रिपोर्ट: प्रांजुल सिंह
‘चारों तरफ से घिरी हुई, मुश्किल थी राहों में, मंजिल भी दूर और सांसों में भी थकान कम ना थी, लेकिन पंखों में अब भी जान थी, क्योंकि आंखों में हौसलों की उड़ान जो थी.’ यह बात चंडीगढ़ की रहने वाली 96 साल की हरभजन कौर पर बिल्कुल फिट बैठती है. लोग उन्हें प्यार से ‘नानी’ कहते हैं और उनके हाथ की बनी बर्फी और अचार के फैन देश ही नहीं दुनियाभर में हैं. इसकी वजह से ‘नानी’ अब ‘ग्लोबल नानी’ बन गई हैं.
न्यूज 18 से बात करते हुए वह कहती हैं, “स्वाद का ये सफर 6 साल पहले शुरू हुआ. बेटी से जिंदगी के ऊपर बात करते हुए मैंने कहा था कि बस एक मलाल है कि अपनी पूरी जिंदगी दूसरे के सहारे काटी है. कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाई. अपने से पैसे नहीं कमा पायी. इस पर बेटी रवीना सूरी ने बर्फ़ी और अचार बेचने का सुझाव दिया.” यह सुझाव उन्हें ठीक लगा. वह 5 किग्रा बेसन की बर्फी और 10 बोतल टमाटर की चटनी बनाकर सुखना लेक के पास वाली मंडी पर बेचने चली गईं. वह कहती हैं, कुछ ही घंटों में उनका सारा सामान बिक गया.
3000 रुपये हुई थी पहली कमाई
उनकी नातिन मल्लिका सूरी कहती हैं, “उस दिन नानी की खुशी का ठिकाना नहीं था. वह अपने जीवन की पहली कमाई से काफी खुश थीं. 3000 रुपये की उनकी आमदनी हुई और इसे उन्होंने अपनी बेटियों में बांट दिया. इससे वह प्रोत्साहित भी हुईं और इसके बाद वह बर्फी और अचार बनाने लगीं. घर के लोगों ने भी उनका साथ देना शुरू कर दिया. वह कई प्रदर्शनियों में जाने लगीं और बर्फी-अचार का अपना स्टॉल लगाने लगीं. इससे उन्हें लोगों के बीच पहचान भी मिली. इसके बाद हम लोगों ने ऑनलाइन भी बेचने का प्लान किया.”
टैग लाइन रखी, ‘बचपन की यादें’
मल्लिका कहती हैं, “घर पर सब पहले से ही नानी के हाथ की बनी डिश के दीवाने थे. अब बाहर के भी लोग इसे पसंद करने लगे. हम लोग तो बचपन से बाहर का कुछ खाते ही नहीं थे. नानी सब कुछ घर पर ही बनाती थीं. अचार से लेकर बर्फी और जैम से लेकर स्क्वैश तक वह घर पर ही बनाती थीं. ऐसे में जब हम लोगों ने ऑनलाइन बेचने का प्लान किया तो उसकी टैग लाइन ‘बचपन की यादें’ रखा.”
मल्लिका कहती हैं, “शुरू के कुछ साल तक तो बहुत कम ऑर्डर आते थे. इस बीच मेरी शादी पड़ी. इस पर उन्होंने एक अलग प्लान बनाया. 350 लोगों को शादी के कार्ड के साथ अपने हाथों से बनाकर आधा किलो बर्फी, एक बोतल जैम और एक शीशी अचार लोगों को भेज दिए. इसे जिन-जिन लोगों ने खाया, सब फैन हो गए और इसके बाद लगातार ऑर्डर आने लगे.”
आनंद महिंद्रा का भी योगदान
हरभजन कौर के इस सफ़र में देश के जाने- माने उद्योगपति आनंद महिंद्रा का भी योगदान रहा है. आनंद महिंद्रा ने हरभजन कौर का एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया. यह वीडियो कुछ ही घंटों में वायरल हो गया. इसके बाद देशभर में उनकी चर्चा होने लगी. लोग ऑर्डर करने लगे और बिजनेस ने रफ्तार पकड़ ली. इसके बाद पंजाब के कई मंत्रियों ने भी हरभजन कौर की सराहना करते हुए ट्वीट्स किए, जिसमें राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरसिमरत कौर बादल भी शामिल हैं.
जिंदादिली से दी कोरोना को भी मात
मल्लिका बताती हैं, “नानी को खाना बनाने का इतना शौक है कि जब कोरोना के दौरान ऑर्डर्स मिलने बंद हो गए तो उस दौरान भी वह घरवालों के लिए कुछ न कुछ बनाती ही रहती थीं. पूरे लॉकडाउन में जो भी बनातीं हम उसके रील्स और रेसपी इंस्टाग्राम पर शेयर करते थे. लोग उनकी रेसपी फॉलो करते और कमेंट भी करते थे. हालांकि, दुर्भाग्यवश कोरोना की दूसरी लहर के दौरान उन्हें भी कोविड हो गया था. हमारे परिवार के लिए काफ़ी मुश्किल दौर था, उनकी हालत नाज़ुक थी और हम सब बहुत डर हुए थे. रिकवरी में वक़्त लगा लेकिन उन्होंने अपनी जिंदादिली से कोरोना को भी मात दे दी.”
दो महिलाएं करती हैं मदद
वह कहती हैं, “अब सारा प्रोडक्शन मोहाली में मेरे भाई के ‘क्लाउड किचन’ में होता है. अब हमें ज़्यादा ऑर्डर मिलने लगे हैं. नानी से इतना सारा खाना एक बार में बनाया नहीं जाता. क्लाउड किचन में अभी 2 महिलाएं सब कुछ बनाती हैं. उन्हें नानी ट्रेनिंग देती रहती हैं. क्वालिटी कंट्रोल अभी भी नानी के पास ही है. हर बैच बनकर पहले उनके पास चखने के लिए जाता है, जब वह संतुष्ट होती हैं तभी डिलीवर किया जाता है.”
मल्लिका के मुताबिक़, “पहले सारे ऑर्डर्स DTDC के माध्यम से भेजे जाते थे. लेकिन अब वो लोग amazon कारीगर पर लिस्टेड हैं, जिससे डिलीवरी काफ़ी आसान हो गई है. इसके अलावा shopmate पर उनकी खुद की वेबसाइट भी है और चंडीगढ़ के ‘दास्तान’ नामक रेस्टोरेंट में भी उनकी बनाई चीजें उपलब्ध हैं.”
धर्मा प्रोडक्शन से मिला था ऑर्डर
वह आगे बताती हैं, “जब नानी को धर्मा प्रोडक्शन से 10 बॉक्स का ऑर्डर मिला था तो उनकी खुशी देखने लायक थी. उसके बाद उन्हें नीतू सिंह और अनिल कपूर के परिवार से भी ऑर्डर्स मिले थे. ये तो उनके लिए बहुत बड़ी बात थी, मगर वो छोटी-छोटी चीज़ों से भी बहुत खुश हो जाती हैं. एक बार की बात है, एक ब्रांड ने उन्हें फुट मसाजर भेजा था. उस दिन भी वह बहुत खुश हुई थीं. ये सब चीज़ें उनके लिए बहुत मायने रखती हैं. इसलिए हम लोग उन्हें ‘ग्लोबल नानी’ भी बुलाते हैं.”
भविष्य की योजना
भविष्य की योजना के बारे में पूछने पर वह बताती हैं, “इस स्टार्टअप का उद्देश्य कभी भी मुनाफ़ा कमाना नहीं था. यह बस हरभजन कौर जी का शौक था. वह बस लोगों को घर का बनाकर खाना खिलाना चाहती हैं और इससे उनको खुशी मिलती है. हम लोग ये कोशिश करेंगे कि इसको कभी बंद ना होने दें और उनकी विरासत के रूप में हम इसे आगे बढ़ा पाएं. हमारी कोशिश यही रहेगी कि हम ज़्यादा से ज़्यादा महिलाओं को मौका दे पाएं. जो भी महिला काम करना चाहती हैं और आत्म-निर्भर बनना चाहती हैं हम उन्हें मौका दें. क्योंकि हरभजन जी के लिए इस स्टार्टअप का मकसद ही था आत्म निर्भर बनना. तो हम बस इसे आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे.” मल्लिका के मुताबिक, “आने वाले दिनों में हाथ की बनी चीज़ों की कीमत और बढ़ेगी क्योंकि अब लोगों को घरों में हाथ से चीजें बनाने का वक़्त नहीं मिलता है.”
‘उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए’
हरभजन कौर का मानना है कि कभी भी इतनी देर नहीं होती कि फिर से शुरुआत नहीं की जा सके. अगर वह 90 की उम्र में कर सकती हैं तो कोई भी कर सकता है. एक बार बनाओ बिगड़ जाएगा, दूसरी बार फिर बनाओ शायद फिर बिगड़ जाए, मगर तीसरी बार में तो बन ही जाएगा. बस कभी हार नहीं माननी चाहिए और उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए.
दूसरी तरफ हरभजन कौर कहती हैं, “अखबार-टीवी में मेरी स्टोरी छपती है तो अच्छा लगता है. सब मुझे बहुत प्यार देते हैं. बचपन में पिता हम लोगों की पसंद की डिश बनाया करते थे. मुझे उन्होंने ही सिखाया. वह जब भी अपनी बहनों की ससुराल जाते थे तो अपने हाथ से ये सब बनाकर उनके घर ले जाते थे. ये देखकर हम लोगों को बहुत अच्छा लगता था. जब मेरी शादी हुई तो मैं अपने ससुराल में बनाती थी तो लोग बहुत पसंद करते थे. कुछ चीजें मैंने अपनी मां से भी सीखी हैं.”
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