भारत के बंंटवारे के समय का एक दृश्य. ( फाइल फोटो )
चंडीगढ़. इंग्लैंड में रह रहे विभिन्न पंजाबी संगठनों (Various Punjabi organizations of England) ने भारत के बंटवारे के दौरान मारे गए एक लाख से ज्यादा पंजाबियों और लोगों के बेघर होने के लिए ब्रिटिश सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. पंजाबी संगठनों का आरोप है कि ब्रिटिश संसद (British Parliament) द्वारा भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 (Indian Independence Act 1947) के पारित होने के बाद भारत का विभाजन हुआ जिस कारण पंजाबियों का कत्लेआम हुआ. यूके स्थित पंजाबी भाषा जागरूकता बोर्ड (पीएलएबी) (Punjabi Language Awareness Board) (PLAB) के निदेशक हरमीत सिंह भकना ने कहा कि इसके लिए ब्रिटिश सरकार को माफी मांगनी चाहिए.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक भकना ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि 1947 में ब्रिटिश संसद में पारित किया गया अधिनियम भारत की स्वतंत्रता के लिए एक सराहनीय और अति आवश्यक कदम था, लेकिन ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा पंजाब का विभाजन बहुत ही ज्यादा आपत्तिजनक था. उन्होंने कहा कि पंजाब के विभाजन के कारण लाखों पंजाबी भाषी लोग मारे गए और लाखों ही लोगों को अपने घर परिवार और जमीन से वंचित होना पड़ा. भकना ने कहा कि ब्रिटिश सरकार से माफी मंगवाने के लिए यूके में रह रहे पंजाबी संगठन जल्द ही एक अभियान शुरू करेंगे.
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गौरतलब है कि भारत के विभाजन और दो नए राष्ट्रों पाकिस्तान और भारत के निर्माण की घोषणा 14 और 15 अगस्त को लॉर्ड माउंटबेटन ने की थी. इस विभाजन में न केवल भारतीय उपमहाद्वीप के दो टुकड़े किये गए बल्कि बंगाल का भी विभाजन किया गया और बंगाल के पूर्वी हिस्से को भारत से अलग कर पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) बना दिया गया. वहीं पंजाब का विभाजन कर पाकिस्तान का निर्माण हुआ.
इस विभाजन में रेलवे, फौज, ऐतिहासिक धरोहर, केंद्रीय राजस्व, सबका बराबरी से बंटवारा किया गया. भारतीय महाद्वीप के इस विभाजन में जिन मुख्य लोगों ने हिस्सा लिया वो थे मोहम्मद अली जिन्ना, लार्ड माउंट बेटन, सीरिल रैडक्लिफ़, जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी एवं दोनों संगठनों (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग) के कुछ मुख्य कार्यकर्ता शामिल थे. इन सब में सबसे अहम व्यक्ति सीरिल रेडक्लिफ थे जिन्हें ब्रिटिश हुकूमत ने भारत-पाकिस्तान के विभाजन रेखा की जिम्मेदारी सौंपी थी.
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