1962 के युद्ध ने वैश्विक मंचों पर भारत की स्थिति को काफी नुकसान पहुंचाया: एस. जयशंकर
भाषा Updated: November 15, 2019, 3:06 AM IST

विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान से निपटने के लिए निरंतर उस पर दबाव बनाए रखना बहुत जरूरी है, उसने ‘आतंक का उद्योग’ खड़ा कर लिया है. (फाइल फोटो)
विदेश मंत्री एस. जयशंकर (Foreign Minister S. Jaishankar) ने आतंकवाद (Terrorism) से निपटने में भारत (India) के नए रुख को रेखांकित करते हुए मुम्बई आतंकवादी हमले (Mumbai Terrorist Attack) पर प्रतिक्रिया की कमी की तुलना, उरी (Uri) और पुलवामा (Pulwama) हमलों के बाद की गई देश की कार्रवाई से की.
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- Last Updated: November 15, 2019, 3:06 AM IST
नई दिल्ली. विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) ने गुरुवार को कहा कि अतीत में पाकिस्तान (Pakistan) से निपटने के तौर-तरीकों से कई प्रश्न खड़े होते हैं तथा 1972 के शिमला समझौते (Shimla Agreement) के फलस्वरूप पाकिस्तान (Pakistan) प्रतिशोध की भावना में डूब गया और जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में दिक्कतें होने लगीं. जयशंकर ने पाकिस्तान से निपटने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘साहसिक कदमों’ की सराहना की. उन्होंने कहा कि वैश्विक मंचों पर भारत की स्थिति लगभग तय थी लेकिन चीन के साथ 1962 के युद्ध ने उसे काफी नुकसान पहुंचाया.
मुम्बई हमले के बाद प्रतिक्रिया नहीं जताने जैसी घटनाओं का किया जिक्र
जयशंकर ने यहां चौथे ‘रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान’ देते हुए एक ऐसी विदेश नीति की वकालत की जो यथास्थितिवादी नहीं बल्कि बदलाव की सराहना करती हो और उन्होंने इस संदर्भ में 1962 में चीन के साथ लड़ाई, शिमला समझौते, मुम्बई हमले के बाद प्रतिक्रिया नहीं जताने जैसी भारतीय इतिहास की अहम घटनाओं का जिक्र किया और उसकी तुलना में 2014 के बाद भारत के अधिक गतिशील रूख को पेश किया.
खराब समझौते से बेहतर है कोई समझौता नहीं होनाएस. जयशंकर ने कहा, ‘अगर (आज) दुनिया बदल गई है तो हमें उसी के अनुसार, सोचने, बात करने और सम्पर्क बनाने की जरूरत है. पीछे हटने से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है.’ उन्होंने साथ ही कहा कि राष्ट्रीय हितों का उद्देश्यपूर्ण अनुसरण वैश्विक गति को बदल रहा है. क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से भारत के अलग होने पर विदेश मंत्री ने कहा कि खराब समझौते से कोई समझौता नहीं होना बेहतर है.
रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने भू राजनीतिक मुद्दों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहा, ‘वर्षों से भारत की विश्व मंच पर स्थिति लगभग तय नजर आ रही थी लेकिन 1962 में चीन के साथ युद्ध ने उसे काफी नुकसान पहुंचाया.’ रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान का आयोजन इंडियन एक्सप्रेस समूह द्वारा किया गया.ये भी पढे़ं -
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खराब समझौते से बेहतर है कोई समझौता नहीं होनाएस. जयशंकर ने कहा, ‘अगर (आज) दुनिया बदल गई है तो हमें उसी के अनुसार, सोचने, बात करने और सम्पर्क बनाने की जरूरत है. पीछे हटने से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है.’ उन्होंने साथ ही कहा कि राष्ट्रीय हितों का उद्देश्यपूर्ण अनुसरण वैश्विक गति को बदल रहा है. क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से भारत के अलग होने पर विदेश मंत्री ने कहा कि खराब समझौते से कोई समझौता नहीं होना बेहतर है.
रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान में बोल रहे थे विदेश मंत्री
विदेश मंत्री ने भू राजनीतिक मुद्दों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तुत करते हुए कहा, ‘वर्षों से भारत की विश्व मंच पर स्थिति लगभग तय नजर आ रही थी लेकिन 1962 में चीन के साथ युद्ध ने उसे काफी नुकसान पहुंचाया.’ रामनाथ गोयनका स्मृति व्याख्यान का आयोजन इंडियन एक्सप्रेस समूह द्वारा किया गया.ये भी पढे़ं -
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First published: November 15, 2019, 2:19 AM IST