तंगहाल पाकिस्तान में हालात बदतर होते जा रहे हैं. (सांकेतिक फोटो- ANI)
आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान (Pakistan) में पेट्रोल लगभग 300 रूपये प्रति लीटर पहुँच गया है. आज भारत का एक रुपया पाकिस्तान के 3 रूपये से भी ज्यादा मूल्य का है तो बांग्लादेश का एक टका भी पाकिस्तान के ढाई रूपये से ज्यादा है. बीते 50 सालों में पाकिस्तान की जनता आज सबसे ज्यादा महंगाई का सामना कर रही है. आखिर पाकिस्तान कैसे इतना बदहाल हो गया कि लोग आटे के लिए सरकारी ट्रकों के पीछे दौड़ रहे हैं.
पाकिस्तान में एक किलो आटा लगभग 200 रुपए प्रति किलो मिल रहा है. इस्लामाबाद हो या पेशावर या खैबर पखतूनख्वां या फिर कराची हर जगह खाने के सामान की कीमत आसमान छू रही है. जबकि 2021 में गेंहूं की रेकॉर्ड फसल हुई थी. 28.75 मिलियन टन गेहूं पैदा करने के बावजूद आज पाकिस्तान आटे के लिए तरस रहा है तो इसके पीछे पाकिस्तान के नेताओं का विज़न ज़िम्मेदार है. चावल की कीमत 270 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है. प्याज लगभग 300 रूपये प्रति किलो मिल रहा है. भारी कर्ज, घटता मुद्रा भंडार, वैश्विक महंगाई, महंगा ईधन, राजनीतिक अस्थिरता ने पकिस्तान को कंगाली के मुहाने पर पहुंचा दिया है. इस बर्बादी की नींव 1970 में पड़ गयी थी जब पाकिस्तान के सातवें प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने परमाणु बम के एवज में पाकिस्तान घास तक खायेगा का बयान दिया था. भुट्टो ने कहा था, ‘पाकिस्तानी घास खाएंगे, भूखे रहेंगे लेकिन परमाणु बम जरूर हासिल करके रहेंगे.’ आज भुट्टो की बात सच साबित होती नजर आने लगी है. देश के पास परमाणु हथियार हैं लेकिन रोटी के लिए एक दूसरे का खून कर रहे हैं.
धार्मिक कट्टरता को बनाया राष्ट्रनीति
आज़ादी के बाद से ही भारत में चाहें किसी भी पार्टी की सरकार रही हो, मूलमंत्र हमेशा आम जनता का उत्थान ही रहा है लेकिन मज़हब की बुनियाद पर बना पाकिस्तान हमेशा से सिर्फ धार्मिक कट्टरता में ही फंसा रहा. वैसे तो पाकिस्तान बनने के बाद से ही मुल्ला मौलवी बिरादरी पाकिस्तान को अपने कब्जे में लेना चाहती थी लेकिन 80 के दशक में ये उन्माद जनरल जिया उल हक की वजह से और बढ़ना शुरू हुआ. जिया ने पाकिस्तान की हर व्यवस्था चाहें वो पुलिस हो या शिक्षा, विदेश नीति हो या अर्थनीति सबको इस्लामिक रंग देना शुरु किया. अदालतें शरिया कानून से चलने लगीं . जिया के समय में सामान्य स्कूली शिक्षा से ज्यादा जरूरी मदरसा और दीनी तालीम हो गयी जिसके परिणाम आज पाकिस्तान के सामने है. दो दिन पहले एक सभा में बोलते हुए पाकिस्तान के पूर्व सांसद मुस्तफा नवाज खोखर ने कहा कि “हम राजनैतिक और नैतिक रूप से दिवालिया हो गए हैं. आज भी लोगों को वह सच नहीं बताया जा रहा है जिसकी देश को जरूरत है.” खोखर इसी सच की ओर इशारा कर रहे थे जो वर्तमान में पाकिस्तान की नसों में समा चुका है. जिया उल हक ने पाकिस्तान में मज़हबी कट्टरता की ऐसी आग लगाईं कि इस्लाम में भी कई फाड़ कर दिए. सबसे पहले उसने अहमदिया को गैर मुस्लिम घोषित किया और उसके ही दौर में शिया समुदाय को ‘वाजिब-उल-कत्ल’ ठहरा दिया गया. आज अहमदिया समुदाय का क्या हाल पाकिस्तान में है ये किसी से नहीं छिपा. जिया के कारण आज पाकिस्तान में आज शिया और सुन्नी एक दुसरे के खिलाफ बन्दूक उठाये खड़े हैं
आतंकवाद
2011 में एबटाबाद में लादेन के मारे जाने के बाद से पूरी दुनिया में किसी को भी अब शक नहीं रहा कि धार्मिक कट्टरता से उपजे आतंकवाद को अब पाकिस्तान से अलग करना नामुमकिन हो गया है. पाकिस्तान ने हमेशा कहा कि लादेन उसके यहां नहीं है. अमेरिका भी पूरी दुनिया में उसे खोजता रहा, लेकिन बाद में पता चला कि खुद को अमेरिका का दोस्त बताने वाले पाकिस्तान ने ही उसे पनाह दी हुई थी. दुनिया की सबसे खतरनाक आतंकी तंजीमें जैसे तहरीक ए तालिबान, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हरकतुल मुजाहिद्दीन, लश्कर-ए-ओमर, सिपाह-ए-सहाबा, हिज़्बुल मुजाहिदीन सभी पाकिस्तान में फल फूल रहे हैं . अफगानिस्तान हो या भारत या ईरान, पाकिस्तान के पाले पोसे आतंकवाद से सभी परेशान हैं. लेकिन इस आतंकवाद ने सबसे ज्यादा नुकसान पाकिस्तान का ही किया है. इस चक्कर में पाकिस्तान को ना तो कभी कोई बड़ा विदेशी निवेश मिला और ना ही वो खुद का कोई बड़ा उद्योग लगा सका. 2017 में संयुक्त राष्ट्र में बोलते हुए तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि “भारत और पाकिस्तान एक साथ आज़ाद हुए, ‘हमने वैज्ञानिक, विद्वान, डॉक्टर, इंजीनियर पैदा किए और आपने क्या पैदा किया? आपने आतंकवादियों को पैदा किया, आतंकी शिविर बनाए हैं, आपने लश्कर-ए-तैयबा , जैश-ए-मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन और हक्कानी नेटवर्क पैदा किया है.’
संसाधनों का गलत बँटवारा
कराची में बाढ़ को रोकने में मदद करने के लिए विश्व बैंक के 100 मिलियन अमरीकी डालर के धन का केवल तीन प्रतिशत शहर को बाढ़-प्रूफ करने के लिए इस्तेमाल किया गया था. ये हाल तब है जब कराची लाहौर के बाद सबसे शक्तिशाली महानगर हैं. दरअसल आजादी के बाद से पाकिस्तान में पंजाबीयत हावी रही है. सेना में भी ज़्यादातर हिस्सेदारी पंजाबियों की ही है. पाकिस्तान से टूटकर बांग्लादेश बना ही इसलिए था क्योंकि कमाता पूर्वी पाकिस्तान था लेकिन उस कमाई का बड़ा हिस्सा पश्चिमी पाकिस्तान अपनी जेब में रखता था. पूर्वी पाकिस्तान में असंतोष इतना बढ़ा की पूरा का पूरा राज्य टूट कर आज बांग्लादेश बन गया और उसका हाल पाकिस्तान से बहुत बेहतर है. लेकिन ऐसा भी नहीं था कि बांग्लादेश के कमाये पैसे पूरे पश्चिमी पाकिस्तान में लग रहे थे बल्कि ये सिर्फ पंजाब और कराची में ही खप जाते थे. आज भी संसाधनों के मामलें में पाकिस्तान का सबसे सक्षम प्रांत बलूचिस्तान बदहाल है और वहां का भी शोषण पंजाबी पाकिस्तानी जम कर कर रहे हैं. सिंध समेत पाकिस्तान की सीमा से लगे किसी भी क्षेत्र में कोई विकास नहीं हुआ और लोगों में असंतोष चरम पर है.
भारत से दुश्मनी
जन्म के समय से पाकिस्तान भारत से दुश्मनी निभाने में अपनी ऊर्जा का सबसे बड़ा हिस्सा खर्च करता रहा है. पाकिस्तान ने भारत में ना केवल कश्मीर बल्कि इससे पहले पंजाब में गुमराह युवाओं को खालिस्तान बनाने के लिए उन्हें हथियार समेत हर सुविधा मुहैया करवाया. आज भी देश के कई हिस्सों में पाकिस्तान अपने आतंकी या आतंकी मदद भेजकर हमला करने की फिराक में रहता है. कुख्यात आईएसआई के चीफ रहे हामिद गुल ने “एंटी इंडिया मुहीम” को बाकायदा स्टेट पोलिसी के तौर पर बढ़ाया और जिहाद को अपना हथियार बनाया. बेरोजगार युवकों को फौज ने पैसे का लालच देखकर अफगानिस्तान और भारत के खिलाफ आतंक के रास्ते पर ढकेल दिया. गुल के पाले मुल्ला मौलवियों नौजवानों को समझाते थे कि भारत में आतंकी हमले अगर होते रहेंगे तो पाकिस्तान अपने आप भारत से ऊपर हो जायेगा. जिया उल हक और हामिद गुल ने पाकिस्तान का एक ही मकसद बना दिया – “भारत की बर्बादी”, लेकिन बर्बाद पाकिस्तान हुआ. आज पाकिस्तान के जनजीवन और अर्थव्यवस्था का हाल पूरी दुनिया के सामने है. आज पाकिस्तान अपनी आय से भी ज्यादा पैसा कर्जों का ब्याज देने और रक्षा क्षेत्र पर खर्च कर रहा है. पाकिस्तान वित्त मंत्रालय के मुताबिक मुल्क ने सेना के पेंशन और अन्य खर्चों को छोड़कर 517 अरब रुपये केवल रक्षा पर खर्च किए हैं. इसकी वजह से उसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे शिक्षा स्वास्थय आदि के बजट में भारी कटौती करनी पड़ रही है.
दुनिया की बड़ी ताकतों के हाथ का खिलौना
आज़ादी के समय दुनिया में दो बड़ी ताकते संयुक्त सोवियत संघ और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका थी. ये दोनों ताकते दुनिया के तमाम देशों को अपने अपने खेमे में शामिल करने के लिए प्रलोभन देती थी. भारत ने गुट निरपेक्ष रहने का विकल्प चुना लेकिन फंड के लालच में पाकिस्तान अमेरिका से जा मिला. अमेरिका को भी एशिया में सामरिक सहयोगी चाहिए थे ताकि रूस को इस तरफ से घेरा जा सके. पाकिस्तान की लालची फितरत को भांपते हुए अमेरिका ने पाकिस्तान को भर भर के पैसे और हथियार देने शुरू किए. और इस तरह ईस्ट इण्डिया कंपनी और फिर ब्रिटेन के हाथों से आज़ाद हुआ पाकिस्तान कुछ ही सालों के भीतर नैतिक आर्थिक और सामरिक नज़रिए से अमेरिका का गुलाम बन गया. अमेरिका ने पाकिस्तान को कई सालों तक पाला पोसा लेकिन फिर भारत के बढ़ते कद को देख कर अमेरिका भारत की ओर झुकने लगा. आज अमेरिका और भारत दोस्त हैं और ये रिश्ता बराबरी का है, ना कि वैसा जैसे अमेरिका और पाकिस्तान का था. कंगाल पाकिस्तान अब चीन का भी गुलाम बन चुका है. आर्थिक निवेश के बहाने चीन ने पाकिस्तान के संसधानों पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया है. कोविड काल में पाकिस्तान रूस से भी नज़दीकी बढाने की नाकामयाब कोशिश कर चुका है. ख़ास बात ये है कि दुनिया के किसी भी देश से पाकिस्तान के सम्बन्ध मित्रता के नहीं बल्कि याचक के ही होते हैं और इसीलिए वो महाशक्तियों के हाथ का खिलौना बना रहता है.
सर्वशक्तिमान सेना
अमेरिका जब पाकिस्तान को पैसे दे रहा था तो दरअसल वो आम जनता के विकास के लिए नहीं थे. अमेरिका पाकिस्तान की फौज को अपने कब्ज़े में करना चाह रहा था और इसीलिए उसने रक्षा क्षेत्र में ही सबसे ज्यादा खैरात बांटी. कुछ पैसे नेताओं और नौकरशाहों के रिश्वत के लिए भी थे ताकि वो अमेरिका की राह में रोड़े ना खड़ा करें. अमेरिका से मिली खैरात के चलते पाकिस्तान आर्मी फलने फूलने लगी और सारी संस्थाओं में उसकी अहमियत सबसे ज्यादा बन गयी. अमेरिका भी यही चाहता था कि वो जिनको पैसे खिला रहा है वही लोग सत्ता में रहें. इस तरह पाकिस्तान में सेना सरकार से ऊपर हो गयी और जब भी कोई नेता बड़ा बनने की कोशिश करता उसे सत्ता और मुल्क से बेदखल कर दिया गया. सत्ता में सेना आ तो गयी लेकिन उसे देश चलाने का तरीका नहीं आता था. इसीलिए ना तो कोई मज़बूत आर्थिक नीति बन पायी और ना ही देश अपने पैरों पर किसी भी क्षेत्र में खड़ा हो पाया. सेना ने अपने व्यापार शुरू कर दिए और देश की सारी ताकत सिमट गयी.
अक्टूबर 2011 में पाकिस्तान गई अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने कहा था कि “अगर आप अपने घर में सांप पालेंगे तो आप उनसे सिर्फ पड़ोसी को काटने की उम्मीद नहीं कर सकते. उन्हें पालने वालों को भी वो काट लेता है.” इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान को अच्छी बातें समझ में नहीं आती हैं.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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