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रेप मामलों की सुनवाई के लिये बनेंगे स्पीड कोर्ट, मसौदा तैयार

प्रतीकात्मक फोटो

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गृह सचिव के साथ चर्चा के बाद विधि मंत्रालय के न्याय विभाग ने बलात्कार के मामलों में सुनवाई के लिये ‘विशेष त्वरित अदालतो ...अधिक पढ़ें

    विधि मंत्रालय ने बलात्कार के मामलों की सुनवाई के लिये स्पीड कोर्ट के गठन का प्रस्ताव तैयार किया है. यह इन मामलों में बेहतर जांच और तेज अभियोजन के लिये आधारभूत ढांचा मजबूत करने की योजना का हिस्सा है.

    गृह सचिव के साथ चर्चा के बाद विधि मंत्रालय के न्याय विभाग ने बलात्कार के मामलों में सुनवाई के लिये ‘विशेष त्वरित अदालतों’ के गठन हेतु एक योजना का मसौदा तैयार किया है.

    विभाग ने 14 जून को कैबिनेट सचिव को जानकारी दी थी कि मसौदा तैयार है और इसे विधि मंत्री की मंजूरी का इंतजार है. नई योजना हाल में लागू उस अध्यादेश का हिस्सा है जिसमें 12 साल तक की बच्चियों के रेप के दोषियों को मृत्युदंड का प्रावधान किया गया था.

    आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश के जरिये आईपीसी, सीआरपीसी, साक्ष्य अधिनियम और बाल यौन अपराध संरक्षण कानून में संशोधन हुआ था. अध्यादेश लाते हुये सरकार ने राज्यों में बलात्कार के मामलों की सुनवाई के लिये ‘उचित’ संख्या में त्वरित अदालतों के गठन की योजना तैयार करने का फैसला किया था.

    योजना में भौतिक आधारभूत ढांचे और अभियोजन मशीनरी को मजबूत करना, निचली अदालतों के लिये न्यायिक अधिकारियों की पर्याप्त संख्या का प्रावधान, लोक अभियोजकों, विशेष जांचकर्ताओं और विशेष फॉरेंसिक किटों के अतिरिक्त पदों की व्यवस्था शामिल होगी. यह प्रस्ताव जल्द ही कैबिनेट के सामने आने की उम्मीद है.

    एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि महिलाओं, अनुसूचित जाति-जनजाति, वंचितों और वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित मामलों की सुनवाई के लिये देश में करीब 524 त्वरित अदालतें पहले से ही संचालित हो रही हैं.

    अधिकारी ने कहा कि अध्यादेश के तहत प्रस्तावित विशेष त्वरित अदालतें विशेष रूप से बलात्कार और बच्चों से बलात्कार के मामलों पर गौर करेंगी.

    अप्रैल में सरकार ने 12 साल तक की बच्चियों के रेप के दोषियों को मृत्युदंड सहित कड़ी सजा के प्रावधान वाला अध्यादेश लागू किया था. यह अध्यादेश कठुआ और सूरत में नाबालिगों के यौन उत्पीड़न, हत्या और उन्नाव में एक लड़की के बलात्कार के मामलों को लेकर राष्ट्रव्यापी आक्रोश के बीच लाया गया था.

    आपराधिक विधि (संशोधन) अध्यादेश के अनुसार, नई त्वरित अदालतें इन मामलों से निपटने के लिये गठित होंगी और सभी थानों तथा अस्पतालों को भविष्य में विशेष फारेंसिक किटें दी जायेंगी.

    अधिकारियों ने कहा कि सभी बलात्कार मामलों की सुनवाई पूरी करने के लिये समयसीमा दो महीने होगी. इन मामलों में अपीलों के निपटारे के लिये छह महीने की समयसीमा भी तय की गई है.

     

    Tags: Kathua rape case

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