फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार की नीति का विरोध करना देशद्रोह नहीं

नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के प्रमुख फारूक अब्दुल्ला (फ़ाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा की किसी भी नीति पर आपत्ति जताना और विरोध करना देशद्रोह नहीं होता. कोर्ट ने वक्त बर्बाद करने के लिए रजत शर्मा पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया.
- News18Hindi
- Last Updated: March 4, 2021, 10:51 AM IST
नई दिल्ली. अनुच्छेद 370 पर टिप्पणी करने पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (farooq abdullah) के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले व्यक्ति पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. मिली जानकारी के अनुसार रजत शर्मा नाम के व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था की फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. उनको चीन और पाकिस्तान से मदद मिल रही है. इसलिए उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाए.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया और अदालत का वक्त बर्बाद करने के लिए रजत शर्मा पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने कहा की किसी भी नीति पर आपत्ति जताना और विरोध करना देशद्रोह नहीं होता. याचिकाकर्ता ये साबित नही कर पाए की फारूक अब्दुल्ला को चीन और पाकिस्तान से कैसे मदद मिल रही.
क्या था अब्दुल्ला का बयान?मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम और नेशनल कांफ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जारी तनाव अनुच्छेद 370 हटाने का नतीजा है. चीन शुरू से इसका विरोध करता रहा है और सीमा पर उसका आक्रामक रुख मोदी सरकार के इस गलत कदम के कारण है.
वहीं उनके बयान पर सफाई देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता ने इस मसले पर कहा था कि 'हमारे अध्यक्ष पिछले वर्ष पांच अगस्त को संसद द्वारा अनुच्छेद 370 और 35-ए के अधिकतर प्रावधानों को रद्द करने पर लोगों के गुस्से को उजागर कर रहे थे, जो हाल के महीने में वह लगातार करते रहे हैं. उन्होंने जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर में कोई भी इन बदलावों को स्वीकार करने को तैयार नहीं है.'
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया और अदालत का वक्त बर्बाद करने के लिए रजत शर्मा पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया. कोर्ट ने कहा की किसी भी नीति पर आपत्ति जताना और विरोध करना देशद्रोह नहीं होता. याचिकाकर्ता ये साबित नही कर पाए की फारूक अब्दुल्ला को चीन और पाकिस्तान से कैसे मदद मिल रही.

वहीं उनके बयान पर सफाई देते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ता ने इस मसले पर कहा था कि 'हमारे अध्यक्ष पिछले वर्ष पांच अगस्त को संसद द्वारा अनुच्छेद 370 और 35-ए के अधिकतर प्रावधानों को रद्द करने पर लोगों के गुस्से को उजागर कर रहे थे, जो हाल के महीने में वह लगातार करते रहे हैं. उन्होंने जोर दिया कि जम्मू-कश्मीर में कोई भी इन बदलावों को स्वीकार करने को तैयार नहीं है.'