नई दिल्ली. बीजू जनता दल (BJD) के नेता नवीन पटनायक ने कहा है कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव में उनकी पार्टी उम्मीदवार देखकर ही फैसला करेगी कि किसे समर्थन देना है, किसे नहीं. एनडीटीवी से बातचीत में नवीन पटनायक ने 2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर विपक्षी दलों की तरफ से ‘तीसरा मोर्चा’ बनाए जाने की अटकलों पर भी बात की. उन्होंने कहा कि वह इसमें शामिल होंगे या नहीं, यह तभी तय होगा, जब यह मामला हमारे सामने आएगा. इसके बारे में अभी से कुछ कहना बहुत जल्दबाजी होगी. वैसे भी हम किसी भी राजनीतिक गठबंधन से खुद को स्वतंत्र रखने पर ज्यादा तवज्जो देते हैं.
राष्ट्रपति चुनाव इस साल जुलाई में होने हैं. एनडीए को अपने प्रत्याशी की जीत सुनिश्चित करने के लिए नवीन पटनायक की बीजेडी या फिर जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन की जरूरत पड़ेगी. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, इस चुनाव में जीत के लिए 549,452 वोटों की जरूरत होगी. एनडीए अभी 9000 वोट यानी करीब 1.2 फीसदी वोट पीछे दिखाई दे रहा है. बीजू जनता दल के दोनों सदनों में 21 सांसद हैं. यानी राष्ट्रपति चुनाव में उनके पास 3.2 प्रतिशत वोट हैं. अगर एनडीए को पिछली बार की तरह उनका साथ मिलता हो तो उसके प्रत्याशी की जीत पक्की हो सकती है.
रामनाथ कोविंद को मिले थे 65.65% वोट
2017 के राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की तरफ से मैदान में उतारे गए रामनाथ कोविंद को 65.65 फीसदी वोट मिले थे. तब विपक्ष ने मीरा कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उन्हें 34.35 प्रतिशत वोट ही मिल पाए थे. बता दें कि राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए होता है, जिसमें दोनों सदनों के 776 सांसद और 4120 विधायक होते हैं. हर सांसद के वोट की वैल्यू 708 के बराबर होती है. जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू उनके राज्य की आबादी और सीटों की संख्या के हिसाब से अलग-अलग रहती है.
2017 के बाद बदल गई है सियासी तस्वीर
2017 से लेकर 2022 में देश की राजनीतिक तस्वीर काफी कुछ बदल चुकी है और राष्ट्रपति चुनाव का गणित भी. उस समय 21 राज्यों में एनडीए की सरकार थी. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, 10 मार्च के बाद का आंकड़ा देखें तो अब 17 राज्यों में एनडीए की सरकारें हैं, जिनका देश के 44 फीसदी इलाके और 49.6 फीसदी आबादी पर शासन है. बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के हाथों से महाराष्ट्र, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में सत्ता फिसल चुकी है. छत्तीसगढ़ और झारखंड भी उसके पाले में नहीं हैं. टीडीपी, शिवसेना और अकाली दल जैसे सहयोगियों ने भी बीजेपी का साथ छोड़ दिया है. हालांकि बिहार में जेडीयू उसके साथ आई है.
NDA को चाहिए बीजेडी, YSR कांग्रेस का साथ
ऐसे हालात को देखते हुए बीजेपी नीत एनडीए के लिए राष्ट्रपति चुनाव में बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस का साथ जरूरी हो गया है. 2017 के चुनाव में एनडीए प्रत्याशी रामनाथ कोविंद के पक्ष में वोट करने वाली बीजेडी 2022 के चुनाव में अपना रुख अभी साफ नहीं कर रही है. इस बारे में एनडीटीवी के सवाल के जवाब में नवीन पटनायक ने कहा कि पहले हम देखेंगे कि उम्मीदवार कौन है, वह ज्यादा जरूरी है. तभी हम कोई फैसला लेंगे. हालांकि अभी तक इस बारे में कोई बात नहीं हुई है.
विपक्ष साझा उम्मीदवार उतारने की तैयारी में
नवीन पटनायक का ये बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि विपक्षी दल राष्ट्रपति चुनाव में अपना साझा उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं. इसमें ममता बनर्जी की टीएमसी, एमके स्टालिन की डीएमके, उद्धव ठाकरे की शिवसेना, के. चंद्रशेखर राव की टीआरएस की प्रमुख भूमिका रह सकती है. ममता बनर्जी तो 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी एकता की बातें कई बार दोहरा चुकी हैं. हालांकि टीआरएस के के. चंद्रशेखर राव अलग राजनीतिक मोर्चा बनाने के प्रति अनिच्छा जता चुके हैं. उनका कहना था कि पहले से ही कई मोर्चे हैं और इतिहास बताता है कि उनका ज्यादा कुछ फायदा नहीं होता है.
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