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राष्ट्रीय सुरक्षा का डर दिखाकर हर बार छूट नहीं सकती सरकार- पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

 (फाइल फोटो)

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सुप्रीम कोर्ट ने कुछ लोगों की निगरानी के लिए इजरायली स्पाइवेयर पेगासस के कथित उपयोग की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों का ...अधिक पढ़ें

    नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus Spyware) के जरिए कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए बुधवार को विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमण, जज जस्टिस सूर्य कांत और जज जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि इस तीन सदस्यीय समिति की अगुआई सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज आरवी रवींद्रन करेंगे. कोर्ट ने समिति से कहा है कि वह मामले की पूरी जांच कर जल्द रिपोर्ट तैयार करे.

    अदालत ने कहा है कि अब इस मामले की सुनवाई 8 हफ्ते बाद होगी. पेगासस मामले में जांच की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान तीन जजों की बेंच ने कई अहम बातें कही हैं और केंद्र सरकार के प्रति सख्ती भी दिखाई है. साथ ही यह भी संदेश दिया है कि जीवन में स्वतंत्रता का अधिकार सर्वोच्च है.

    आइए हम आपको बताते हैं सुप्रीम कोर्ट की कुछ अहम टिप्पणियों के बारे में-

    राष्ट्रीय सुरक्षा कोई ऐसा हौव्वा नहीं, जिसका जिक्र भर कर देने से न्यायपालिका अलग हो जाए.
    CJI रमण ने लेखक जॉर्ज ऑरवेल के हवाले से कहा- 'अगर आप कुछ रहस्य रखना चाहते हैं, तो आपको इसे अपने आप से भी छिपाना होगा.'
    अदालत का प्रयास संवैधानिक सिद्धांतों को बनाए रखने और राजनीतिक दावों से दूर रहने का है. कुछ याचिकाकर्ता सीधे प्रभावित हुए हैं, नागरिकों की गोपनीयता महत्वपूर्ण है.
    तकनीकी युग में, नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा करना महत्वपूर्ण है.
    कई अवसर दिए जाने के बावजूद केंद्र ने कोर्ट से सीमित जानकारी ही साझा की. अगर केंद्र ने विस्तृत जानकारी दी होती तो अदालत पर बोझ कम होता.
    राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे उठाकर केंद्र सरकार हर बार नहीं बच सकती.
    पेगासस के इस्तेमाल पर केंद्र की ओर से स्पष्ट इनकार नहीं किया गया है.
    केंद्र को अपने रुख को सही ठहराते हुए अदालत को मूकदर्शक नहीं बनाना चाहिए था.
    कोर्ट ने कहा, ‘प्रेस की आजादी पर कोई असर नहीं होना चाहिए. उनको सूचना मिलने के स्रोत खुले होने चाहिए. उन पर कोई रोक ना हो.’
    निजता केवल पत्रकारों और राजनेताओं के लिए ही नहीं बल्कि आम लोगों के अधिकारों से भी संबंधित हैं. सभी फैसले संवैधानिक प्रक्रिया के तहत होने चाहिए.

    Tags: Pegasus spy case, Pegasus spying issue, Supreme Court

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