राहुल गांधी ने लोकसभा में गौतम अडाणी के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की. (फोटो- Sansad TV grab)
नई दिल्ली. राहुल गांधी ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों में ‘राफेल’ को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया था, लेकिन इसमें उन्हें असफलता ही हाथ लगी, क्योंकि वोटरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनके ‘चौकीदार चोर है’ के नारे को खारिज कर दिया. इस बार 2024 के चुनावों के लिए राहुल गांधी ने एक नया चुनावी मुद्दा चुना है- ‘अडानी’.
संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान बुधवार को राहुल गांधी के लंबे संबोधन से यह साफ हो गया कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में उनका मुख्य मुद्दा कारोबारी गौतम अडानी होने वाले हैं. लोकसभा में उनके संबोधन का ज्यादातर हिस्सा अदानी पर ही केंद्रित था. वर्ष 2019 और अब 2024 में, राहुल गांधी का प्रयास वही है– नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार या पक्षपात का कुछ दाग लगाने का.
हालांकि, यहां एक अड़चन है जो राहुल गांधी द्वारा सरकार के खिलाफ यह नैरेटिव बनाने की कोशिश को कुंद कर सकती है. दरअसल कांग्रेस और अन्य बीजेपी प्रतिद्वंद्वियों द्वारा शासित कई राज्य भी अडानी समूह के साथ बड़े कारोबार में हैं. वास्तव में बीजेपी इस मोर्चे पर राहुल गांधी पर हमला करने के लिए तैयार है और उन्हें राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों को अडानी समूह के साथ अपने सभी निवेश संबंधों को खत्म करने का निर्देश देने की चुनौती दे रही है.
2019 का अभियान
राहुल गांधी ने नवंबर 2018 में चुनावी राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में रैलियों के दौरान ‘चौकीदार चोर है’ का नारा देते हुए प्रधानमंत्री मोदी पर फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमान के खरीद सौदे में भ्रष्टाचार और पक्षपात का आरोप लगाया. कांग्रेस ने इन तीनों राज्यों के चुनाव में जीत हासिल की, लेकिन 2019 के आम चुनावों में पार्टी की किस्मत पूरी तरह पलट गई.
पीएम मोदी ने राहुल गांधी के इस नारे को सीधे चुनौती देने का फैसला किया और बीजेपी ने प्रधानमंत्री को वापस लाने के लिए अपना चुनावी नारा ‘मैं भी चौकीदार’ शुरू किया. पीएम मोदी ने मतदाताओं से पूछा कि ‘क्या उन्हें लगता है कि वह किसी अन्य सरकार के साथ सीधे किए गए रक्षा सौदे में कुछ भी गलत कर सकते हैं.’ बीजेपी के एक शीर्ष नेता कहते हैं, ‘वोटरों ने राहुल गांधी के आरोप को स्वीकारने से इनकार कर दिया कि मोदी भ्रष्ट हैं. मतदान केंद्र पर इसे पूरी तरह से खारिज कर दिया गया.’
वर्ष 2020 में चीन के साथ शुरू हुए तनाव को देखते हुए राफेल अधिग्रहण तब से एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय सुरक्षा संपत्ति साबित हुआ है. दरअसल राहुल गांधी ने 2014 के उस खेल को पलटने की कोशिश की थी, जब भ्रष्टाचार और घोटालों के आरोपों पर यूपीए सरकार को घेरा गया था, लेकिन ये आरोप मोदी पर टिके नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने आगे चलकर वर्ष 2021 में राफेल डील में मोदी सरकार को क्लीन चिट देते हुए उस अध्याय को समाप्त कर दिया.
अदानी और 2024
2024 के लोकसभा चुनावों से एक साल पहले, अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट कांग्रेस के लिए एक वरदान के रूप में आई है, जो मोदी सरकार के खिलाफ एक नैरेटिव तलाश रही है. बुधवार को संसद में राहुल गांधी का आरोप मुख्य रूप से इस बात पर घूमता रहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से अडानी की संपत्तियों में किस तरह इजाफा हुआ. इस दौरान उन्होंने गुजरात के उनके पुराने नाते का भी हवाला दिया, जिस पर बीजेपी आपत्ति जताती रही.
जिस तरह बीजेपी ने 2014 से पहले 2जी और कोलगेट जैसे कथित घोटालों को लेकर संसद में यूपीए सरकार को घेरा था, उसी तरह कांग्रेस अब अडानी मामले की संयुक्त संसदीय समिति (सीपीसी) से जांच की मांग कर रही है. बीजेपी इसके खिलाफ तर्क दे रही है कि एलआईसी और एसबीआई जैसी सरकारी संस्थाओं का अडानी समूह में एक्सपोजर 1% से भी कम है और यह मामला किसी भी तरह से सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़ा नहीं है.
वास्तव में, बीजेपी दृढ़ता से इस बात को उठाएगी कि कांग्रेस और दूसरी विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित राज्य अडानी ग्रुप के साथ व्यापार कर रहे हैं और यह उनके द्वारा दोगलेपन का एक उत्कृष्ट मामला है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दो महीने पहले ही राज्य के एक निवेशक समिट में अडानी के लिए रेड कार्पेट बिछाया था, जिससे कांग्रेस के आला नेताओं में खलबली मच गई थी. बीजेपी के नेता भारत के खिलाफ एक ‘अंतरराष्ट्रीय साजिश’ के प्वाइंट को हवा दे रहे हैं, जिसमें ‘भारत की सफलता की कहानी’ को नकारने के लिए एक शॉर्ट-सेलर की रिपोर्ट को ‘शाश्वत सत्य’ के रूप में पेश किया जा रहा है.
वहीं कांग्रेस इसका हवाला देते हुए कह रही है कि बीजेपी अडानी का बचाव कर रही है. ऐसे में सवाल ह है कि क्या ‘अडानी’ 2024 में राहुल के लिए एक चुनावी मुद्दे के रूप में कारगर साबित होंगे या 2019 में राफेल जैसा ही इसका भी भाग्य होगा?
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