शुरुआतचिट्ठी में ये भी लिखा गया है कि जब इन मुद्दों को लेकर 3 दिसंबर से वार्ता की शुरुआत हुई थी, तब कभी भी 'आवश्यक वस्तु अधिनियम' को मुद्दा नहीं बनाया गया था और ना ही इसमें संशोधन की मांग की गई थी. 20 दिसंबर को किसान संगठनों द्वारा आपत्ति दर्ज कराई गई कि सरकार ने अपने लिखित प्रस्तावों में इसे क्यों नहीं शामिल किया गया। हालांकि यह उचित व तर्कसंगत नहीं है कि कोई नई मांग (पराली, विद्युत संशोधन आदि), जो कि कृषि कानूनों से परे हैं, उन पर वार्ता किया जाए, लेकिन अगर किसान संगठन चाहते हैं तो सरकार खुले मन से इन सभी मुद्दों पर बात करने को तैयार है.
सरकार खुले दिल से हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार
भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय विभाग के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार खुले दिल से हर मुद्दे पर वार्ता करने को तैयार है, इसलिए किसानों को भी वार्ता के लिए एक कदम आगे बढ़ाना चाहिए. उन्होंने आगे लिखा, 'आगे लिखा है कि किसानों को भी खुले मन से आगे आते हुए इस किसान आंदोलन को समाप्त करते हुए वार्ता के लिए आना चाहिए. किसान अपनी सुविधा अनुसार समय और तारीख तय कर लें, उनके तय समयानुसार ही विज्ञान भवन पर हर मुद्दे पर बात होगी.'
तोमर ने भी लिखी थी चिट्ठी
इससे पहले 17 दिसंबर को कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने किसानों के नाम एक खुली चिट्ठी लिखी थी. इसमें तोमर ने कहा था कि ये कानून किसानों के हित में नए अध्याय की नींव बनेंगे, देश के किसानों को और स्वतंत्र करेंगे, सशक्त करेंगे. पीएम मोदी ने अपने ट्विटर हैंडल से तोमर की चिट्ठी ट्वीट की थी और सभी से इसे पढ़ने की अपील भी की थी. जिसके जवाब में 20 दिसंबर को किसान संगठनों ने 20 पन्ने की एक खुली चिट्ठी लिखी थी और कहा था कि सरकार किसानों की मांगों को पूरी करने के प्रति गंभीर नहीं है, उल्टे सरकार के जिम्मेदार लोगों की तरफ से आंदोलन पर अलगाववादी होने के आरोप लगाए जा रहे हैं.
अब तक कब-कब हुई बातचीत?
सबसे पहले अक्टूबर में पंजाब के किसान संगठनों के नेताओं के साथ 14 अक्टूबर को कृषि सचिव से वार्ता हुई थी. इसके बाद 13 नवंबर को यहां विज्ञान-भवन में केंद्रीय मंत्रियों के साथ उनकी वार्ता हुई, जिसमें केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलमंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य व उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश मौजूद थे.
आज 9 करोड़ खातों में ट्रांसफर होंगे PM-Kisan के 2,000 रुपये, पीएम करेंगे 6 राज्यों के किसानों से बात
सरकार के साथ तीसरे, चौथे और पांचवें दौर की वार्ताएं क्रमश: एक दिसंबर, तीन दिसंबर और पांच दिसंबर को विज्ञान भवन में ही हुईं, जिनमें तीनों मंत्री मौजूद थे. इसके बाद आठ दिसंबर को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ हुई बैठक के बाद सरकार की ओर से किसान संगठनों के नेताओं को कानूनों में संशोधन समेत अन्य मसलों को लेकर सरकार की ओर से एक प्रस्ताव नौ दिसंबर को भेजा गया, जिसे उन्होंने नकार दिया दिया था.