पिछले हफ्ते विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जारी किए गए कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के दौरान भारत में हुई मौतों के आंकड़ों ने भारत सरकार के तेवर तल्ख कर दिए. भारत ने इन आंकड़ों को सिरे से खारिज करते हुए साफ कह दिया कि वो इनकी गणना पर लगातार सवाल उठाता रहा, लेकिन उसकी आपत्तियों के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे लागू करने की जल्दी दिखाता रहा था. हालांकि भारत द्वारा इन आंकड़ों पर उठाए गए सवालों पर अब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन सही जवाब नहीं दे पाया है.
भारत की नाराजगी
दरअसल भारत सरकार की भृकुटी तब तनी जब नवंबर 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इन आंकड़ों को जारी करने की अपनी मंशा जाहिर की. भारत सरकार की चिंता इस बात को लेकर थी कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो चुकी थीं और ऐसे में 45 लाख से ज्यादा लोगों की मौत के आंकड़ों के कारण सिर्फ देश में ही नहीं पूरी दुनिया मे भारत की साख गिरती और देश बदनाम होता. लेकिन तभी स्वास्थ्य मंत्रालय हरकत में आया. 17 नवंबर 2021 को भारत ने WHO को पहली चिट्ठी लिखी और उनकी गणना के तरीके पर सवाल उठाए. इस खत की तारीख ही साबित करती है कि कितने संवेदनशील समय में भारत को नीचा दिखाने की साजिश रची गयी थी. सरकार जानती थी कि पीएम मोदी के नेतृत्व में कोरोना काल के दौरान अपना टीका बना कर, दुनिया भऱ के देशों की मदद कर भारत एक मजबूत ताकत के रूप में उभरा है. इसलिए इस डेटा को खारिज करना जरूरी था.
नौवीं चिठ्ठी 2 मई को भेजी गयी
सतर्क स्वास्थ्य मंत्रालय ने 17 नवंबर 2021 से लेकर 2 मई 2022 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन को कुल 9 चिट्ठियां लिखीं. दूसरी चिट्ठी 20 दिसंबर 2021, तीसरी 28 दिसंबर 2021, चौथी 28 दिसंबर 2021, पांचवीं 11 जनवरी 2022, छठी 12 फरवरी 2022, सातवीं 2 मार्च 2022, आठवीं 14 मार्च और नौवीं चिठ्ठी 2 मई को भेजी गयी. इसके अलावा भारत के अधिकारियों और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच 5 वर्चुअल बैठकें भी हुईं जिसमें पहली 16 दिसंबर 2021 और पांचवीं 25 फरवरी 2022 को हुई. जहां भारत ने हर बार विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों को गलत ठहराया, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने आंकड़े जारी कर ही दिए.
विश्व स्वास्थ्य संगठन कैसे बनाता है अपने आंकड़े
दरअसल. विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनिया को दो भागों में बांट कर आंकड़ों की गणना करता है. टीयर-1 देशों में जर्मनी, फ्रांस, इटली और अमेरिका जैसे विकसित देश आते हैं जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में फैली महामारी से हुई मौतों से कोई तुलना नहीं मानते. जबकि टीयर-2 देशों में भारत को रखा गया जिसमें जन्म और मृत्यु की गणना नहीं होती. वन साइज फिट्स ऑल वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन की ये कोशिश भारत स्वीकार करने को तैयार नहीं था. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के 17 राज्यों से डेटा लिए थे जिसमें राज्यों के पोर्टल, पत्रकारों द्वारा दाखिल की गयी आरटीआई तक को आधार बनाया गया था. जबकि केंद्र सरकार से इन आंकड़ों के लिए कोई संपर्क तक नहीं साधा गया.
भारत द्वारा जतायी गयीं आपत्तियां
भारत ने इस ग्रुप में शामिल करने पर आपत्ति जतायी और साफ कह दिया कि 130 करोड़ लोगों के देश में विश्व स्वास्थ्य संगठन का ये मॉडल लागू नहीं होता. क्योंकि महामारी का भारत जैसे देश में अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग असर हुआ था. खास बात ये है कि भारत के पास जन्म और मौत के रजिस्ट्रेशन का एक मजबूत अपना सिस्टम है. भारत में जन्म और मौत का पंजीकरण अनिवार्य है वो भी अंग्रेजों के जमाने से. भारत में रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के पास जन्म और मृत्यु की गणना के लिए बहुंत बड़ा तंत्र है इसलिए आंकड़ों में हेर फेर होना असंभव है.
दुनिया भर में मौतों के आंकड़ों के तथ्यों के परे
भारत ने 3 मई को ही साल 2020 के लिए हर कारण से हुई मौतों के रजिस्ट्रार जनरल के आंकड़ों को विश्व स्वास्थ्य संगठन के पास भेज दिया था. भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को कहा था कि अब अनुमानित आंकड़ों को जारी करने के बजाए वो इन आंकड़ों का इस्तेमाल करे. भारत ने टीयर-1 में आने वाले विकसित देशों की मृत्यु संबंधित अधिकारिक रिपोर्टों में गड़बड़ियों के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन को बताया. इन बड़े देशों के आंकड़े महामारी से हुई दुनिया भर में मौतों के आंकड़ों के तथ्यों के परे नजर आ रहे थे.
WHO ने एक नहीं मानी
लेकिन भारत को अब तक विश्व स्वास्थ्य संगठन से कोई संतुष्ट कर देने वाला जवाब नहीं मिला है. भारत ने अनुमानित मौतों के बारे में अपनी गणना के मॉडल को अमीर देशों पर लागू करने को कहा तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि उन्होंने ऐसे आंकड़े टीयर-1 देशों से जमा ही नहीं किए हैं. इसलिए भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर सीधा आरोप लगाया कि वो भारत पर ऐसा मॉडल लागू कर रहे हैं जो रियल लाइफ डेटा पर आधारित नहीं है.
भारत का WHO को करारा जवाब
पिछले हफ्ते गुजरात के केवडिया में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भऱ के स्वास्थ्य मंत्रियों का एक सम्मेलन आयोजित किया था. इसमें वो सभी 17 राज्य भी शामिल थे जिनके पोर्टल से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मृत्यु के आंकड़े उठाए थे. बैठक में उन सभी 17 राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों ने अपने राज्यों से संबंधित WHO के मौत के आंकड़ों को खारिज कर दिया. सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर देश भऱ के स्वास्थ्य मंत्रियों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की पूरी रिपोर्ट को खारिज कर दिया. अब केद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय आने वाले दिनों में सर्वसम्मति से पास किया गया प्रस्ताव WHO को भेज कर बताएगा कि राज्यों के गलत आंकड़ों पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है जिसे उन्हीं राज्यों ने खारिज कर दिया है.
जाहिर है सतर्क स्वास्थ्य मंत्रालय ने न सिर्फ यूपी चुनावों से पहले WHO को रिपोर्ट जारी करने से रोक दिया बल्कि अब तो सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव भी है जिसमें पूरा देश रिपोर्ट के खिलाफ एकमत नजर आ रहा है. कोरोना के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में और मजबूत होते भारत ने उसे बदनाम करने की एक और साजिश का अंत कर दिया है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi किसी भी तरह से उत्तरदायी नहीं है)
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