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देश में हुई मानसून की एंट्री, केरल में समय से 3 दिन पहले दी दस्तक, मौसम विभाग ने दिया अपडेट

आमतौर पर दक्षिण-पश्चिमी मानसून की देश में एंट्री 1 जून को होती है. (फाइल फोटो-AFP)

आमतौर पर दक्षिण-पश्चिमी मानसून की देश में एंट्री 1 जून को होती है. (फाइल फोटो-AFP)

Monsoon News: भारतीय मौसम विभाग ने रविवार को बताया कि आमतौर पर दक्षिण-पश्चिमी मानसून की देश में एंट्री 1 जून को होती है ...अधिक पढ़ें

नई दिल्ली. मानसून का इंतजार पूरा हो गया है. मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिणी-पश्चिमी मानसून ने देश में दस्तक दे दी है, रविवार को विभाग ने इसकी पुष्टि की. विभाग ने ट्वीट करके बताया कि आमतौर पर दक्षिण-पश्चिमी मानसून 1 जून को देश में आता है, लेकिन इस बार इसने 29 मई को ही दस्तक दे दी है. इस तरह से ये अपनी सामान्य तारीख से तीन दिन पहले ही केरल में आ चुका है.  आईएमडी ने एक पखवाड़े पहले बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवात असानी के आधार पर पूर्वानुमान लगाया था कि इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई तक केरल तट से टकरा सकता है. लेकिन इसके आने में दो दिन की देरी हुई. फिर भी ये आमतौर पर होने वाली मानसून की एंट्री से तीन दिन पहले आ गया है.

आईएमडी के वरिष्ठ वैज्ञानिक आरके जेनामणि ने बताया कि मानसून के लिए कर्नाटक, तमिलनाडु, बंगाल की खाड़ी और पूर्वोत्तर राज्यों के अधिक से अधिक हिस्सों को कवर करने के लिए स्थितियां अनुकूल हैं. उन्होंने बताया कि देश उत्तर-पश्चिम व मध्य भाग और दिल्ली में अगले 5 दिनों तक हीटवेव जैसी स्थिति नहीं होगी. बता दें कि किसानों से लेकर सरकार तक सभी को मानसून के आने का इंतजार रहता है. वजह ये है कि देश की लगभग 65 फीसदी खेती-बाड़ी मानसूनी बारिश पर निर्भर है. जहां सिंचाई के साधन हैं, वहां भी मानसूनी बारिश जरूरी है. पर्याप्त बारिश न होने से नदियों झीलों में भी पानी की कमी हो जाती है. इस बार देश में मानसून का इसलिए भी बेसब्री से इंतजार है, क्योंकि प्री-मानसून बारिश अनुमान से काफी कम हुई है.

देश के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में 66 फीसदी तक कम बारिश हुई, मध्य भारत में ये आंकड़ा 39 प्रतिशत का रहा. इस बार गर्मी ने भी समय से काफी पहले अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे. इसकी वजह से मार्च से ही लू शुरूआत हो गई थी. मार्च में इस बार इतनी गर्मी पड़ी कि 122 साल का रिकॉर्ड टूट गया. इतनी गर्मी की वजह से फसलों पर भी बुरा असर पड़ा है. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में बताया था कि इस बार भारत में गेहूं की फसल में 7 से 8 फीसदी तक की कमी होने की आशंका है. देश में गेहूं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए सरकार पहले ही इसके निर्यात पर बैन लगा चुकी है.

2018 के बाद ये पहला मौका है, जब देश में मानसून 29 मई को पहुंचा है. 2021 में मानसून की एंट्री काफी देरी से 3 जून को हुई थी. उससे पहले 2019 में तो मानसून 8 जून को आया था. हालांकि 2020 में मानसून राइट टाइम 1 जून को आ गया था. पिछले महीने आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में बताया था कि इस बार दक्षिण-पश्चिमी मानसून सामान्य रहने की उम्मीद है. विभाग के मुताबिक, मानसून इस बार दीर्घकाल के औसत का 99 प्रतिशत रह सकता है.

Tags: Imd, Monsoon

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