प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.(फाइल फोटो)
केंद्र सरकार ( Central Government) ने मई 2020 में कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान रेहड़ी पटरी वालों को आर्थिक सहायता देने के लिए पीएम स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत पहली बार में ₹10000 फिर दूसरी किस्त में ₹20000 और तीसरी किस्त में ₹50000 कर्ज के तौर पर दिया जाता है. पहली किस्त चुकाने के बाद सरकार दूसरी किस्त जारी करती है और दूसरी किस्त चुकाने के बाद रेहड़ी पटरी वालों को तीसरी किस्त मिलती है. केंद्र सरकार ने इस योजना को दिसंबर 2024 तक बढ़ाने का फैसला लिया है. इस योजना के जरिये रेहड़ी-पटरी वालों को बिना किसी जमानत के सस्ता ऋण दिया जा रहा है. इस योजना में ऋण देने के लिये 5,000 करोड़ रुपये की रकम रखी गई है.
मंत्रिमंडल की आज की मंजूरी से ऋण की कुल राशि बढ़कर 8,100 करोड़ रुपये हो गई है जिसके परिणामस्वरूप रेहड़ी-पटरी वालों को कार्यशील पूंजी मिलेगी, ताकि वे अपने व्यापार को बढ़ा सकें और उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकेगा. पीएम-स्वनिधि के अंतर्गत, महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की जा चुकी हैं। 25 अप्रैल, 2022 तक 31.9 लाख ऋणों को मंजूरी दी गई. इसके अलावा 29.6 लाख ऋणों के हिसाब से 2,931 करोड़ रुपये जारी किये गये. जहां तक द्वितीय ऋण का प्रश्न है, तो उसके मद्देनजर 2.3 लाख ऋणों को मंजूरी दी गई और 1.9 लाख ऋणों के हिसाब से 385 करोड़ रुपये जारी किये गये. लाभार्थी रेहड़ी-पटरी वालों ने 13.5 करोड़ से अधिक का डिजिटल लेन-देन किया और उन्हें 10 करोड़ रुपये का कैश-बैक भी मिला. सब्सिडी ब्याज के रूप में 51 करोड़ रुपये की रकम का भुगतान किया गया.
यह है जानकारों की राय
आर्थिक जानकार डी के मिश्रा का मानना है कि इस तरह के जो लोन होते हैं वह सामान्यतया पॉपुलिस्ट लोन होते हैं. लेकिन इस लोन में रेहड़ी पटरी वालों को गारंटी के तौर पर कुछ नहीं देना होता है बल्कि बैंक को सरकार अपनी गारंटी देती है. डी के मिश्रा यह भी मानते है कि जिस तरह से सरकार ने अन्न योजनाओं को अभी बढ़ाया है उसी तरह से कोरोना के बाद जो स्थिति बनी है उसमें अभी रेहड़ी पटरी वालों को और की मदद करने की जरूरत है. इसलिए सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है. डीके मिश्रा का यह भी मानना है कि अर्थव्यवस्था में प्रतिशत के हिसाब से रेहड़ी पटरी वालो का हिस्सा काफी कम है लेकिन इस तरह के लोन से रेहड़ी पटरी वालों को काफी फायदा होता है जो संख्या के हिसाब से काफी अधिक है. वे यह भी मानते है कि अगर कोई इस तरह के लोन का समझदारी से फायदा उठाए तो वह अपने रोजगार का काफी विस्तार कर सकता है. इस संदर्भ में डी के मिश्रा इसे रोजगार बढ़ाने वाला भी मानते हैं. उनका कहना है कि इस तरह के लोन से सरकार कई व्यक्तियों को स्वरोजगार दे सकती है और उन्हें आत्मनिर्भर भी बना सकती है.
वही व्यापारी संगठन से जुड़े प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि वे इस फैसले का स्वागत करते हैं. उनका कहना है कि इससे निचले तबके के लोगों को काफी फायदा होगा. लेकिन इसके साथ ही साथ वे रेहड़ी पटरी के हॉकिंग जोन और नॉन हॉकिंग ज़ोन बनाने की भी वकालत करते हैं. प्रवीण खंडेलवाल डिजिटल पेमेंट के माध्यम से लोन के भुगतान करने वालों को इंसेंटिव दिए जाने का स्वागत करते हैं उनका कहना है कि इससे अर्थव्यवस्था को फॉर्मल स्वरूप में और अधिक लाया जा सकेगा. साथ ही साथ खंडेलवाल की मांग है कि जो व्यापारी जितना अधिक डिजिटल पेमेंट के माध्यम से लेनदेन करते हैं उन्हें भी इस तरह की इंसेंटिव के अंतर्गत लाया जाए ताकि उन्हें भी प्रोत्साहन मिले.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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Tags: Corona Pandemic, Modi government
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