गृह मंत्रालय द्वारा पीएफआई पर 5 साल तक के लिए प्रतिबंध लगाने के फैसले की तमाम राजनीतिक, गैर-राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने सराहना की है. (न्यूज 18 हिन्दी/फाइल फोटो)
नई दिल्ली. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के टेरर फंडिंग जुटाने और उसके साथ लिंक होने के सबूत मिलने के बाद अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस पर कड़ी कार्रवाई की है. गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) की ओर से मंगलवार को इस संबंध में एक गजट नोटिफिकेशन जारी कर पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है. यह कार्रवाई टेरर लिंक को लेकर केंद्रीय एजेंसियों से मिले पुख्ता सबूतों के आधार पर ही की गई है. मंत्रालय ने पीएफआई के साथ उसके 8 सहयोगी संगठनों पर 5 साल तक के लिए प्रतिबंध लगाया है. गृह मंत्रालय के इस फैसले का अब राजनीतिक, गैर-राजनीतिक और धार्मिक संगठनों ने भी स्वागत किया है.
विश्व हिंदू परिषद ने अपने अधिकृत ट्वीटर हैंडल पर गृह मंत्रालय के इस फैसले की सराहना की है. वीएचपी के डॉ. सुरेन्द्र जैन ने कहा है कि ‘पीएफआई जैसी राष्ट्र विरोधी शक्तियों को समाप्त करने के लिए उठाए गए कदम का विश्व हिंदू परिषद स्वागत करती है और आशा करती है कि उनके सहयोगी भी इस घटना से सबक लेंगे. अब यह भी सुनिश्चित करना होगा की जिस प्रकार सिम्मी से पीएफआई बना, कोई और ना खड़ा हो जाए.
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट करते हुए लिखा है- ‘मैं भारत सरकार द्वारा (Popular Front of India) #PFI पर प्रतिबंध का लगाने के फैसले का स्वागत करता हूं. सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ है कि देश के खिलाफ पैशाचिक, विभाजनकारी या विघटनकारी साजिश रचने वाले किसी भी व्यक्ति से सख्ती से निपटा जाएगा.’
इसके अलावा इस मामले पर यूनाईटेड हिन्दू फ्रंट ने भी गृह मंत्रालय के कदम की सराहना की है. फ्रंट के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और राष्ट्रवादी शिवसेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष जय भगवान गोयल ने कहा कि देश की अखण्डता, सुरक्षा और सम्प्रभुता के लिए खतरा उत्पन्न करने वाले पॉपुलर फ्रंट आफ इण्डिया पर प्रतिबंध लगाने का भारत सरकार निर्णय सराहनीय है. साथ ही पांच वर्ष के प्रतिबंध की बजाय इस पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की जरूरत है.
यूएचएफ ने कहा कि पीएफआई न केवल राष्ट्र विरोधी भावनाओं को भड़काने और देश के मुस्लमानों में देश के प्रति अंसतोष पैदा करने का कार्य कर रहा था बल्कि विदेशों में भी भारत की छवि घूमिल कर रहा था. यह संगठन 2047 तक भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने के और गजबा ए हिन्द के स्वप्न संजो रहा था जिसका खुलासा एन.आई.ए. ने अपनी रिपोर्ट में किया है.
इस मामले पर कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई ने ट्वीट कर इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा है- यह इस देश के लोगों द्वारा, सीपीआई, सीपीएम और कांग्रेस जैसे विपक्ष समेत सभी राजनीतिक दलों की लंबे समय से मांग थी. पीएफआई देश विरोधी गतिविधियों, हिंसा में शामिल था. देश के बाहर उनकी कमान थी.
कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने भी केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है-मैं इसका स्वागत करता हूं. केंद्र सरकार ने सांप्रदायिक पीएफआई और उसके अन्य सहयोगियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की है जो देश में आतंकवादी कृत्यों को सहायता और बढ़ावा दे रहे थे. पीएफआई और उसके सहयोगियों को 5 साल के लिए गैरकानूनी घोषित करने पर केंद्र सरकार का स्वागत है.
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने भी पीएफआई के खिलाफ हुई प्रतिबंध की कार्रवाई को स्वागतयोग्य बताया है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है- कई राज्यों में आतंकवादी घटनाएं (पीएफआई द्वारा) हुईं, राष्ट्र को विघटित किया और हिंसा फैलाई गई. इसलिए हम इस कदम का स्वागत करते हैं (केंद्र सरकार द्वारा पीएफआई और उसके सहयोगियों को 5 साल के लिए गैरकानूनी घोषित करना).
BYE BYE PFI pic.twitter.com/aD4kfwCvsu
— Shandilya Giriraj Singh (@girirajsinghbjp) September 28, 2022
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी पीएफआई के बैन पर प्रतिक्रिया जाहिर की है. इस पर ट्वीट करते हुए और गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन की कॉपी को अटैच करते हुए लिखा है- बाय-बाय पीएफआई.
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