युवराज सिंह को झटका! SC-ST एक्ट में दर्ज FIR और जांच पर रोक लगाने से हाईकोर्ट ने किया इनकार

युवराज सिंह पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है (फाइल फोटो)
Yuvraj Singh : हालांकि कोर्ट ने युवराज सिंह को अंतरिम राहत देते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि वह 4 सप्ताह के अंदर अपना जवाब दाखिल करें. कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि इस दौरान वह युवराज सिंह के खिलाफ कोई भी सख्त कार्रवाई न करें.
- News18Hindi
- Last Updated: February 26, 2021, 10:26 AM IST
नई दिल्ली/चंडीगढ़. टीम इंडिया के पूर्व बल्लेबाज युवराज सिंह द्वारा दलित समाज को लेकर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी पर उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. गुरुवार को पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए युवराज सिंह के खिलाफ एफआईआर और जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.
हालांकि कोर्ट ने युवराज सिंह को अंतरिम राहत देते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि वह 4 सप्ताह के अंदर अपना जवाब दाखिल करें. कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि इस दौरान वह युवराज सिंह के खिलाफ कोई भी सख्त कार्रवाई न करें.
हाईकोर्ट के न्यायाधीश अनमोल रतन सिंह की बेंच के समक्ष सुनवाई में युवराज सिंह की तरफ से पेश अधिवक्ता वैभव जैन ने दलील देते हुए कहा कि पूर्व बल्लेबाज ने भंगी शब्द का प्रयोग भांग पीने वालों के संदर्भ में किया था. रतन सिंह ने कहा कि युवराज सिंह की अनुसूचित जाति समाज को अपमानित करने की कोई नियत नहीं थी. उन्होंने शिकायतकर्ता रजत कलसन पर आरोप लगाया कि उन्होंने सेलिब्रिटी और वीआईपी के खिलाफ 45 शिकायतें दाखिल की हुई हैं. उन्होंने युवराज सिंह पर दर्ज एफआईआर और पुलिस जांच पर रोक लगाने की मांग की.
भंगी एक जाति का नाम है...
वहीं, शिकायतकर्ता रजत कलसन की तरफ से पेश अधिवक्ता अर्जुन श्योराण ने कोर्ट में कहा कि जाब व हरियाणा सरकार द्वारा जारी अनुसूचित जातियों की सूची में भंगी एक विशेष जाति का नाम है. उन्होंने कहा कि क्रिकेटर युवराज सिंह के देश-दुनिया में करोड़ों प्रशंसक हैं. युवराज ने अपने एक साथी को गाली देते समय में जाति विशेष के नाम का प्रयोग किया है, जिससे लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची हैं. अर्जुन श्योराण ने कोर्ट में कहा कि युवराज सिंह काफी प्रभावशाली शख्त हैं, इसीलिए उन्होंने अपने खिलाफ 8 महीने तक कोई केस दर्ज नहीं होने दिया. उन्होंने कहा कि अब जब युवराज के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है तो वो उसे खारिज करने की मांग कर रहे हैं, जो सही नहीं है.
वहीं, इस मामले में शिकायतकर्ता रजत कलसन द्वारा नामचीन हस्तियों के खिलाफ की गई 39 शिकायतों के जवाब में अर्जुन श्योराण ने कहा कि भारत का एक जागरूक नागरिक होने के नाते ये उनका फर्ज है कि वो वंचित समाज को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने वाले लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाए. अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि देश की किसी भी नामचीन हस्ती को अधिकार नहीं है कि अनुसूचित जाति के लोगों का सार्वजनिक अपमान करें.
आखिरकार क्या है पूरा मामला?
उल्लेखनीय है कि बीते साल जून महीने में युवराज सिंह भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा के साथ लाइव वेब चैट कर रहे थे तभी उन्होंने जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया था. इंस्टाग्राम पर लाइव चैट में युवराज और रोहित बात कर रहे थे. इस दौरान युवराज ने युजवेंद्र चहल पर जातिसूचक टिप्पणी की थी, जिसके बाद काफी बवाल मचा था. लोगों की नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर बकायदा #युवराजसिंहमाफी_मांगो टॉप ट्रेंड में रहा. इसके बाद युवराज को माफी तक मांगनी पड़ी थी.
हालांकि कोर्ट ने युवराज सिंह को अंतरिम राहत देते हुए पुलिस को निर्देश दिया कि वह 4 सप्ताह के अंदर अपना जवाब दाखिल करें. कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि इस दौरान वह युवराज सिंह के खिलाफ कोई भी सख्त कार्रवाई न करें.
हाईकोर्ट के न्यायाधीश अनमोल रतन सिंह की बेंच के समक्ष सुनवाई में युवराज सिंह की तरफ से पेश अधिवक्ता वैभव जैन ने दलील देते हुए कहा कि पूर्व बल्लेबाज ने भंगी शब्द का प्रयोग भांग पीने वालों के संदर्भ में किया था. रतन सिंह ने कहा कि युवराज सिंह की अनुसूचित जाति समाज को अपमानित करने की कोई नियत नहीं थी. उन्होंने शिकायतकर्ता रजत कलसन पर आरोप लगाया कि उन्होंने सेलिब्रिटी और वीआईपी के खिलाफ 45 शिकायतें दाखिल की हुई हैं. उन्होंने युवराज सिंह पर दर्ज एफआईआर और पुलिस जांच पर रोक लगाने की मांग की.

वहीं, शिकायतकर्ता रजत कलसन की तरफ से पेश अधिवक्ता अर्जुन श्योराण ने कोर्ट में कहा कि जाब व हरियाणा सरकार द्वारा जारी अनुसूचित जातियों की सूची में भंगी एक विशेष जाति का नाम है. उन्होंने कहा कि क्रिकेटर युवराज सिंह के देश-दुनिया में करोड़ों प्रशंसक हैं. युवराज ने अपने एक साथी को गाली देते समय में जाति विशेष के नाम का प्रयोग किया है, जिससे लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंची हैं. अर्जुन श्योराण ने कोर्ट में कहा कि युवराज सिंह काफी प्रभावशाली शख्त हैं, इसीलिए उन्होंने अपने खिलाफ 8 महीने तक कोई केस दर्ज नहीं होने दिया. उन्होंने कहा कि अब जब युवराज के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है तो वो उसे खारिज करने की मांग कर रहे हैं, जो सही नहीं है.
वहीं, इस मामले में शिकायतकर्ता रजत कलसन द्वारा नामचीन हस्तियों के खिलाफ की गई 39 शिकायतों के जवाब में अर्जुन श्योराण ने कहा कि भारत का एक जागरूक नागरिक होने के नाते ये उनका फर्ज है कि वो वंचित समाज को सार्वजनिक रूप से अपमानित करने वाले लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाए. अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि देश की किसी भी नामचीन हस्ती को अधिकार नहीं है कि अनुसूचित जाति के लोगों का सार्वजनिक अपमान करें.

आखिरकार क्या है पूरा मामला?
उल्लेखनीय है कि बीते साल जून महीने में युवराज सिंह भारतीय टीम के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा के साथ लाइव वेब चैट कर रहे थे तभी उन्होंने जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया था. इंस्टाग्राम पर लाइव चैट में युवराज और रोहित बात कर रहे थे. इस दौरान युवराज ने युजवेंद्र चहल पर जातिसूचक टिप्पणी की थी, जिसके बाद काफी बवाल मचा था. लोगों की नाराजगी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर बकायदा #युवराजसिंहमाफी_मांगो टॉप ट्रेंड में रहा. इसके बाद युवराज को माफी तक मांगनी पड़ी थी.