राज्यसभा में जलियांवाला बाग बिल पास, अब कांग्रेस अध्यक्ष को नहीं मिलेगी ट्रस्ट में जगह
News18Hindi Updated: November 20, 2019, 12:09 AM IST

जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 मंगलवार को राज्यसभा में पास हो गया.
जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल संशोधन बिल 2019 (Jallianwala Bagh National Memorial (Amendment) Bill 2019) का विरोध जताते हुए विपक्ष ने कहा कि 13 अप्रैल 1919 को हुए इस जघन्य हत्याकांड के बाद कांग्रेस की पहल पर जलियांवाला बाग ट्रस्ट का गठन किया गया था.
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- Last Updated: November 20, 2019, 12:09 AM IST
नई दिल्ली. राज्यसभा (Rajya Sabha) में सोमवार को जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल संशोधन बिल 2019 (Jallianwala Bagh National Memorial (Amendment) Bill 2019) पास हो गया है. यह बिल अगस्त में ही लोकसभा से पास हो गया था. मंगलवार को इसे राज्यसभा में चर्चा के लिए लाया गया जिसके बाद इसे बहुमत से पास कर दिया गया. इस संशोधन बिल में जलियांवाला बाग नेशनल मेमोरियल के ट्रस्ट में कांग्रेस के अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के तौर पर हटाने का प्रावधान है.
इस बिल के पास होने से पहले संसद में भारी हंगामा भी हुआ. संसद में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से जलियांवाला बाग ट्रस्ट से न्यासी मंडल से कांग्रेस अध्यक्ष को पदेन स्थायी सदस्य बनाने के प्रावधान को खत्म करने के कानूनी प्रस्ताव को वापस लेने का अनुरोध किया.
कांग्रेस की पहल पर हुआ था ट्रस्ट का गठन
राज्यसभा में मंगलवार को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने जलियांवाला बाग से कांग्रेस के भावनात्मक लगाव को इतिहास का सच बताते हुए कहा कि 13 अप्रैल 1919 को हुए इस जघन्य हत्याकांड के बाद कांग्रेस की पहल पर जलियांवाला बाग ट्रस्ट का गठन किया गया था.उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड के खिलाफ देश भर में उपजे आक्रोश के कारण कांग्रेस की अगुआई में आजादी का संग्राम शुरू हुआ और जलियांवाला बाग की कड़वी यादों को संजोने के लिए बने ट्रस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया.
कांग्रेस ने की अध्यक्ष को सदस्य पद से न हटाने की मांग
बाजवा ने कहा, ‘‘इस स्थल से हमारा भावनात्मक रिश्ता है, सरकार को बड़ा दिल दिखाते हुए इस ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को नहीं हटाना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि ट्रस्ट से किसी न्यासी को हटाने का अधिकार सरकार को देने का प्रावधान भी उचित नहीं है.
गौरतलब है कि दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरू होने पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 को चर्चा के लिए सदन के पटल पर प्रस्तुत किया. उन्होंने लोकसभा द्वारा यह विधेयक पहले ही पारित किये जाने का हवाला देते हुए सदन से इसमें शामिल तीन मामूली संशोधन प्रस्तावों को मंजूरी देने की अपील की.
पटेल ने कहा कि ये संशोधन ट्रस्ट में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष या दूसरे सबसे बड़े दल के नेता को शामिल करने, कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के पद को ट्रस्ट से हटाने और पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले किसी भी न्यासी को निलंबित करने का सरकार को अधिकार देने से संबंधित हैं.
बीजद के प्रसन्न आचार्य और तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने सरकार से कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रस्ट से हटाने का संशोधन प्रस्ताव वापस लेने का सुझाव दिया.
रामगोपाल यादव ने भी किया कांग्रेस का समर्थन
सपा के रामगोपाल यादव ने भी सरकार से जलियांवाला बाग ट्रस्ट से किसी को हटाने के बजाय इस ऐतिहासिक स्थल को यादगार बनाने, शहीदों के परिजनों को ट्रस्ट में शामिल करने और उन्हें उचित सुविधायें मुहैया कराने पर ध्यान देने का सुझाव दिया.
विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार से संसद भवन और जलियांवाला बाग में शहीद ऊधम सिंह की प्रतिमा लगाने तथा उन्हें भारत रत्न देने की मांग की.
भाजपा के श्वेत मलिक, जदयू के आरसीपी सिंह और अन्नाद्रमुक के एस मुत्थुकुमारुपन ने संशोधन प्रस्तावों का स्वागत करते हुए कहा कि इतिहास को बदलने की विपक्ष की चिंता व्यर्थ है. मलिक ने कहा कि जलियांवाला बाग में 70 सालों से व्याप्त बदहाली बताती है कि कांग्रेस की चिंता सिर्फ ट्रस्ट में अपने लोगों को शामिल कराने तक सीमित रही.
(भाषा के इनपुट के साथ)
ये भी पढ़ें- कांग्रेस बोली- गांधी परिवार पर कोई हमला हुआ तो बीजेपी होगी जिम्मेदार
इस बिल के पास होने से पहले संसद में भारी हंगामा भी हुआ. संसद में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से जलियांवाला बाग ट्रस्ट से न्यासी मंडल से कांग्रेस अध्यक्ष को पदेन स्थायी सदस्य बनाने के प्रावधान को खत्म करने के कानूनी प्रस्ताव को वापस लेने का अनुरोध किया.
कांग्रेस की पहल पर हुआ था ट्रस्ट का गठन
राज्यसभा में मंगलवार को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने जलियांवाला बाग से कांग्रेस के भावनात्मक लगाव को इतिहास का सच बताते हुए कहा कि 13 अप्रैल 1919 को हुए इस जघन्य हत्याकांड के बाद कांग्रेस की पहल पर जलियांवाला बाग ट्रस्ट का गठन किया गया था.उन्होंने कहा कि इस हत्याकांड के खिलाफ देश भर में उपजे आक्रोश के कारण कांग्रेस की अगुआई में आजादी का संग्राम शुरू हुआ और जलियांवाला बाग की कड़वी यादों को संजोने के लिए बने ट्रस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के रूप में शामिल किया गया.
कांग्रेस ने की अध्यक्ष को सदस्य पद से न हटाने की मांग
बाजवा ने कहा, ‘‘इस स्थल से हमारा भावनात्मक रिश्ता है, सरकार को बड़ा दिल दिखाते हुए इस ट्रस्ट से कांग्रेस अध्यक्ष को नहीं हटाना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि ट्रस्ट से किसी न्यासी को हटाने का अधिकार सरकार को देने का प्रावधान भी उचित नहीं है.

कांग्रेस ने राज्यसभा में इस बिल का विरोध किया. (जलियांवाला बाग की फाइल फोटो)
गौरतलब है कि दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरू होने पर पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक (संशोधन) विधेयक 2019 को चर्चा के लिए सदन के पटल पर प्रस्तुत किया. उन्होंने लोकसभा द्वारा यह विधेयक पहले ही पारित किये जाने का हवाला देते हुए सदन से इसमें शामिल तीन मामूली संशोधन प्रस्तावों को मंजूरी देने की अपील की.
पटेल ने कहा कि ये संशोधन ट्रस्ट में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष या दूसरे सबसे बड़े दल के नेता को शामिल करने, कांग्रेस अध्यक्ष को स्थायी सदस्य के पद को ट्रस्ट से हटाने और पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले किसी भी न्यासी को निलंबित करने का सरकार को अधिकार देने से संबंधित हैं.
बीजद के प्रसन्न आचार्य और तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने सरकार से कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रस्ट से हटाने का संशोधन प्रस्ताव वापस लेने का सुझाव दिया.
रामगोपाल यादव ने भी किया कांग्रेस का समर्थन
सपा के रामगोपाल यादव ने भी सरकार से जलियांवाला बाग ट्रस्ट से किसी को हटाने के बजाय इस ऐतिहासिक स्थल को यादगार बनाने, शहीदों के परिजनों को ट्रस्ट में शामिल करने और उन्हें उचित सुविधायें मुहैया कराने पर ध्यान देने का सुझाव दिया.
विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार से संसद भवन और जलियांवाला बाग में शहीद ऊधम सिंह की प्रतिमा लगाने तथा उन्हें भारत रत्न देने की मांग की.
भाजपा के श्वेत मलिक, जदयू के आरसीपी सिंह और अन्नाद्रमुक के एस मुत्थुकुमारुपन ने संशोधन प्रस्तावों का स्वागत करते हुए कहा कि इतिहास को बदलने की विपक्ष की चिंता व्यर्थ है. मलिक ने कहा कि जलियांवाला बाग में 70 सालों से व्याप्त बदहाली बताती है कि कांग्रेस की चिंता सिर्फ ट्रस्ट में अपने लोगों को शामिल कराने तक सीमित रही.
(भाषा के इनपुट के साथ)
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First published: November 19, 2019, 10:41 AM IST