रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, निजता के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था सिटीजन लैब के साइंटिस्टों ने छह महीने तक हथलोल के फोन की बारीकी से जांच की.(Photo by Fayez Nureldine / AFP)
वॉशिंगटनः इजरायली कंपनी एनएसओ (Isreael NSO) के बनाए जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus) के बारे में तो याद होगा. वही पेगासस जिसे लेकर पिछले साल पूरी दुनिया में हल्ला मचा था. ये सॉफ्टवेयर चोरी-छिपे हजारों लोगों के फोन में घुसपैठ (hacking) करके महत्वपूर्ण जानकारियां उड़ा रहा था. भारत में भी इस सॉफ्टवेयर के जरिए सैंकड़ों नेताओं, पत्रकारों, एक्टिविस्टों और कारोबारियों की कथित तौर पर जासूसी की गई थी. इसे लेकर सरकार पर भी गंभीर सवाल उठे थे. लेकिन ये शातिर पेगासस पकड़ में कैसे आया, इससे दुनिया अनजान थी. अब इसका खुलासा हुआ है. सऊदी अरब की महिला लोजैन अल-हथलोल ( Loujain al-Hathloul) के आईफोन में मिली एक फोटो फाइल के जरिए इंजीनियर इस स्पाई सॉफ्टवेयर तक पहुंचे थे.
लोजौन अल-हथलोल सऊदी अरब (Saudi Arab) में महिला अधिकारों के लिए काम करने वाला बड़ा नाम हैं. देश में महिलाओं को ड्राइविंग का हक दिलाने में इनकी अहम भूमिका रही है. पिछले साल फरवरी में जब इनकी जेल से रिहाई हुई तो उन्हें अपने आईफोन के हैक होने की आशंका हुई. आईफोन का हैक होना एक बड़ी बात थी, क्योंकि इसे दुनिया का सबसे सुरक्षित फोन माना जाता है. हथलोल ने अपने फोन को कनाडा की संस्था सिटिजन लैब को सौंपकर मामले का पता लगाने को कहा.
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, निजता के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था सिटीजन लैब के साइंटिस्टों ने छह महीने तक हथलोल के फोन की बारीकी से जांच की. उन्हें एक संदिग्ध फेक इमेज फाइल मिली. यह फाइल जासूसी सॉफ्टवेयर की एक गलती के कारण फोन में छूट गई थी. सिटिजन लैब के रिसर्चर विल मार्कजैक की ये खोज ऐतिहासिक थी. क्योंकि ये इजरायली जासूसी सॉफ्टवेयर इतना शातिर था कि अपना कोई सुराग नहीं छोड़ता था, इसलिए इसे पकड़ पाना नामुमकिन माना जाता था. लेकिन हथलोल के फोन में मिली इमेज फाइल ने पेगासस और एनएसओ के खिलाफ ठोस सबूत दे दिया था.
इसके बाद आईफोन बनाने वाली कंपनी ऐपल ने नवंबर 2021 में एनएसओ पर कोर्ट में मुकदमा कर दिया. दुनिया में एनएसओ और पेगासस के शिकार बने लोगों को लेकर एक के बाद एक खुलासे हो रहे थे. कई देशों की सरकारों और सरकारी एजेंसियों को कठघरे में खड़ा किया जा रहा था. तगड़ी फजीहत के बाद एनएसओ को बयान जारी करना पड़ा कि वह अपने सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट्स को आम लोगों को नहीं बल्कि सिर्फ सरकारों या उनकी एजेंसियों को ही बेचती है. हालांकि कंपनी ने जासूसी के आरोपों से इनकार किया लेकिन अपने सॉफ्टवेयर के जरिए लोगों की निजता में घुसपैठ के आरोपों की जांच की बात कही. मामला इतना बढ़ा कि इजरायली सरकार को भी कंपनी से पल्ला झाड़ना पड़ा.
पेगासस को जीरो क्लिक जासूसी सॉफ्टवेयर माना जाता है. मतलब इसे आपके फोन या डिवाइस में इंस्टॉल होने के लिए आपके किसी एक्शन की जरूरत नहीं पड़ती. ये खुद ही चालबाजी से आपके फोन में घुस जाता है. उसके बाद आपकी हर मामूली से मामूली जानकारी भी अपने मालिक तक पहुंचाता रहता है और आपको कानोंकान खबर तक नहीं होती. आप कहां जाते हैं, फोन पर किससे क्या बात करते हैं, क्या मैसेज करते हैं, सारी जानकारी हैकर तक पहुंच जाती है. यहां तक कि आप फिजिकली किसी से मिल रहे हैं और फोन साथ है तो भी आपकी बातचीत रिकॉर्ड हो सकती है. यहां तक कि चुपके से कैमरा ऑन करके वीडियो भी रिकॉर्ड किया जा सकता है.
पेगासस के बारे में माना जाता है कि ये वॉट्सऐप चैट, ईमेल्स, एसएमएस, जीपीएस, फ़ोटो, वीडियोज़, माइक्रोफ़ोन, कैमरा, कॉल रिकॉर्डिंग, कैलेंडर, कॉन्टैक्ट बुक, सब कुछ एक्सेस कर सकता है.
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Tags: Pegasus, Pegasus spy case
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