पूर्णिमा मुरली/चेन्नई: एमके स्टालिन के मुख्यमंत्री बनने के बाद जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु की अपनी पहली यात्रा पर गुरुवार को चेन्नई पहुंचे, तो सबसे ज्यादा पूछा जाने वाला सवाल था कि क्या ट्विटर पर #GoBackModi ट्रेंड करेगा? वाजिब सवाल था, यह देखते हुए कि हमेशा से ऐसा ही रहा है, हर बार पीएम चेन्नई आए हैं तो ट्विटर पर #GoBackModi ट्रेंड करता है. लेकिन वह तब था, जब द्रमुक पार्टी विपक्ष में थी. सोशल मीडिया पर अपनी ताकत दिखाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के खिलाफ यह ट्विटर ट्रेंड उसकी ओर से कराया जाता था.
अब डीएमके चीफ एमके स्टालिन देश के सबसे शहरीकृत राज्यों में से एक तमिलनाडु का मुख्यमंत्री के रूप में नेतृत्व कर रहे हैं. उनकी सरकार निर्माताओं और निर्यातकों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करने में तेज है. वास्तव में, जब प्रधानमंत्री मोदी चेन्नई में लैंड कर रहे थे, उस वक्त एमके स्टालिन सरकार के उद्योग मंत्री थंगम थेनारासु स्विट्जरलैंड के दावोस में थे, और इस दक्षिण भारतीय राज्य की पेशकश के बारे में विभिन्न कंपनियों के कार्यकारी प्रमुखों से बात कर रहे थे. फिर भी, #GoBackModi हैशटैग ने ट्विटर ट्रेंड लिस्ट में जगह बनाई.
द्रमुक की गिनती क्षेत्रीय दलों की एक उल्लेखनीय पार्टी में होती है, जो भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार के साथ गतिरोध में रहती है. वास्तव में, स्टालिन की पार्टी ने इसे यूनियन गवर्नमेंट यानी ‘संघ की सरकार’ कहना शुरू किया, और निश्चित रूप से केंद्र शब्द से परहेज किया. उनके शब्दों में, यूनियन गवर्नमेंट, सहकारी संघवाद यानी को-आपरेटिव फेडरलिज्म के करीब है. अपने इस मूव से, स्टालिन की सरकार केंद्र के कई राजनीतिक कदमों की जांच कर रही है.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने निम्न मुद्दे उठाए
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से हिंदी को थोपने के कथित प्रयासों का विरोध करने से लेकर जीएसटी बकाया, नीट एक्सम्प्शन बिल और उच्च कर हस्तांतरण के बारे में घेरने तक, स्टालिन सरकार केंद्र के लिए एक बड़ी अड़चन रही है. इस संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी की चेन्नई यात्रा को एक उच्च दबाव वाली घटना के रूप में देखा जा सकता है, जो स्पष्ट सौहार्द के माहौल में आयोजित की गई. फिर भी, डीएमके और केंद्र की ओर से कुछ मुद्दों को लेकर आरोप-प्रत्यारो का आदान-प्रदान हुआ.
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने स्पष्ट रूप से कहा कि तमिलनाडु अपने अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठाने से नहीं हिचकिचाएगा; उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में 14,006 करोड़ रुपये से अधिक जीएसटी बकाया और नीट में छूट की मांग की. इन दोनों मसलों पर तमिलनाडु सरकार का केंद्र के साथ विवाद है. उन्होंने एक ऐसे राज्य के लिए अपेक्षित कर हस्तांतरण से कम मिलने का भी मुद्दा उठाया, जो केंद्रीय सकल घरेलू उत्पाद में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है.
तमिल भाषा ‘शाश्वत’ और संस्कृति ‘वैश्विक’
अपने भाषण में, पीएम मोदी ने श्रीलंका के जाफना जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होने की बात कही. गौरतलब है कि एमके स्टालिन की सरकार ने आर्थिक संकट से जूझ रहे द्वीपीय राष्ट्र तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए ठोस प्रयास किए हैं. पीएम मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का भी समर्थन किया, जिसे एमके स्टालिन सरकार ने इसके त्रि-भाषा दृष्टिकोण के लिए खारिज कर दिया है. द्रमुक सरकार जिन केंद्रीय योजनाओं के खिलाफ मजबूती से खड़ी रही है, उन्हें स्टीमरोलर करते हुए, पीएम मोदी ने तमिलों को लुभाने की कोशिश की. उन्होंने तमिल भाषा को “शाश्वत” और इस राज्य की संस्कृति को “वैश्विक” कहा.
प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलों की सराहना की
अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलों की सराहना की और द्रमुक सरकार को कम से कम एनईपी पर एक विपक्षी संदेश भेजा. अभी कहना बहुत जल्दबाजी होगी, लेकिन 2024 के लिए डीएमके के विकल्पों के बारे में कुछ चर्चा है. अन्ना द्रमुक के राज्य में काफी कमजोर होने और भाजपा को कुछ समर्थन प्राप्त करने के साथ, द्रमुक पिछले एक साल में राजनीतिक रूप से सख्त रही है. मुख्यमंत्री स्टालिन अपने राजनीतिक क्षेत्र के बारे में स्पष्ट रूप से जानते हैं और वह अपने ताकतवर पक्ष के साथ खेलेंगे, मुख्य रूप से 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले बनाए गए भाजपा विरोधी रुख पर. गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी के तमिलनाडु दौरे से एक बात साफ है, सीएम स्टालिन ने यह संदेश देने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि डीएमके ‘लुभने’ को तैयार नहीं है. वहीं पीएम मोदी ने भी एक संदेश भेजा, ‘हम इसके बारे में देखेंगे’.
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