इस्माइल मोहम्मद खत्री अजरख ब्लॉक प्रिंटिंग के मास्टर हैं.
गुजरात के अजरखपुर गांव के आर्कियोलॉजिस्ट डॉ. इस्माइल मोहम्मद खत्री अजरख ब्लॉक प्रिंटिंग की पारंपरिक कला को पुनर्जीवित करने के लिए प्रसिद्ध हो गए हैं. हालांकि अजरख प्रिंटिंग पाकिस्तान के सिंध प्रांत की संस्कृति का एक हिस्सा है, लेकिन इसकी जड़ें भारत के राजस्थान और गुजरात फैल हुई है.
सिंधु घाटी सभ्यता के समय से राजस्थान और गुजरात ये आर्ट फैली हुई थी. डॉ. खत्री इस शिल्प के एक मास्टर हैं और उन्होंने इसे संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है.
यहां देखें डॉ. इस्माइल मोहम्मद खत्री की कहानी
डॉ. इस्माइल मोहम्मद खत्री के प्रयासों पर किसी का ध्यान नहीं गया. क्योंकि उन्हें 2003 में यूके लीसेस्टर के द मोंटफोर्ट यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था. हस्तशिल्प में उनके योगदान के लिए यूनेस्को द्वारा उन्हें Seal of Excellence से नवाजा गया था. उनकी कहानी का 2020 में पीएम नरेंद्र मोदी ने मन की बात में उल्लेख किया था. डॉ. खत्री के काम ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने में मदद की है. वे भारत की सांस्कृतिक विरासत के एक मूल्यवान हिस्से को संरक्षित कर रहे हैं.
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