SC/ST Act संशोधन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को भेजा नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च, 2018 में दिए अपने फैसले में कहा था कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है.
News18Hindi
Updated: September 7, 2018, 12:48 PM IST
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सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में संसद द्वारा किए गए संशोधन पर रोक लगाने से इनकार किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना केंद्र सरकार का पक्ष सुने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती. हालांकि कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पर सहमति जताई है.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को SC/ST Act मामले में हुए बदलाव के बारे में नोटिस भेजकर छह हफ्ते में जवाब मांगा है. बता दें कि SC में संसद द्वारा किए गए बदलाव के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च, 2018 में दिए अपने फैसले में कहा था कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है. इसके अलावा जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, उनकी गिरफ्तारी जांच के बाद SSP की इजाजत से हो सकेगी.
बेगुनाह लोगों को बचाने के लिए कोई भी शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा. कोर्ट के इस आदेश और नई गाइडलाइंस के बाद से इस समुदाय के लोगों का कहना है कि ऐसा होने के बाद उन पर अत्याचार बढ़ जायेगा. कुछ लोगों ने इसे संसदीय कार्यों में कोर्ट का हस्तक्षेप भी बताया था.सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कई दलित संगठनों ने मिलकर 2 अप्रैल को भारत बंद किया था. इसके दौरान देश भर में कई जगह हिंसा भी हुई थी और करीब एक दर्जन लोगों की जान चली गई थी. साथ ही केंद्र सरकार का भी इस दौरान बहुत विरोध हुआ था. दलित संगठनों ने इस फैसले के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. और इसमें 9 अगस्त तक संशोधन न होने की स्थिति में दलितों ने फिर से आंदोलन करने की बात कही थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च, 2018 में दिए अपने फैसले में कहा था कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है. इसके अलावा जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं हैं, उनकी गिरफ्तारी जांच के बाद SSP की इजाजत से हो सकेगी.
बेगुनाह लोगों को बचाने के लिए कोई भी शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा. कोर्ट के इस आदेश और नई गाइडलाइंस के बाद से इस समुदाय के लोगों का कहना है कि ऐसा होने के बाद उन पर अत्याचार बढ़ जायेगा. कुछ लोगों ने इसे संसदीय कार्यों में कोर्ट का हस्तक्षेप भी बताया था.सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कई दलित संगठनों ने मिलकर 2 अप्रैल को भारत बंद किया था. इसके दौरान देश भर में कई जगह हिंसा भी हुई थी और करीब एक दर्जन लोगों की जान चली गई थी. साथ ही केंद्र सरकार का भी इस दौरान बहुत विरोध हुआ था. दलित संगठनों ने इस फैसले के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. और इसमें 9 अगस्त तक संशोधन न होने की स्थिति में दलितों ने फिर से आंदोलन करने की बात कही थी.
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