अंडमान के तट पर वैज्ञानिकों को मिला 'सुपरबग', एक और महामारी की बन सकता है वजह!

भारत में सुपरबग (फाइल फोटो)
भारत पहले से ही कोरोनावायरस (Coronavirus In India) से त्रस्त है. अब देश के सामने एक नया संकट आ सकता है. कोरोना के बाद एक और भयानक सुपरबग (Superbug In India) पाया गया है.
- News18Hindi
- Last Updated: March 19, 2021, 7:32 AM IST
नई दिल्ली. भारत पहले से ही कोरोनावायरस (Coronavirus In India) से त्रस्त है. अब देश के सामने एक नया संकट आ सकता है. कोरोनावायरस के बाद, एक और भयानक सुपरबग (Superbug In India) पाया गया है. वैज्ञानिकों ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर यह सुपरबग पाया है. यह सुपरबग घातक है और इस पर किसी दवा का कोई असर नहीं है.
इस सुपरबग का नाम कैंडिडा ऑरिस है. सुपरबग को साल 2009 में जापान के एक मरीज में पाया गया था. यह फिर दुनिया भर में फैल गया. बाल्टीमोर में जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के वैज्ञानिकों ने सुपरबग की खोज की. जिसमें भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल हैं.
कैंडिडा ऑरिस के सैंपल्स किये इकट्ठा
India Today की रिपोर्ट के अनुसार एक अध्ययन के आधार पर, दिल्ली विश्वविद्यालय के मेडिकल माइकोलॉजिस्ट डॉ. अनुराधा चौधरी और उनकी टीम ने अंडमान द्वीप समूह और भारत-म्यांमार द्वीप के पास के द्वीपों पर आठ अलग-अलग स्थानों पर मिट्टी और पानी का निरीक्षण किया. टीम ने नमक वाले वेटलैंड्स (जहां लोग नहीं जाते) और आम तटों पर कैंडिडा ऑरिस के सैंपल्स इकट्ठा किये.सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, कैंडिडा ओरिस गंभीर रक्त जनित संक्रमण का कारण बन सकता है. इसका इलाज मुश्किल है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस पर किसी भी एंटिफंगल दवा का असर नहीं होता. कोरोना की तरह, यह लंबे समय तक एक ही स्थान पर रह सकता है.
माना जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान में वृद्धि हुई और ऐसे में यह सुपरबग इंसानी शरीर में प्रवेश करने की क्षमता हासिल कर चुका है. यह उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में दिखाई देता है. यह सुपरबग मानव शरीर में भी जीवित रहता है.

यह सुपरबग पहले भी कई स्थानों पर पाया गया था और चूहों पर टीका लगाया गया था. यह प्रयोग सफल रहा. लेकिन वैक्सीन का अभी तक मनुष्यों में परीक्षण नहीं किया गया है. इस बीच, यदि यह सुपरबग फैलता है तो यह भयानक रूप ले सकता है. ऐसे में वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस पर एक दवा बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए.
इस सुपरबग का नाम कैंडिडा ऑरिस है. सुपरबग को साल 2009 में जापान के एक मरीज में पाया गया था. यह फिर दुनिया भर में फैल गया. बाल्टीमोर में जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के वैज्ञानिकों ने सुपरबग की खोज की. जिसमें भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल हैं.
कैंडिडा ऑरिस के सैंपल्स किये इकट्ठा
India Today की रिपोर्ट के अनुसार एक अध्ययन के आधार पर, दिल्ली विश्वविद्यालय के मेडिकल माइकोलॉजिस्ट डॉ. अनुराधा चौधरी और उनकी टीम ने अंडमान द्वीप समूह और भारत-म्यांमार द्वीप के पास के द्वीपों पर आठ अलग-अलग स्थानों पर मिट्टी और पानी का निरीक्षण किया. टीम ने नमक वाले वेटलैंड्स (जहां लोग नहीं जाते) और आम तटों पर कैंडिडा ऑरिस के सैंपल्स इकट्ठा किये.सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, कैंडिडा ओरिस गंभीर रक्त जनित संक्रमण का कारण बन सकता है. इसका इलाज मुश्किल है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस पर किसी भी एंटिफंगल दवा का असर नहीं होता. कोरोना की तरह, यह लंबे समय तक एक ही स्थान पर रह सकता है.
माना जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान में वृद्धि हुई और ऐसे में यह सुपरबग इंसानी शरीर में प्रवेश करने की क्षमता हासिल कर चुका है. यह उच्च तापमान वाले क्षेत्रों में दिखाई देता है. यह सुपरबग मानव शरीर में भी जीवित रहता है.
यह सुपरबग पहले भी कई स्थानों पर पाया गया था और चूहों पर टीका लगाया गया था. यह प्रयोग सफल रहा. लेकिन वैक्सीन का अभी तक मनुष्यों में परीक्षण नहीं किया गया है. इस बीच, यदि यह सुपरबग फैलता है तो यह भयानक रूप ले सकता है. ऐसे में वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस पर एक दवा बनाने का प्रयास किया जाना चाहिए.