सांकेतिक तस्वीर
देश की पांच बड़ी मुस्लिम संस्थाएं इंस्टेंट ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर एक राय रखती हैं. इन संस्थाओं का मानना है कि कुरान में तीन तलाक का तो जिक्र है, लेकिन तुरंत तलाक देने को इसमें सही नहीं माना गया है. ये संस्थाएं भी इंस्टेंट ट्रिपल तलाक और तीन तलाक को दो अलग मसला मानती हैं. इनका मानना है कि कुछ मामलों में तलाक देने का तरीका गलत रहा है. (ट्रिपल तलाक पर लाइव अपडेट्स के लिए यहां क्लिक करें)
ये संस्थाएं तुरंत तलाक के तरीकों के खिलाफ हैं, लेकिन इसके बावजूद इनका मानना है कि अगर तुरंत तीन तलाक दे दिया गया है तो वो जायज माना जाएगा.
तीन तलाक देने के तौर-तरीके पर पांचों संस्थाएं मिल-बैठकर बात करने को तैयार हैं. कुछ लोग केन्द्र सरकार के साथ भी बात करने को राजी हैं, बशर्ते सरकार पहले अपनी मंशा जाहिर करें कि वो तीन तलाक के मुद्दे पर आखिर चाहती क्या है.
इंस्टेंट ट्रिपल तलाक के मसले पर न्यूज18 हिन्दी डॉट कॉम ने देश में मुस्लिमों की पांच बड़ी संस्थाओं से जुड़े अहम लोगों से उनकी राय जानी. तीन तलाक के मुद्दे पर सभी एक राय हैं. कुरान में भी तीन तलाक के जिक्र होने की बात कहते हैं, लेकिन एक साथ तीन तलाक दिए जाने की बात से उन्हें भी परहेज है. इन संस्थाओं में देवबंद, बरेली और नदवा मदरसा के साथ ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड व ऑल इण्डिया शिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शामिल हैं.
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ऑल इण्डिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाहिस्ता अम्बर के अनुसार,' तीन तलाक के बारे में कुरान जो कहता है, हम उसी को मानते हैं. जो लोग एक साथ लगातार तीन बार तलाक बोल देते हैं उसमें बदलाव होना चाहिए'
सलमा अंसारी अपनी बात पर कायम, बोली लेकिन इसे आधिकारिक बयान न समझें
वहीं उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी के अनुसार,'कुरान में तीन तलाक का जिक्र नहीं है.' सलमा यही बात पहले भी कह चुकी हैं.
दरअसल न्यूज18 हिन्दी डॉट कॉम से हुई बातचीत में सलमा ने अपनी इस बात को दोहराते हुए कहा कि,'यह आपसी चर्चा का मसला है,इसे मेरा अधिकारिक बयान न माना जाए.
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