याचिकाकर्ता ने एक ऐसा कानूनी मसौदा तैयार करने की मांग की है, जिससे ट्विटर पर उपलब्ध विज्ञापन और पेड कंटेंट की जांच की जा सके. (सांकेतिक तस्वीर)
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कथित पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Spy Case) की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन करने का फैसला किया है. भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, ‘हम इसी हफ्ते आदेश जारी करना चाहते थे. वो इस मामले की जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी बना रहे हैं लेकिन एक सदस्य ने निजी कारणों से इस कमेटी में शामिल होने से इनकार कर दिया है. यही कारण है कि कमेटी बनाए जाने में देरी हो रही है.’ सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि अगले हफ्ते तक कमेटी का गठन कर लिया जाएगा.
बता दें कि भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना को 500 से अधिक लोगों और समूहों ने पत्र लिखकर कथित पेगासस जासूसी मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा फौरन हस्तक्षेप किए जाने का आग्रह किया है. उन्होंने भारत में इजरा/ली कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर की बिक्री, हस्तांतरण और उपयोग पर रोक लगाने की भी मांग की थी. इस संबंध में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकार एन. राम व शशि कुमार की याचिका पर आज सुनवाई की गई.
मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने इस पूरे मामले की जांच के लिए कमेटी का गठन करने का फैसला किया है. इस संबंध में अगले हफ्ते आदेश जारी किए जाएंगे.
गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया संगठनों ने दावा किया था कि इजरा/ल की कंपनी एनएसओ के पेगासस स्पाइवेयर के जरिए भारत के 300 से ज्यादा मोबाइल नंबर उस संभावित सूची में थे जिनकी जासूसी किए जाने का संदेह है. इस सूची में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल और अश्विनी वैष्णव, कारोबारी अनिल अंबानी समेत कम से कम 40 पत्रकार भी थे. पेगासस मामले के सामने आने के बाद फ्रांस ने इसकी जांच शुरू कर दी है, जिसके बाद केंद्र सरकार पर भी दबाव बढ़ा है.
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