राफेल विवाद: रिटायर्ड एयर मार्शल बोले- PMO ने सौदे में कभी नहीं की दखलअंदाजी

एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा (रिटायर्ड)
द हिंदू अखबार ने राफेल डील पर एक रिपोर्ट छापी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 जब रक्षा मंत्रालय इस डील पर फ्रांस से बातचीत कर रहा था, तो इसके समानांतर पीएमओ ने भी फ्रांस से बातचीत शुरू कर दी थी.
- पीटीआई
- Last Updated: February 8, 2019, 10:22 PM IST
राफेल डील पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा (रिटायर्ड) ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने राफेल डील में दखलअंदाजी करते हुए 'समानांतर' बातचीत की थी. एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने राफेल विमानों की खरीद पर बातचीत के लिए बनी भारतीय टीम की अगुवाई की थी.
एसबीपी सिन्हा ने ने कहा, ''एक अखबार में रक्षा मंत्रालय के नोट को अधार बनाकर छपी स्टोरी को देखकर मुझे हैरानी हुई. तथ्य को छिपाते हुए इस नोट के जरिए राफेल रक्षा खरीद को 'बदनाम' करने की कोशिश की गई है.''
सिन्हा ने ‘नोट’ का जिक्र करते हुए कहा कि जिस अधिकारी ने इसकी शुरूआत की थी, वो बाचतीत टीम का हिस्सा नहीं थे और ऐसा करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं बनता.
दरअसल 'द हिंदू' अखबार ने राफेल डील पर एक रिपोर्ट छापी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 जब रक्षा मंत्रालय इस डील पर फ्रांस से बातचीत कर रहा था, तो इसके समानांतर पीएमओ ने भी फ्रांस से बातचीत शुरू कर दी थी. इसके बारे में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने विरोध जताते हुए मनोहर पर्रिकर को नोट लिखा था.'द हिंदू' की रिपोर्ट आने के बाद राफेल समझौते के समय रक्षा सचिव रहे जी मोहन कुमार का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा है, उस नोट का कीमत से कोई लेना-देना नहीं था. वह सिर्फ सोवरेन गारंटी, सामान्य नियमों और शर्तों के बारे में था. उस नोट में सिर्फ कीमत के बारे में ही नहीं बल्कि कई और अहम बातों का भी जिक्र था.
इस रिपोर्ट की गूंज आज लोकसभा में सुनाई दी. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि मामले की जांच संसद की संयुक्त समिति से करवाई जाए, ताकि सबकुछ शीशे की तरह साफ हो जाए.
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एसबीपी सिन्हा ने ने कहा, ''एक अखबार में रक्षा मंत्रालय के नोट को अधार बनाकर छपी स्टोरी को देखकर मुझे हैरानी हुई. तथ्य को छिपाते हुए इस नोट के जरिए राफेल रक्षा खरीद को 'बदनाम' करने की कोशिश की गई है.''
सिन्हा ने ‘नोट’ का जिक्र करते हुए कहा कि जिस अधिकारी ने इसकी शुरूआत की थी, वो बाचतीत टीम का हिस्सा नहीं थे और ऐसा करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं बनता.
दरअसल 'द हिंदू' अखबार ने राफेल डील पर एक रिपोर्ट छापी है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 जब रक्षा मंत्रालय इस डील पर फ्रांस से बातचीत कर रहा था, तो इसके समानांतर पीएमओ ने भी फ्रांस से बातचीत शुरू कर दी थी. इसके बारे में रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने विरोध जताते हुए मनोहर पर्रिकर को नोट लिखा था.'द हिंदू' की रिपोर्ट आने के बाद राफेल समझौते के समय रक्षा सचिव रहे जी मोहन कुमार का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा है, उस नोट का कीमत से कोई लेना-देना नहीं था. वह सिर्फ सोवरेन गारंटी, सामान्य नियमों और शर्तों के बारे में था. उस नोट में सिर्फ कीमत के बारे में ही नहीं बल्कि कई और अहम बातों का भी जिक्र था.
इस रिपोर्ट की गूंज आज लोकसभा में सुनाई दी. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि मामले की जांच संसद की संयुक्त समिति से करवाई जाए, ताकि सबकुछ शीशे की तरह साफ हो जाए.
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