केरल उच्च न्यायालय ( फाइल फोटो )
कोच्चि. केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने सोमवार को राज्य सरकार को एक अंतरिम आदेश में 15 नवंबर तक यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है कि सार्वजनिक जमीन पर अवैध रूप से कोई ध्वज स्तंभ नहीं लगाया जाए. अदालत ने राजनीतिक दलों (Political parties) द्वारा राज्य में अवैध तरीके से झंडा, बैनर लगाने को ‘अराजकता’ करार दिया. न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने सरकार और स्थानीय अधिकारियों को राज्य में अवैध ध्वज स्तंभों की संख्या का पता लगाने और 15 नवंबर तक अदालत को इस बारे में सूचित करने का निर्देश दिया. अदालत ने एक सहकारी समिति की याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार को निर्देश जारी किया.
न्यायाधीश ने कहा कि ध्वज स्तंभ में इस्तेमाल धातु से 10 कारखानों की स्थापना की जा सकती है. न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह की प्रथा के खिलाफ उच्च न्यायालय की टिप्पणियों के बावजूद, राज्य में राजनीतिक दल ध्वज स्तंभ लगाने में ‘एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा’ कर रहे हैं, भले ही उनमें से कोई भी सत्ता में हो. अदालत ने सवाल किया, ‘आज एर्नाकुलम में एक राजनीतिक दल के झंडे लगाए गए हैं. वे सत्ता में हैं. वे किसे चुनौती दे रहे हैं? क्या वे उच्च न्यायालय को चुनौती दे रहे हैं.’
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न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें एक ट्रक चालक से एक गुमनाम पत्र मिला, जिसे सड़क के किनारे एक पार्टी के झंडा लगे ध्वज स्तंभ से टकराने पर 6,000 रुपये खर्च करने पड़े और पूछा कि ‘यह किस तरह की अराजकता है?’ अदालत ने कहा कि सरकार ‘पोरमबोके’ (सरकारी) भूमि पर आम नागरिकों या गरीब लोगों के ढांचे को ध्वस्त करने के लिए तत्पर रहती है लेकिन राजनीतिक दलों या उनके सहयोगियों द्वारा अवैध ध्वज स्तंभ लगाए जाने पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
राज्य सरकार की तरफ से पेश वरिष्ठ सरकारी वकील एस कन्नन ने अवैध ध्वज स्तंभ लगाने के बारे में 12 अक्टूबर के अदालत के सवालों के जवाब में एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा. अदालत ने इसके लिए समय देते हुए मामले को 15 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया. याचिका में आरोप लगाया गया है कि एक विशेष राजनीतिक दल उसकी जमीन पर अवैध रूप से झंडे और बैनर लगा रहा है.
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