भारत में पहली बार मिला दुनिया के सबसे पुराने जानवर का जीवाश्म, भीमबेटका के पास था मौजूद

शोधकर्ताओं को मिला जीवाश्म. (प्रतीकात्मक फोटो)
इस सबसे पुराने जानवर का नाम डिकिनसोनिया है. शोधकर्ताओं के अनुसार खोजा गया यह जीवाश्म 57 करोड़ साल पहले का हो सकता है. ऐसा भारत में पहली बार हुआ है.
- News18Hindi
- Last Updated: February 10, 2021, 10:47 AM IST
नई दिल्ली/भोपाल. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भोपाल से 40 किलोमीटर दूर स्थित यूनेस्को (Unesco) के संरक्षित क्षेत्र भीमबेटका (Bhimbetka) में शोधकर्ताओं को बेशकीमती 'खजाना' हाथ लगा है. इन शोधकर्ताओं का दावा है कि उन्होंने वहां दुनिया के सबसे पुराने जानवर का जीवाश्म खोजा है. इस सबसे पुराने जानवर का नाम डिकिनसोनिया है. शोधकर्ताओं के अनुसार खोजा गया यह जीवाश्म 57 करोड़ साल पहले का हो सकता है. ऐसा भारत में पहली बार हुआ है.
शोधकर्ताओं की इस खोज को अंतरराष्ट्रीय पत्रिका गोंडवाना रिसर्च में फरवरी के अंक में प्रकाशित किया गया है. डिकिनसोनिया के जीवाश्म का अध्ययन करके अभी तक जानकारी सामने आई है कि यह चार फीट तक बढ़ सकते थे. लेकिन जो जीवाश्म भीमबेटका में मिला है, वो 17 इंच लंबा है.
भीमबेटका में डिकिनसोनिया के जीवाश्म का मिलना भी किसी संयोग से कम नहीं है. दरअसल इसके लिए कोई भी शोध नहीं किया गया था. बल्कि मार्च 2020 में होने वाली 36वीं इंटरनेशनल जियोलॉजिकल कांग्रेस के पहले जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के दो शोधकर्ता भीमबेटका के टूर पर गए थे. वह सामान्य तौर पर बस वहां साइटसीइंग कर रहे थे. तभी उनकी नजर पत्तीनुमा आकृतियों पर पड़ी थी. यह जमीन से 11 फीट की ऊंचाई पर चट्टान के ऊपर था.
गोंडवाना रिसर्च में प्रकाशित शोध का शीर्षक 'डिकिनसोनिया डिस्कवर्ड इन इंडिया एंड लेट एडिकैरन बायोजियोग्राफी' है. इसमें लिखा है कि भोपाल के पास भीमबेटका की चट्टानों पर मौजूद ऑडिटोरियम केव की छत पर यह जीवाश्म पाया गया है. यह यूनेस्को द्वारा संरक्षित क्षेत्र है. यह जीवाश्म पूरी तरह से दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में पाए गए डिकिनसोनिया टेनियस से मिलता जुलता है.
भीमबेटका की इस जगह को 64 साल पहले खोजा गया था. तबसे यहां वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का आना जाना लगा रहा. लेकिन यह जगह अब भी अछूती ही रही.
शोधकर्ताओं की इस खोज को अंतरराष्ट्रीय पत्रिका गोंडवाना रिसर्च में फरवरी के अंक में प्रकाशित किया गया है. डिकिनसोनिया के जीवाश्म का अध्ययन करके अभी तक जानकारी सामने आई है कि यह चार फीट तक बढ़ सकते थे. लेकिन जो जीवाश्म भीमबेटका में मिला है, वो 17 इंच लंबा है.
भीमबेटका में डिकिनसोनिया के जीवाश्म का मिलना भी किसी संयोग से कम नहीं है. दरअसल इसके लिए कोई भी शोध नहीं किया गया था. बल्कि मार्च 2020 में होने वाली 36वीं इंटरनेशनल जियोलॉजिकल कांग्रेस के पहले जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के दो शोधकर्ता भीमबेटका के टूर पर गए थे. वह सामान्य तौर पर बस वहां साइटसीइंग कर रहे थे. तभी उनकी नजर पत्तीनुमा आकृतियों पर पड़ी थी. यह जमीन से 11 फीट की ऊंचाई पर चट्टान के ऊपर था.
गोंडवाना रिसर्च में प्रकाशित शोध का शीर्षक 'डिकिनसोनिया डिस्कवर्ड इन इंडिया एंड लेट एडिकैरन बायोजियोग्राफी' है. इसमें लिखा है कि भोपाल के पास भीमबेटका की चट्टानों पर मौजूद ऑडिटोरियम केव की छत पर यह जीवाश्म पाया गया है. यह यूनेस्को द्वारा संरक्षित क्षेत्र है. यह जीवाश्म पूरी तरह से दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया में पाए गए डिकिनसोनिया टेनियस से मिलता जुलता है.
भीमबेटका की इस जगह को 64 साल पहले खोजा गया था. तबसे यहां वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं का आना जाना लगा रहा. लेकिन यह जगह अब भी अछूती ही रही.