प्रशांत किशोर ने विपक्षी एकता को बताया मुखौटा.(न्यूज 18 हिन्दी/फाइल फोटो)
नई दिल्ली. राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर इन दिनों खुद जोर-शोर से राजनीति कर रहे हैं. बिहार के साथ-साथ केंद्र की राजनीति में भी प्रशांत किशोर अपने आप को मुखर तरीके से रख रहे हैं. इसी कड़ी में एक न्यूज चैनल से बातचीत करते हुए प्रशांत किशोर ने सोमवार को भविष्यवाणी की कि 2024 में भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता “कभी काम नहीं करेगी” क्योंकि इसमें स्थिरता नहीं है और वैचारिक रूप से अलग हैं.
विपक्षी एकता केवल मुखौटा हैः प्रशांत किशोर
दिग्गज चुनावी रणनीतिकार ने राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के फायदों पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता एक मुखौटा है और सिर्फ पार्टियों या नेताओं को एक साथ लाने से यह संभव नहीं होगा. उन्होंने कहा, “यदि आप भाजपा को चुनौती देना चाहते हैं, तो आपको इसकी ताकत – हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और कल्याणवाद को समझना होगा. यह एक तीन-स्तरीय स्तंभ है. यदि आप इनमें से कम से कम दो स्तरों पर जीत हासिल नहीं कर पाते हैं, तो आप बीजेपी को चुनौती नहीं दे सकते.”
विचारधाराओं का गठबंधन होना जरूरीः प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने एनडीटीवी को एक विशेष इंटरव्यू में कहा, “हिंदुत्व की विचारधारा से लड़ने के लिए विचारधाराओं का गठबंधन होना चाहिए. गांधीवादी, अंबेडकरवादी, समाजवादी, कम्युनिस्ट विचारधारा बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन आप विचारधारा के आधार पर अंधविश्वास नहीं रख सकते.” इसके अलावा उन्होंने कहा, “मीडिया में आप लोग विपक्षी गठबंधन को दलों या नेताओं के एक साथ आने के रूप में देख रहे हैं. कौन किसके साथ लंच कर रहा है, किसे चाय पर आमंत्रित किया गया है. मैं इसे विचारधारा के गठन में देखता हूं.
गांधी की कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की कोशिशः प्रशांत किशोर
उन्होंने कहा कि उनकी अपनी विचारधारा, “महात्मा गांधी की विचारधारा” है और बिहार “जन सुराज यात्रा” “गांधी की कांग्रेस की विचारधारा को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है.” चुनावी रणनीतिकार, जिनका सीवी 2014 से चुनावी जीत से भरा हुआ है, “जन सुराज यात्रा” में बिहार का दौरा कर रहे हैं, उनका कहना है कि यह राज्य को समझने और एक नई राजनीतिक व्यवस्था बनाने का एक प्रयास है.
बिहार में जन-सुराज यात्रा कर रहे हैं प्रशांत किशोर
“पीके” के नाम से जाने जाने वाले प्रशांत किशोर ने कहा, “यह नियति और बिहार के चारों ओर प्रवचन को बदलने के लिए है. बिहार जाति-ग्रस्त राजनीति और कई गलत कारणों के लिए जाना जाता है. लेकिन अब वक्त आ गया है कि बाहर के लोग जानें की बिहार के लोग क्या करने में सक्षम हैं.’ कांग्रेस को पुनर्जीवित करने की योजना की पेशकश के बाद उनके और गांधी परिवार के बीच मतभेद पर, पीके ने कहा, “मेरा लक्ष्य कांग्रेस का पुनर्जन्म था. उनका लक्ष्य चुनाव जीतना था. जिस तरह से वे चाहते थे, हम उस पर सहमत नहीं थे.”
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