राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उद्देश्य व्यक्ति के पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करना है: आरएसएस

नागपुर में चल रही है आरएसएस की बैठक. (File Pic)
आरएसएस के अखिल भारतीय सह-प्रचारक सुनील अम्बेकर ने यह भी आरोप लगाया कि ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली ने देश में पहले से मौजूद शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया.
- News18Hindi
- Last Updated: January 7, 2021, 12:29 PM IST
नागपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के एक पदाधिकारी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 (National Education Policy 2020) का उद्देश्य व्यक्ति के पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करना है. आरएसएस के अखिल भारतीय सह-प्रचारक सुनील अम्बेकर ने यह भी आरोप लगाया कि ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली ने देश में पहले से मौजूद शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया.
उन्होंने यहां दो दिवसीय व्याख्यानमाला 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति उज्जवल भारत की ओर' में अपने संबोधन में यह कहा. उन्होंने कहा, ‘लोग सोचते हैं कि भारत में कोई शिक्षा प्रणाली नहीं थी और यह देश में अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई थी, जो कि गलत है.’
उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि भारत में दुनिया की सबसे पुरानी शिक्षा प्रणाली थी. उन्होंने एक ऐसी प्रणाली बनाई थी, जिसके द्वारा प्रतिपादित मूल्य कई पीढ़ियों के लिए समान थे. हमें इस उद्देश्य को समझने की आवश्यकता है. जब हम एनईपी-2020 के बारे में बात करते हैं, तो हमें यह सवाल करने की आवश्यकता होती है कि हमें इस शिक्षा नीति की आवश्यकता क्यों है और हम इसके माध्यम से क्या बना रहे हैं.’
सुनील अम्बेकर ने कहा, 'आपकी शिक्षा प्रणाली इस बात पर निर्भर करेगी कि आप सामाजिक जीवन और मानव के बारे में कैसे सोचते हैं ... हमें यह जानने की आवश्यकता है कि नई शैक्षिक नीति के आने से पहले शिक्षा प्रणाली कैसी थी और यह वर्षों पहले कैसे थी.'
उन्होंने यहां दो दिवसीय व्याख्यानमाला 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति उज्जवल भारत की ओर' में अपने संबोधन में यह कहा. उन्होंने कहा, ‘लोग सोचते हैं कि भारत में कोई शिक्षा प्रणाली नहीं थी और यह देश में अंग्रेजों द्वारा शुरू की गई थी, जो कि गलत है.’
उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि भारत में दुनिया की सबसे पुरानी शिक्षा प्रणाली थी. उन्होंने एक ऐसी प्रणाली बनाई थी, जिसके द्वारा प्रतिपादित मूल्य कई पीढ़ियों के लिए समान थे. हमें इस उद्देश्य को समझने की आवश्यकता है. जब हम एनईपी-2020 के बारे में बात करते हैं, तो हमें यह सवाल करने की आवश्यकता होती है कि हमें इस शिक्षा नीति की आवश्यकता क्यों है और हम इसके माध्यम से क्या बना रहे हैं.’