राफेल डील पर PMO के रोल को लेकर मिनिस्ट्री के नोट पर पर्रिकर ने लिखा था 'ओवर रिएक्शन'

(फाइल फोटो- मनोहर पर्रिकर)
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह से पीएमओ द्वारा किए गए पैरलल बातचीत के कारण सौदे के दौरान रक्षा मंत्रालय की स्थिति थोड़ी कमजोर हो गई.
- News18Hindi
- Last Updated: February 8, 2019, 10:52 PM IST
पूर्व रक्षा मंत्री और गोवा के सीएम मनोहर पर्रिकर ने राफेल डील पर फ्रांस के अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री कार्यालय की 'पैरलल बातचीत' पर मंत्रालय के नोट को ‘ओवर रिएक्शन’ करार दिया था. एएनआई की तरफ से ट्वीट किए गए नोट के मुताबिक, तत्कालीन रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने लिखा था- ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय और फ्रांस के राष्ट्रपति ऑफिस इस मामले पर निगरानी रख रहे हैं, जो पूर्व की बातचीत का परिणाम है. पैरा 5 में कहा गया है कि यह एक 'ओवर रिएक्शन' है.
रक्षा मंत्रालय जब राफेल फाइटर जेट के सौदे के लिए फ्रांस सरकार से बात कर रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस पर फ्रांस से समानांतर सौदेबाजी कर रहा था. अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' ने एक आधिकारिक नोट का हवाला देते हुए अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है. बता दें कि इस रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को पीएम मोदी पर निशाना साधा है.
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इस रिपोर्ट में 24 नवंबर 2015 को तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को तत्कालीन रक्षा सचिव की तरफ से भेजे गए नोट का हवाला दिया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा सचिव ने पैरलल सौदेबाजी का विरोध करते हुए सवाल उठाया था कि पीएमओ को इसमें शामिल होने की क्या जरूरत है?राफेल डील को लेकर रक्षा मंत्रालय ने की थी पीएमओ की शिकायतः रिपोर्ट
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह से पीएमओ द्वारा किए गए पैरलल बातचीत के कारण सौदे के दौरान रक्षा मंत्रालय की स्थिति थोड़ी कमजोर हो गई. हम पीएमओ को सलाह दे सकते हैं कि जो अधिकारी बातचीत करने वाली टीम में शामिल नहीं है वे लोग पैरलल तरीके से फ्रांस की सरकार से बातचीत करने से दूर रहें. आगे इसमें कहा गया है कि अगर पीएमओ को लगता है कि रक्षा मंत्रालय की बातचीत से सहमति नहीं बन सकती है तो वह अगले स्तर पर फिर से बात कर सकता है.
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यह नोट डिप्टी सेक्रेटरी एसके शर्मा ने तैयार किया था जिसे तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन की तरफ से भेजा गया था. इसमें लिखा था, 'इस तरह की बीतचीत से पीएमओ को बचना चाहिए जिसकी वजह से हमारी बातचीत की स्थिति कमज़ोर होती है.'
इस रिपोर्ट के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला तेज कर दिया है. हालांकि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया कि अखबार की रिपोर्टिंग भेदभावपूर्ण है. रिपोर्ट में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की भी प्रतिक्रिया लिखनी चाहिए थी.
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रक्षा मंत्रालय जब राफेल फाइटर जेट के सौदे के लिए फ्रांस सरकार से बात कर रहा था, उसी दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय भी इस पर फ्रांस से समानांतर सौदेबाजी कर रहा था. अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' ने एक आधिकारिक नोट का हवाला देते हुए अपनी एक रिपोर्ट में यह दावा किया है. बता दें कि इस रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को पीएम मोदी पर निशाना साधा है.
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इस रिपोर्ट में 24 नवंबर 2015 को तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को तत्कालीन रक्षा सचिव की तरफ से भेजे गए नोट का हवाला दिया गया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, रक्षा सचिव ने पैरलल सौदेबाजी का विरोध करते हुए सवाल उठाया था कि पीएमओ को इसमें शामिल होने की क्या जरूरत है?राफेल डील को लेकर रक्षा मंत्रालय ने की थी पीएमओ की शिकायतः रिपोर्ट
ANI accesses the then Defence Minister Manohar Parrikar’s reply to MoD dissent note on #Rafale negotiations."It appears PMO and French President office are monitoring the progress of the issue which was an outcome of the summit meeting. Para 5 appears to be an over reaction" pic.twitter.com/3dbGB9xF4Z
— ANI (@ANI) February 8, 2019
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह से पीएमओ द्वारा किए गए पैरलल बातचीत के कारण सौदे के दौरान रक्षा मंत्रालय की स्थिति थोड़ी कमजोर हो गई. हम पीएमओ को सलाह दे सकते हैं कि जो अधिकारी बातचीत करने वाली टीम में शामिल नहीं है वे लोग पैरलल तरीके से फ्रांस की सरकार से बातचीत करने से दूर रहें. आगे इसमें कहा गया है कि अगर पीएमओ को लगता है कि रक्षा मंत्रालय की बातचीत से सहमति नहीं बन सकती है तो वह अगले स्तर पर फिर से बात कर सकता है.
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यह नोट डिप्टी सेक्रेटरी एसके शर्मा ने तैयार किया था जिसे तत्कालीन रक्षा सचिव जी मोहन की तरफ से भेजा गया था. इसमें लिखा था, 'इस तरह की बीतचीत से पीएमओ को बचना चाहिए जिसकी वजह से हमारी बातचीत की स्थिति कमज़ोर होती है.'
इस रिपोर्ट के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर हमला तेज कर दिया है. हालांकि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया कि अखबार की रिपोर्टिंग भेदभावपूर्ण है. रिपोर्ट में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की भी प्रतिक्रिया लिखनी चाहिए थी.
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