COVID-19: कोरोना महामारी के चलते गरीबी के दलदल में फंसे अरबों लोग, उबरने में लगेगा वर्षों- रिपोर्ट

ऑक्सफैम की रिपोर्ट में दावा, COVID-19 महामारी के दौर में तेजी से बढ़ रही असमानता. (Pic- AP)
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 1000 सबसे अमीर लोगों ने अपने नुकसान को 9 महीने के अंदर ही हासिल कर लिया है लेकिन दुनिया के सबसे गरीब लोगों को अपनी हालत सुधारने में दशक से अधिक समय लग सकता है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 25, 2021, 10:45 PM IST
नई दिल्ली. दुनियाभर के देश पिछले 9 महीनों से कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहे हैं. कोरोना के चलते ज्यादातर देशों को अपने यहां लॉकडाउन की घोषणा तक करनी पड़ी. लॉकडाउन ने कई देशों की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से पटरी से उतार दिया है. हालांंकि अब एक बार फिर सभी देश अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में लगे हैं. इन सबके बीच मानवाधिकार समूह ओक्सफैम ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना संकट दुनिया में असमानता को बढ़ा रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना महामारी के दौर में अमीर लोग और ज्यादा अमीर हो रहे हैं, जबकि इस महामारी के चलते गरीबी के दलदल में फंसे अरबों लोगों को इससे उबरने में वर्षों लग सकते हैं.
'इनइक्वालिटी वायरस' नामक एक रिपोर्ट में मानवाधिकार समूह की ओर से बताया गया है कि कोरोना महामारी सभी देशों में एक साथ आई थी. सभी देशों में कोरोना की रफ्तार भी एक समान थी, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 1000 सबसे अमीर लोगों ने अपने नुकसान को 9 महीने के अंदर ही हासिल कर लिया है, लेकिन दुनिया के सबसे गरीब लोगों को अपनी हालत सुधारने में दशक से अधिक समय लग सकता है.

ऑक्सफैम ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला है कि वायरस के प्रभाव को भी असमान रूप से महसूस किया जा रहा है, कुछ देशों में जातीय अल्पसंख्यकों की उच्च दर पर मृत्यु हो रही है और महिलाओं को महामारी की चपेट में आने वाली अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में अधिक महत्व दिया जा रहा है. ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में तर्क दिया कि फेयर इकोनॉमी आर्थिक सुधार की कुंजी है.इसे भी पढ़ें :- मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा, धीरे-धीरे उबर रही है देश की अर्थव्यवस्था, कुछ क्षेत्रों में निवेश की बताई तत्काल जरूरत
रिपोर्ट के मुताबिक 32 ग्लोबल कंपनियों ने इस महामारी के दौरान जो लाभ कमाया है उस पर अगर अस्थायी टैक्स लगाया जाए तो 104 बिलियन डॉलर मिल सकता है जो दुनिया में निम्स और मध्य आय वाले लोगों, बेरोजगारो, बुजुर्ग और बच्चों की मदद कर सकता है. ऑक्सफैम इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने कहा, अमीर और गरीब के बीच गहरा विभाजन वायरस के रूप में घातक साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि असमानता के खिलाफ चल रही लड़ाई को जीतना है कि उसके लिए आर्थिक प्रयास करने होंगे. एक टैक्स सिस्टम के जरिए अमीर व्यक्तियों को अपनी हिस्सेदारी आगे बढ़ानी चाहिए, जिससे दुनिया में तेजी से बढ़ रही असमानता को दूर किया जा सके.
'इनइक्वालिटी वायरस' नामक एक रिपोर्ट में मानवाधिकार समूह की ओर से बताया गया है कि कोरोना महामारी सभी देशों में एक साथ आई थी. सभी देशों में कोरोना की रफ्तार भी एक समान थी, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 1000 सबसे अमीर लोगों ने अपने नुकसान को 9 महीने के अंदर ही हासिल कर लिया है, लेकिन दुनिया के सबसे गरीब लोगों को अपनी हालत सुधारने में दशक से अधिक समय लग सकता है.
ऑक्सफैम ने इस तथ्य पर भी प्रकाश डाला है कि वायरस के प्रभाव को भी असमान रूप से महसूस किया जा रहा है, कुछ देशों में जातीय अल्पसंख्यकों की उच्च दर पर मृत्यु हो रही है और महिलाओं को महामारी की चपेट में आने वाली अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में अधिक महत्व दिया जा रहा है. ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में तर्क दिया कि फेयर इकोनॉमी आर्थिक सुधार की कुंजी है.इसे भी पढ़ें :- मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा, धीरे-धीरे उबर रही है देश की अर्थव्यवस्था, कुछ क्षेत्रों में निवेश की बताई तत्काल जरूरत
रिपोर्ट के मुताबिक 32 ग्लोबल कंपनियों ने इस महामारी के दौरान जो लाभ कमाया है उस पर अगर अस्थायी टैक्स लगाया जाए तो 104 बिलियन डॉलर मिल सकता है जो दुनिया में निम्स और मध्य आय वाले लोगों, बेरोजगारो, बुजुर्ग और बच्चों की मदद कर सकता है. ऑक्सफैम इंटरनेशनल के कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने कहा, अमीर और गरीब के बीच गहरा विभाजन वायरस के रूप में घातक साबित हो रहा है. उन्होंने कहा कि असमानता के खिलाफ चल रही लड़ाई को जीतना है कि उसके लिए आर्थिक प्रयास करने होंगे. एक टैक्स सिस्टम के जरिए अमीर व्यक्तियों को अपनी हिस्सेदारी आगे बढ़ानी चाहिए, जिससे दुनिया में तेजी से बढ़ रही असमानता को दूर किया जा सके.