अदालत में लटक सकता है REET-2021, हाईकोर्ट ने गहलोत सरकार से मांगा जवाब

जवाब पेश करने सरकार ने कोर्ट से समय मांगा है.
राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने रीट नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राजस्थान सरकार से जवाब मांग है. अब अदालत इस मामलें में 2 फरवरी को अगली सुनवाई करेगी.
- News18 Rajasthan
- Last Updated: January 19, 2021, 5:05 PM IST
जयपुर. राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा (REET) 2021 भी अब अदालत में फंसती हुई नजर आ रही है. मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने रीट नोटिफिकेशन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राज्य सरकार व अन्य से जवाब मांगा. जस्टिस सबीना की खंडपीठ ने प्रमुख शासन सचिव शिक्षा, निदेशक प्राम्भिक शिक्षा, कॉर्डिनेटर रीट और चैयरमेन एनसीटीई को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किय. अब अदालत इस मामलें में 2 फरवरी को अगली सुनवाई करेगी.
पूरे मामलें में राज्य सरकार की ओर से जवाब देने के लिए समय मांगा गया है. दअरसल, सरकार की ओर से मामलें में पहले से ही कैवियट दायर कर दी गई थी. इसके चलते सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सीएल सैनी सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद थे. नोटिस जारी होने पर उन्होंने अदालत से जवाब देने के लिए समय मांग लिया. मामलें में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता कलीम अहमद खान, गीतेश जोशी, रामप्रताप सैनी और अन्य ने पैरवी की.
ये भी पढ़ें: आगरा के मेडिकल कॉलेज में अराजक तत्वों ने की जमकर तोड़फोड़, दीवार गिराई, गेट भी उखाड़ फेंका
भर्ती से पहले ही गाइडलाइन को चुनौतीयाचिकाओं में एनसीटीई की 23 अगस्त 2010 की गाइडलाइन को चुनौती दी गई है. इसमें एनसीटीई की गाइडलाइन को असंवैधानिक घोषित करने और गाइडलाइन को गलत बताते हुए उसके आधार पर रीट नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है. साथ ही बीएड धारकों को फर्स्ट लेवल से बाहर करते हुए केवल बीएसटीसी धारकों को शामिल करने को भी याचिका में आधार बनाया गया है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कलीम अहमद खान ने बताया कि आरटीई कानून कहता है कि बच्चों को उच्चस्तरीय और गुणवत्ता युक्त शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है, लेकिन रीट लेवल फर्स्ट में बीएड धारकों व उच्च योग्यता वालों को शामिल नहीं करना संविधान के प्रावधानों के अनुसार गलत है.
पूरे मामलें में राज्य सरकार की ओर से जवाब देने के लिए समय मांगा गया है. दअरसल, सरकार की ओर से मामलें में पहले से ही कैवियट दायर कर दी गई थी. इसके चलते सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सीएल सैनी सुनवाई के दौरान कोर्ट में मौजूद थे. नोटिस जारी होने पर उन्होंने अदालत से जवाब देने के लिए समय मांग लिया. मामलें में याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता कलीम अहमद खान, गीतेश जोशी, रामप्रताप सैनी और अन्य ने पैरवी की.
ये भी पढ़ें: आगरा के मेडिकल कॉलेज में अराजक तत्वों ने की जमकर तोड़फोड़, दीवार गिराई, गेट भी उखाड़ फेंका
भर्ती से पहले ही गाइडलाइन को चुनौतीयाचिकाओं में एनसीटीई की 23 अगस्त 2010 की गाइडलाइन को चुनौती दी गई है. इसमें एनसीटीई की गाइडलाइन को असंवैधानिक घोषित करने और गाइडलाइन को गलत बताते हुए उसके आधार पर रीट नोटिफिकेशन को रद्द करने की मांग की गई है. साथ ही बीएड धारकों को फर्स्ट लेवल से बाहर करते हुए केवल बीएसटीसी धारकों को शामिल करने को भी याचिका में आधार बनाया गया है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कलीम अहमद खान ने बताया कि आरटीई कानून कहता है कि बच्चों को उच्चस्तरीय और गुणवत्ता युक्त शिक्षा से वंचित नहीं किया जा सकता है, लेकिन रीट लेवल फर्स्ट में बीएड धारकों व उच्च योग्यता वालों को शामिल नहीं करना संविधान के प्रावधानों के अनुसार गलत है.