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Opinion: घर बैठे सरकार ने दिया रोजगार, फिर टेंशन की क्या है बात?

रोजगार के मामले में ना सिर्फ युवाओं को बल्कि रोजगार देने वाली कंपनियों को भी यूपी भा रहा है। यहां पहले रोजगार देने वाली कंपनियों की बात कर लेते हैं.  (फाइल फोटो)

रोजगार के मामले में ना सिर्फ युवाओं को बल्कि रोजगार देने वाली कंपनियों को भी यूपी भा रहा है। यहां पहले रोजगार देने वाली कंपनियों की बात कर लेते हैं. (फाइल फोटो)

रोजगार के मामले में ना सिर्फ युवाओं को बल्कि रोजगार देने वाली कंपनियों को भी यूपी भा रहा है. यहां पहले रोजगार देने वाली ...अधिक पढ़ें

वाराणसी के राजातालाब इलाके के रहने वाले प्रवीण कुमार को 4.32 लाख रुपये के पैकेज की नौकरी, 8 युवाओं को विदेश में नौकरी का ऑफर और 4 दिव्यांगों को एजुकेशन ट्रस्ट में काम करने का मौका, ये कुछ आंकड़े हैं जो वाराणसी में लगे बृहद रोजगार मेले के परिणामस्वरुप सामने आए हैं। इस रोजगार मेले में 40 कंपनियों ने वाराणसी और आस-पास के जिलों के 246 युवाओं को उनकी योग्यता के हिसाब से नौकरी का ऑफर दिया। हालांकि, 6312 युवाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया था। भले ये आंकड़ा महज कुछ सौ नौकरियों का है लेकिन ये केंद्र की मोदी सरकार और सूबे की योगी सरकार की उस संकल्प की दिशा में एक सार्थक कदम है जो कोरोना के मुश्किल दौर को देखते हुए लिया गया था। संकल्प था कि युवाओं को अब नौकरियों के लिए दूसरे शहरों में धक्के नहीं खाने पड़ेंगे, उनकी योग्यता के मुताबिक रोजगार देने के लिए कंपनियां उन्हीं के शहर में आएंगी।

योगी सरकार के कार्यकाल में 2017 से अब तक सिर्फ वाराणसी क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय की ओर से लगाए गए रोजगार मेलों में 12 सौ से ज्यादा कंपनियों ने अब तक 32321 लोगों को रोजगार दिया है। आंकड़े बताते हैं कि बेरोजगारी के खिलाफ लड़ाई में उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन देश भर में सबसे अच्छा है। उत्तर प्रदेश में पूरे देश के मुकाबले न सिर्फ रोजगार बढ़ाने पर काम हुआ है बल्कि केंद्र सरकार की योजनाओं से लोगों को जोड़ने में भी बेहतर प्रदर्शन रहा है। यही वजह है कि संगठित और असंगठित दोनों मोर्चों पर बेरोजगारी घटाने का फायदा मिल रहा है।

रोजगार के मामले में ना सिर्फ युवाओं को बल्कि रोजगार देने वाली कंपनियों को भी यूपी भा रहा है। यहां पहले रोजगार देने वाली कंपनियों की बात कर लेते हैं। देश भर में 1.89 लाख से ज्यादा नियोक्ता पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 13,219 नियोक्ता यूपी में रजिस्टर्ड हैं। श्रम मंत्रालय की ओर से रोजगार बढ़ाने के मकसद से करियर सेंटर संचालित किए जाते हैं, बाकी राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा 111 सेंटर यूपी में हैं। इन नियोक्ताओं और करियर सेंटर के जरिए कंपनियों को अपनी जरूरत के हिसाब से कुशल युवा कर्मचारी मिल जाते हैं और युवाओं को रोजगार।

बेरोजगारी के खिलाफ लड़ाई को योजनाबद्ध तरीके से लड़ाई का ही नतीजा है कि पिछले 6 वर्षों में सिर्फ उत्तर प्रदेश में 10 लाख से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरियों और अन्य रोजगारों से जोड़ा जा सका है। हाल ही में न्यूज़ 18 को दिए अपने इंटरव्यू में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि 6 साल में 5 लाख से ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है, जबकि एमएसएमई, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से 1.61 लाख युवाओं को जोड़ा जा चुका है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना जैसी स्वावलंबी योजनाओं के जरिए 60 लाख से ज्यादा युवाओं को आर्थिक तौर पर स्वावलंबी बनाया जा चुका है। इतना ही नहीं सरकार की योजना अगले 4 वर्षों में लाखों युवाओं को रोजगार की अलग-अलग योजनाओं से जोड़ने की है। सरकार इस दिशा में आगे बढ़ भी रही है, हाल ही में लखनऊ में पूरा हुआ ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है। 10 से 12 फरवरी के बीच 3 दिन तक चले ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में योगी सरकार को ना सिर्फ 35 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले बल्कि 90 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर भी मुहैया कराने की दिशा में आगे बढ़ी।

(डिस्‍क्‍लेमर-ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Tags: CM Yogi Adityanath, Opinion

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