नई दिल्ली. असम के एक प्रतिष्ठित और पदम अवार्ड (Padma Awardee) से सम्मानित व्यक्ति पर गोद ली हुई बच्ची (Foster daughter) के साथ रेप का आरोप लगा है. इस मामले में व्यक्ति पर पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) के तहत एफआईआर (FIR) दर्ज किया गया है. हालांकि व्यक्ति की प्रतिष्ठा और उसके काम को देखते हुए गुवाहाटी हाईकोर्ट (Guwahati High Court) ने उन्हें अंतरिम बेल (interim bail) दे दिया है लेकिन कहा है कि मामला गंभीर प्रकृति (serious in nature ) का है और 7 जनवरी को इसकी सुनवाई की जाएगी. हलांकि इस मामले में व्यक्ति पर तब तक एफआईआर दर्ज नहीं हुआ जब तक मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के सामने मामला नहीं ले जाया गया.
17 दिसंबर को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की शिकायत के आधार असम पुलिस ने अगले ही दिन व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज की.
व्यक्ति अंतरिम जमानत पर
मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने बताया कि हम इस मामले में कुछ भी टिप्पणी नहीं करेंगे क्योंकि यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है. एफआईआर के बाद गिरफ्तारी से बचने के लिए व्यक्ति ने गुवाहाटी उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाया था जिसके बाद कोर्ट ने 28 दिसंबर को व्यक्ति को अंतरिम बेल का आदेश पारित कर दिया. आदेश पारित करते हुए जस्टिस अरुण देव चौधरी ने कहा, जिस तरह का आरोप लगाया गया है वह गंभीर प्रकृति का है. हालांकि व्यक्ति के पूर्व में किए गए काम और प्रतिष्ठा को देखते हुए हम बेल को मंजूर कर रहे हैं. व्यक्ति ने कोर्ट ने कहा था कि तत्काल एफआईआर से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश होगा.
न्याय के हित में फैसला सुनाया जाएगा
अपने आदेश में जस्टिस अरुण देव चौधरी ने कहा कि एफआईआर में पीड़िता का स्पेसफिक बयान दर्ज नहीं है. इसलिए न्याय के हित में अंतरिम आदेश पारित किया जाएगा. कोर्ट ने सात दिनों के अंदर व्यक्ति को पुलिस के सामने हाजिर होने का आदेश दिया है. पुलिस अधिकारी ने इस बात की तस्दीक करते हुए बताया कि व्यक्ति पुलिस के सामने उपस्थित हो चुका है और उनका स्टेटमेंट रिकॉर्ड कर लिया गया है.
पीड़िता विशेष सुरक्षा निगरानी में
बता दें कि बच्ची को पद्म पुरस्कार विजेता ने गोद लिया हुआ था. पीड़िता फिलहाल अभी बाल गृह में विशेष पुलिस सुरक्षा की निगरानी में है. 18 साल से कम उम्र की लड़कियों के खिलाफ होने वाले यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी को रोकने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने पोक्सो एक्ट-2012 बनाया था. इसके तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है. इसके जरिए 12 साल तक की बच्ची से रेप करने वाले दोषियों को फांसी की सजा मिल सकती है.
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