असम: एक साल से जहां की तहां रुकी हुई है NRC के रिवैरिफिकेशन की प्रक्रिया

एनआरसी की फाइनल लिस्ट बीते साल 31 अगस्त को आई थी जिसमें 19 लाख लोग बाहरी करार दे दिए गए थे. (फाइल फोटो)
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) का कहना है कि केंद्र सरकार (Central Government) इस प्रक्रिया को पूरा ही नहीं होने देना चाहती है. संगठन के जनरल सेक्रेटरी लुरिनज्योति गोगोई ने कहा है कि केंद्र सरकार ने एक साल से एनआरसी को लेकर कोई काम नहीं किया है.
- News18Hindi
- Last Updated: August 30, 2020, 8:11 PM IST
नई दिल्ली. तकरीबन एक साल पहले असम (Assam) में एनआरसी (NRC) को लेकर कोहराम मचा हुआ था. राज्य से इसका विरोध पूरे देश में फैला और फिर लॉकडाउन के दौरान भी दिल्ली का शाहीनबाग (Shaheen Bagh) पूरे देश में चर्चा का केंद्र बना रहा. लेकिन अब असम में एनआरसी को लेकर कोई हो-हल्ला नहीं है. न्यू इंडियन एक्सप्रेस पर प्रकाशित एक रिपोर्ट कहती है कि अब ये मुद्दा राज्य में नेपथ्य में चला गया है. इसके रिवैरिफिकेशन की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित है.
बीते साल अगस्त में आई थी फाइनल लिस्ट
दरअसल एनआरसी की आखिरी लिस्ट बीते साल 31 अगस्त को आई थी. इस लिस्ट में 19 लाख लोगों को बाहरी बता दिया गया था. तब इसे लेकर काफी बवाल मचा था. नियम ये है कि जो भी व्यक्ति इस लिस्ट से बाहर किया जाए वो 120 दिनों के भीतर फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के पास चैलेंज कर सकता है. असम ने तब एक 100 ट्रिब्यूनल बनाए थे. बाद में सरकार ने 200 अतिरिक्त ट्रिब्यूनल बनाए. इनमें रिटायर्ड जज और अधिकारियों को जिम्मेदारियां दी गई थीं.
नहीं हो रही कोई कार्रवाईलेकिन अभी तक इसकी कार्रवाई में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है. एनआसी के स्टेट कोऑर्डिनेटर हितेश देव शर्मा के मुताबिक अधिकारी इस वक्त कोविड-19 महामारी की रोकथाम के काम में लगे हुए हैं.
केंद्र सरकार पर लग रहे हैं आरोप
अब ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) का कहना है कि केंद्र सरकार इस प्रक्रिया को पूरा ही नहीं होने देना चाहती है. संगठन के जनरल सेक्रेटरी लुरिनज्योति गोगोई ने कहा है कि केंद्र सरकार ने एक साल से एनआरसी को लेकर कोई काम नहीं किया है. इस मामले पर केंद्र सरकार की असंवेदनशीलता सबके सामने है.
क्या कहते हैं एनजीओ
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी की राजनीति वोटों के इर्दगिर्द घूमती है और संभव है कि आगामी विधानसभा चुनाव तक भी प्रक्रिया पूरी न की जाए. वहीं एनआरसी के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने वाले एनजीओ असम पब्लिक वर्क्स ने दोबारा से पूरी प्रक्रिया करवाए जाने की मांग की है.
बीते साल अगस्त में आई थी फाइनल लिस्ट
दरअसल एनआरसी की आखिरी लिस्ट बीते साल 31 अगस्त को आई थी. इस लिस्ट में 19 लाख लोगों को बाहरी बता दिया गया था. तब इसे लेकर काफी बवाल मचा था. नियम ये है कि जो भी व्यक्ति इस लिस्ट से बाहर किया जाए वो 120 दिनों के भीतर फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के पास चैलेंज कर सकता है. असम ने तब एक 100 ट्रिब्यूनल बनाए थे. बाद में सरकार ने 200 अतिरिक्त ट्रिब्यूनल बनाए. इनमें रिटायर्ड जज और अधिकारियों को जिम्मेदारियां दी गई थीं.
नहीं हो रही कोई कार्रवाईलेकिन अभी तक इसकी कार्रवाई में कोई खास इजाफा नहीं हुआ है. एनआसी के स्टेट कोऑर्डिनेटर हितेश देव शर्मा के मुताबिक अधिकारी इस वक्त कोविड-19 महामारी की रोकथाम के काम में लगे हुए हैं.
केंद्र सरकार पर लग रहे हैं आरोप
अब ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) का कहना है कि केंद्र सरकार इस प्रक्रिया को पूरा ही नहीं होने देना चाहती है. संगठन के जनरल सेक्रेटरी लुरिनज्योति गोगोई ने कहा है कि केंद्र सरकार ने एक साल से एनआरसी को लेकर कोई काम नहीं किया है. इस मामले पर केंद्र सरकार की असंवेदनशीलता सबके सामने है.
क्या कहते हैं एनजीओ
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी की राजनीति वोटों के इर्दगिर्द घूमती है और संभव है कि आगामी विधानसभा चुनाव तक भी प्रक्रिया पूरी न की जाए. वहीं एनआरसी के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने वाले एनजीओ असम पब्लिक वर्क्स ने दोबारा से पूरी प्रक्रिया करवाए जाने की मांग की है.