सुरक्षाकर्मियों ने राज्यसभा सदस्य को लौटने पर किया मजबूर, जाने क्या है मामला

सुरक्षाकर्मियों ने राज्यसभा सदस्य को मुअलमावी की ओर जाने से रोका. (सांकेतिक तस्वीर)
असम के जो जातीय लोगों के एक समूह ‘थनग्राम इंडीजेनस पीपुल्स मूवमेंट’ (टीआईपीएम) द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे मिजोरम से राज्यसभा सदस्य के. वनलालवेना (K Vanlalvena) को सुरक्षाकर्मियों ने मुअलमावी की ओर जाने से रोक दिया. राज्यसभा सदस्य ने कहा है कि भारत के एक नागरिक और एक सांसद के तौर पर मुझे देश में किसी भी स्थान पर जाने और किसी कार्यक्रम में शामिल होने का अधिकार है. सुरक्षाकर्मियों से इस बारे में प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी.
- News18Hindi
- Last Updated: February 26, 2021, 10:27 AM IST
आइजोल. मिजोरम (Mizoram) से राज्यसभा सदस्य के. वनलालवेना (K Vanlalvena) ने बृहस्पतिवार को कहा कि मिजोरम-असम सीमा (Mizoram-Assam Border) पर सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें पड़ोसी राज्य के करीमगंज जिले के मुअलमावी (बरुआतिला) क्षेत्र में एक समारोह में भाग लेने जाने से रोक दिया. सांसद को मिजोरम सीमा के पास रहने वाले असम के जो जातीय लोगों के एक समूह ‘थनग्राम इंडीजेनस पीपुल्स मूवमेंट’ (टीआईपीएम) द्वारा आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होना था.
वनलालवेना ने कहा कि उन्हें सुरक्षाकर्मियों और पुलिस ने उस जगह के पास रोक दिया जहां पिछले साल अगस्त में अंतरराज्यीय सीमा तनाव उत्पन्न हुआ था. वनलालवेना ने आरोप लगाया कि सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें जाने से रोकने के लिए कोई कारण नहीं बताया.
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वनलालवेना ने इस घटना पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘सुरक्षाकर्मियों और पुलिस ने मुझे मुअलमावी की ओर आगे बढ़ने से मना कर दिया. भारत के एक नागरिक और एक सांसद के तौर पर मुझे देश में किसी भी स्थान पर जाने और किसी कार्यक्रम में शामिल होने का अधिकार है.’’ सुरक्षाकर्मियों या पुलिस से उनकी टिप्पणियों के लिए संपर्क नहीं हो सका.
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सांस्कृतिक कार्यक्रम संगठन समिति के अध्यक्ष के. वी. चोरेई ने कहा कि उन्होंने 17 फरवरी को एक लिखित आवेदन के माध्यम से करीमगंज जिला प्रशासन से कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति मांगी थी. करीमगंज जिला प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था जिसके बारे में बुधवार रात एक आदेश द्वारा सूचित किया गया था. करीमगंज जिला प्रशासन ने अपने आदेश में कहा कि ‘‘सीमा विवाद और असम-मिजोरम अंतरराज्यीय सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति के कारण मुअलमावी (बरुआतिला) में थनग्राम सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.’’

केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल मिजोरम राइफल्स का हो गठन
बांग्लादेश और म्यामांर से लगने वाली मिजोरम की सीमा की सुरक्षा के लिए के वनलालवेना बार बार केंद्र सरकार से आग्रह करते रहे हैं. उन्होंने सेना में मिजो रेजिमेंट बनाने अथवा केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल मिजोरम राइफल्स का गठन करने की मांग भी की थी. उनका कहना था कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा तो मिलेगी ही, साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इस मुद्दे पर वे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुके हैं.
उन्होंने ने कहा था कि कि मिजोरम के लोगों ने भारत की आजादी और अंग्रेजों के शासन के विरोध करने में योगदान दिया है. दो मिजो प्रमुखों डोकुलहा शिनजाह और रोपुइलियानी का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि अंग्रेजों ने इन दोनों को लंबे समय तक कैद में रखा था. गौरतलब है कि मिजोरम देश का ऐसा राज्य है, जिसकी सीमाएं म्यामांर के साथ 404 किमी और बांग्लादेश के साथ 318 किमी तक फैली हुई हैं. इनमें म्यांमार के साथ वाली सीमा की सुरक्षा असम राइफल्स और बांग्लादेश के साथ वाले बार्डर की सुरक्षा बीएसएफ करती है.
वनलालवेना ने कहा कि उन्हें सुरक्षाकर्मियों और पुलिस ने उस जगह के पास रोक दिया जहां पिछले साल अगस्त में अंतरराज्यीय सीमा तनाव उत्पन्न हुआ था. वनलालवेना ने आरोप लगाया कि सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें जाने से रोकने के लिए कोई कारण नहीं बताया.
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सांस्कृतिक कार्यक्रम संगठन समिति के अध्यक्ष के. वी. चोरेई ने कहा कि उन्होंने 17 फरवरी को एक लिखित आवेदन के माध्यम से करीमगंज जिला प्रशासन से कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति मांगी थी. करीमगंज जिला प्रशासन ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था जिसके बारे में बुधवार रात एक आदेश द्वारा सूचित किया गया था. करीमगंज जिला प्रशासन ने अपने आदेश में कहा कि ‘‘सीमा विवाद और असम-मिजोरम अंतरराज्यीय सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति के कारण मुअलमावी (बरुआतिला) में थनग्राम सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.’’
केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल मिजोरम राइफल्स का हो गठन
बांग्लादेश और म्यामांर से लगने वाली मिजोरम की सीमा की सुरक्षा के लिए के वनलालवेना बार बार केंद्र सरकार से आग्रह करते रहे हैं. उन्होंने सेना में मिजो रेजिमेंट बनाने अथवा केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल मिजोरम राइफल्स का गठन करने की मांग भी की थी. उनका कहना था कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा तो मिलेगी ही, साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा. इस मुद्दे पर वे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुके हैं.
उन्होंने ने कहा था कि कि मिजोरम के लोगों ने भारत की आजादी और अंग्रेजों के शासन के विरोध करने में योगदान दिया है. दो मिजो प्रमुखों डोकुलहा शिनजाह और रोपुइलियानी का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि अंग्रेजों ने इन दोनों को लंबे समय तक कैद में रखा था. गौरतलब है कि मिजोरम देश का ऐसा राज्य है, जिसकी सीमाएं म्यामांर के साथ 404 किमी और बांग्लादेश के साथ 318 किमी तक फैली हुई हैं. इनमें म्यांमार के साथ वाली सीमा की सुरक्षा असम राइफल्स और बांग्लादेश के साथ वाले बार्डर की सुरक्षा बीएसएफ करती है.