HIV पॉजिटिव के यौन संबंध बनाने पर हत्या की कोशिश का मामला नहीं बनता: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के जस्टिस विभु बाखरू की बेंच ने फैसला सुनाते हुए नाबालिग सौतेली बेटी से रेप करने वाले एचआईवी पॉजिटिव शख्स को हत्या के प्रयास (Attempt to Murder) के आरोप से बरी कर दिया. हालांकि, हाईकोर्ट ने उसे रेप का दोषी करार दिए जाने के फैसले को बरकरार रखा.
- News18Hindi
- Last Updated: November 30, 2020, 10:11 AM IST
नई दिल्ली. किसी एचआईवी संक्रमित (HIV Positive) शख्स को अपने पार्टनर की सहमति या असहमति से फिजिकल रिलेशन (Sexual Intercourse) बनाने पर हत्या के प्रयास का दोषी नहीं माना जा सकता. दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले पर सुनाए गए फैसले में ये टिप्पणी की. दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपने फैसले में कहा, 'यौन हिंसा या दुष्कर्म के मामलों में अपराधी का एचआईवी पॉजिटिव होना सजा सुनाते समय माना जाने वाला एक महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन इसके चलते उसे आईपीसी की धारा-307 (हत्या का प्रयास) का दोषी नहीं ठहराया जा सकता.'
जस्टिस विभु बाखरू की बेंच ने फैसला सुनाते हुए नाबालिग सौतेली बेटी से रेप करने वाले एचआईवी पॉजिटिव शख्स को हत्या के प्रयास (Attempt to Murder) के आरोप से बरी कर दिया. हालांकि, हाईकोर्ट ने उसे रेप में दोषी करार दिए जाने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है.
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अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में भी ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि संक्रमण पीड़िता तक पहुंचा है. पुलिस ने भी इस मामले में धारा 307 नहीं लगाई थी, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने आरोप निर्धारित करते वक्त आरोपी पर धारा-307 लगाने का निर्देश दे दिया.
हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट ने बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाणों के यह माल लिया कि एचआईवी पॉजिटिव द्वारा यौन संबंध बनाने पर पीड़िता संक्रमण का शिकार हुई है, जिससे उसकी जान चली जाएगी. (PTI इनपुट)
जस्टिस विभु बाखरू की बेंच ने फैसला सुनाते हुए नाबालिग सौतेली बेटी से रेप करने वाले एचआईवी पॉजिटिव शख्स को हत्या के प्रयास (Attempt to Murder) के आरोप से बरी कर दिया. हालांकि, हाईकोर्ट ने उसे रेप में दोषी करार दिए जाने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है.
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अदालत ने कहा, 'यह तर्क ठोस है और इसे दोषपूर्ण नहीं कहा जा सकता. एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति द्वारा असुरक्षित यौन संबंध बनाने को लापरवाही वाला कृत्य कहा जा सकता है, क्योंकि उसे अपने रोग की प्रकृति के बारे में पता होता है. इसमें उसे पता होता है कि इससे संक्रमण फैलने की संभावना है और उसके पार्टनर का जीवन खतरे में पड़ सकता है.'
कोर्ट ने कहा कि ऐसे में शख्स को आईपीसी की धारा-270 (ऐसा कृत्य करना, जिससे जीवन के लिए घातक बीमारी के संक्रमण का खतरा) के तहत दोषी माना जा सकता है, लेकिन ये हत्या के प्रयास की धारा के तहत नहीं आता. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि अधिकतर देशों में इससे संबंधित अलग कानून नहीं है ऐसे मामलों का निपटारा पूर्व कानूनों का ही सहारा लिया जाता है.अदालत ने कहा कि मौजूदा मामले में भी ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि संक्रमण पीड़िता तक पहुंचा है. पुलिस ने भी इस मामले में धारा 307 नहीं लगाई थी, लेकिन ट्रायल कोर्ट ने आरोप निर्धारित करते वक्त आरोपी पर धारा-307 लगाने का निर्देश दे दिया.
हाईकोर्ट ने कहा है कि ट्रायल कोर्ट ने बिना किसी वैज्ञानिक प्रमाणों के यह माल लिया कि एचआईवी पॉजिटिव द्वारा यौन संबंध बनाने पर पीड़िता संक्रमण का शिकार हुई है, जिससे उसकी जान चली जाएगी. (PTI इनपुट)