सियाचिन में 19 हजार फीट की ऊंचाई पर हिमस्खलन, बर्फ में दबने से 4 जवानों समेत 6 की मौत

भारतीय सेना के 8 सैनिक हिमस्खलन में फंस गए हैं (सांकेतिक फोटो, Reuters)
सेना के अधिकारियों (Army Officers) ने बताया कि इस दुर्घटना में 4 जवान और 2 कुली शहीद हो गए. जिस इलाके में यह दुर्घटना (Accident) हुई, वह जगह 19,000 फीट या उससे ज्यादा ऊंचाई पर है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 19, 2019, 1:48 PM IST
नई दिल्ली. दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) में हुए एक हिमस्खलन (Avalanche) की जद में आने से सेना के 4 जवान शहीद हो गए. बर्फ में दबने से 2 नागरिकों की भी मौत हो गई. सेना के अधिकारियों (Army Officers) ने बताया कि जिस इलाके में यह दुर्घटना हुई, वह जगह 19,000 फीट या उससे ज्यादा ऊंचाई पर है.
यह दुर्घटना करीब 3.30 बजे की बताई जा रही है. भारतीय सेना ने बताया है कि 8 सदस्यों की पेट्रोलिंग टीम तूफान में फंसी थी. इन 8 लोगों में से 7 बुरी तरह से घायल थे, जिन्हें तुरंत ही मेडिकल दल के साथ हेलिकॉप्टर से पास के हॉस्पिटल में भेजा गया. लेकिन 6 लोगों की मौत हो गई. इन 6 लोगों में से 4 सैनिक और 2 कुली थे. इन सभी की मौत जबरदस्त हाइपोथर्मिया (Hypothermia) के चलते हुई. हाइपोथर्मिया (अल्पताप) शरीर की वह स्थिति होती है जिसमें तापमान, सामान्य से कम हो जाता है.
ऐसी ही एक घटना के बाद जवान हनुमंथप्पा ने भी खो दी थी अपनी जान
ऐसी ही एक हिमस्खलन की घटना 2016 में भी हुई थी. जिसमें भारतीय सेना के 10 जवान जिंदा दुनिया के सबसे ऊंचे लड़ाई के मैदान सियाचिन मेंं जिंदा दफन हो गए थे. इन्हीं जवानों में लांस नायक हनुमंथप्पा (Lance Naik Hanumanthappa) भी थे.
इन जवानों की काफी खोजबीन के बाद केवल हनुमंथप्पा को ही ढूंढ़ा जा सका था. हनुमंथप्पा को सियाचिन में हुए भूस्खलन के बाद 25 फिट गहरी बर्फ के नीचे निकाला गया था. उनकी हालत उस समय बहुत खराब थी. जहां से उन्हें आनन-फानन में दिल्ली के आरआऱ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन वह उसके बाद गहरे कोमा में चले गए और उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था.
हनुमंथप्पा को बचाने की डॉक्टरों की लाख कोशिशों और देश भर की दुआओं के भी हनुमंथप्पा बच नहीं सके थे. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हनुमंथप्पा को देखने अस्पताल गए थे और पूरा देश इस वीर सैनिक की सलामती की दुआ कर रहा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हनुमंथप्पा के निधन पर ट्वीट कर दुख भी जताया था.
यह भी पढ़ें: गुजरात के कई हिस्सों में भूकंप के झटके, रिक्टर स्केल 4.3 रही तीव्रता
यह दुर्घटना करीब 3.30 बजे की बताई जा रही है. भारतीय सेना ने बताया है कि 8 सदस्यों की पेट्रोलिंग टीम तूफान में फंसी थी. इन 8 लोगों में से 7 बुरी तरह से घायल थे, जिन्हें तुरंत ही मेडिकल दल के साथ हेलिकॉप्टर से पास के हॉस्पिटल में भेजा गया. लेकिन 6 लोगों की मौत हो गई. इन 6 लोगों में से 4 सैनिक और 2 कुली थे. इन सभी की मौत जबरदस्त हाइपोथर्मिया (Hypothermia) के चलते हुई. हाइपोथर्मिया (अल्पताप) शरीर की वह स्थिति होती है जिसमें तापमान, सामान्य से कम हो जाता है.
Indian Army: All 8 personnel were pulled out of avalanche debris. 7 individuals who were critically injured, accompanied by medical teams were evacuated by helicopters to nearest Military Hospital. 6 casualties; 4 soldiers&2 civilian porters, succumbed to extreme hypothermia. https://t.co/804CNyS720
— ANI (@ANI) November 18, 2019
ऐसी ही एक घटना के बाद जवान हनुमंथप्पा ने भी खो दी थी अपनी जान
ऐसी ही एक हिमस्खलन की घटना 2016 में भी हुई थी. जिसमें भारतीय सेना के 10 जवान जिंदा दुनिया के सबसे ऊंचे लड़ाई के मैदान सियाचिन मेंं जिंदा दफन हो गए थे. इन्हीं जवानों में लांस नायक हनुमंथप्पा (Lance Naik Hanumanthappa) भी थे.
इन जवानों की काफी खोजबीन के बाद केवल हनुमंथप्पा को ही ढूंढ़ा जा सका था. हनुमंथप्पा को सियाचिन में हुए भूस्खलन के बाद 25 फिट गहरी बर्फ के नीचे निकाला गया था. उनकी हालत उस समय बहुत खराब थी. जहां से उन्हें आनन-फानन में दिल्ली के आरआऱ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन वह उसके बाद गहरे कोमा में चले गए और उनके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था.
हनुमंथप्पा को बचाने की डॉक्टरों की लाख कोशिशों और देश भर की दुआओं के भी हनुमंथप्पा बच नहीं सके थे. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हनुमंथप्पा को देखने अस्पताल गए थे और पूरा देश इस वीर सैनिक की सलामती की दुआ कर रहा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हनुमंथप्पा के निधन पर ट्वीट कर दुख भी जताया था.
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