नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तकनीकी समिति ने पेगासस जासूसी मामले की जांच रिपोर्ट जमा करने के लिए शुक्रवार को शीर्ष अदालत से और समय मांगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी समिति का कार्यकाल चार हफ्ते तक बढ़ा दिया है. कोर्ट का कहना है कि सुपरवाइजिंग जज टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट का अध्ययन करेंगे और जून के अंत तक कोर्ट को अपनी राय देंगे. पेगासस मामले पर चीफ जस्टिस एनवी रमणा, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच में सुनवाई हुई. सुनवाई शुरू हुई तो सीजेआई ने टेक्निकल कमेटी की रिपोर्ट के बारे में बताते हुए कहा कि कमेटी ने कई टेक्निकल मुद्दों पर जांच की है, इस दौरान 29 उपकरणों और कुछ गवाहों की जांच-पड़ताल व पूछताछ की बात कही है.
बता दें कि जांच कमेटी ने कुछ मुद्दों पर जनता की राय भी मांगी थी, जिसमें लोगों ने बड़ी तादाद में अपनी राय भेजी है. सीजेआई ने कहा कि तकनीकी समिति मई के अंत तक फाइनल रिपोर्ट तैयार करके जस्टिस रवींद्रन को देगी. इसके बाद अगले एक महीने में यानी 20 जून तक न्यायाधीश रवींद्रन अपनी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट को सौंप देंगे. बता दें कि पेगासस विवाद की जांच से जानकारी मिली कि इस स्पाइवेयर का इस्तेमाल मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, राजनीतिक रणनीतिकारों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं, अल्पसंख्यक नेताओं, अनुसूचित जाति के न्यायाधीशों, धार्मिक नेताओं और केंद्रीय जांच ब्यूरो के प्रमुखों पर किया गया था.
दरअसल, कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों के एक संगठन ने दावा किया था कि कई भारतीय नेताओं, मंत्रियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कारोबारियों और पत्रकारों के खिलाफ पेगासस का कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया.
यह विवाद उस वक्त और बढ़ गया जब हाल ही में अमेरिकी समाचार पत्र न्यूयार्क टाइम्स ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि 2017 में भारत और इजराइल के बीच हुए लगभग दो अरब डॉलर के अत्याधुनिक हथियारों एवं खुफिया उपकरणों के सौदे में पेगासस स्पाईवेयर तथा एक मिसाइल प्रणाली की खरीद मुख्य रूप से शामिल थी.
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