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कतर और कुवैत में धार्मिक स्वतंत्रता कैसी है, जहां लोगों के पास स्वतंत्रता नहीं, वे भारत की बात कर रहे हैं?

इस्लामिक शरियत के अनुशासन में रहना होता है.

इस्लामिक शरियत के अनुशासन में रहना होता है.

कतर, कुवैत और ईरान में आपको पॉलिटिकल फ्रीडम देखने को नहीं मिलता है. जनता की आवाज पॉलिसी मेकिंग में दबा दी जाती है. यहां ...अधिक पढ़ें

पैगंबर मोहम्मद पर बीजेपी नेताओं की विवादित टिप्पणी के बाद कतर और कुवैत ने भारतीय राजदूत को तलब किया. कतर के विदेश मंत्रालय ने भारतीय राजनयिक दीपक मित्तल को तलब किया और आधिकारिक ज्ञापन सौंपा. इसमें बीजेपी प्रवक्ता नुपूर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ दिए गए बयान की निंदा की गई है और निराशा व्यक्त की गई है. इसमें कहा गया है कि भारत सरकार इस बयान की आलोचना करे और माफी मांगे. इसके बाद बीजेपी ने नुपूर शर्मा पर कार्रवाई की है. लेकिन, जिस तरह से कतर और कुवैत इस मामले पर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं, उन देशों की स्थिति को भी देखते हैं.

विदेश मामलों के जानकार और विदेश नीति पर किताब लिख चुके वरिष्ठ पत्रकार रंजीत कुमार कहते हैं, कतर में कोई पॉलिटिकल फ्रीडम नहीं है. वहां इस्लामिक शरीयत के अनुशासन में रहना होता है. किंगडम का विरोध करने वाले को सजा सुना दी जाती है. पॉलिटिकल इंटरफेरेंस न के बराबर है. वहां किंगडम शेख लोग चलाते हैं. कैबिनेट में फैमिली के लोगों को ले लेते हैं. पूरी कैबिनेट शेख लोग अपनी फैमिली में बांट लेते हैं. कोई पीएम बन जाता है तो कोई मिनिस्टर. यहां तक कि अपने क्लोज फ्रैंड्स को ब्यूरोक्रेट्स बना देते हैं. कुल मिलाकर वहां किंगडम ही सर्वे-सर्वा है और उसमें डेमोक्रेसी नाम की कोई चीज नहीं है.

रंजीत कुमार का कहना है कि ईरान में डेमोक्रेसी है. लेकिन लोगों के पास वैसे अधिकार नहीं है. विपक्ष प्रदर्शन करना चाहता है तो उसे कुचल दिया जाता है. लोगों को इस्लामिक शरीयत के अनुसार रहना होता है. वहां के मौलवी ही डिसाइड करते हैं सब कुछ. हालांकि, वह यह भी कहते हैं कि भारत के कतर के साथ राजनयिक रिश्ते बहुत अच्छे रहे हैं. आर्थिक रिश्ते भी गहरे हैं. पिछले कुछ वर्षों में देखें तो ईरान के साथ भी रिश्ते बेहतर हुए हैं.

कुवैत में धार्मिक स्वतंत्रता को समझने के लिए दो उदाहरण
बिहार के सीतामढ़ी जिले के पुपरी के रहने वाले कुंदन कुमार कुवैत में बर्गर किंग में काम करते थे. उन्होंने अप्रैल 2020 में एक फेसबुक पोस्ट में इस्लाम धर्म और मुस्लिमों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी. इसके बाद बर्गर किंग कुवैत ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया. इसी तरह कुवैत विश्वविद्यालय में प्रोफेसर नंदकुमारन मोर्कथ को फेसबुक पर मुस्लिम विरोधी पोस्ट के कारण नौकरी से हाथ धोना पड़ा.

कुवैत में बड़ी संख्या में रहते हैं भारतीय
कुवैत सऊदी अरब के उत्तर में एक छोटा सा देश है. इसकी कुल आबादी 45 लाख के करीब है. लेकिन, आंकड़े बताते हैं कि यहां मूल कुवैतियों की जनसंख्या करीब 13.5 लाख के आसपास ही है. वहां मिस्र, फिलीपींस, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ-साथ भारतीयों की बड़ी आबादी रहती है.

इन सबको देखते हुए हाल ही में कुवैत में प्रवासियों के लिए कानून भी बनाए जाने की चर्चा है. अरब न्यूज के मुताबिक, वहां की नेशनल असेंबली ने प्रवासियों के लिए तैयार हो रहे एक बिल के प्रावधान को मंजूरी दी है. इसके बाद से वहां रह रहे भारतीयों के मन में चिंताएं हैं. इस बिल में कहा गया है कि कुवैत में रहने वाले भारतीयों की तादाद को देश की कुल आबादी का 15% तक सीमित किया जाना चाहिए. बता दें कि वहां करीब 10 लाख भारतीय रहते हैं. इस बिल में दूसरे मुल्कों से आकर कुवैत में रहने वाले लोगों की आबादी भी कम करने की बात कही गई है.

कतर पर लगते रहे हैं आरोप
साल 2017 में कतर पर इस्लामिक स्टेट और अल-कायदा को कथित तौर पर समर्थन देने का आरोप लगा था. इन आरोपों के बरक्स सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, यमन और लीबिया ने कतर से अपने राजनयिक संबंध तोड़ दिए थे. ऐसे में जिस देश पर इस तरह के गंभीर आरोप लगते रहे हैं, वह देश धार्मिक स्वतंत्रता की बात करे तो ताज्जुब होता ही है.

कतर में महिला-पुरुष अनुपात
कतर की आबादी 25 लाख है. लेकिन वहां महिलाओं की संख्या 7 लाख से भी कम है. इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि वहां प्रवासियों की संख्या ज्यादा है, जिसमें पुरुष बड़ी तादाद में पहुंचते हैं. वहां भारत और नेपाल से पहुंचने वाले प्रवासियों की संख्या 2003 के बाद तेजी से बढ़ी है. सीआईए की वर्ल्ड फैक्टबुक में कहा गया है कि कतर में मुस्लिम और ईसाई समुदाय के बाद हिंदू, तीसरी सबसे बड़ी आबादी है.

कतर में खान-पान
कतर में शराब पीना बैन है. वहां शराब पीने पर कोड़े से पीटने की सजा है. शराब पीना और बेचने के अलावा इसका उत्पादन, स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट पर भी प्रतिबंध है. कतर में बीफ भी खान-पान का हिस्सा है. जब खाड़ी देशों ने कतर के साथ हवाई और दूसरे परिवहन संपर्क बंद किए थे तो ईरान ने उसकी मदद की थी. उसने हर दिन 1100 टन भोजन भेजा था, जिसमें करीब 66 टन बीफ भी शामिल होता था.

कतर में भारतीय फिल्में
हाल ही में ‘सम्राट पृथ्वीराज चौहान’ पर बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की फिल्म आई है. यह हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान और मुहम्मद गोरी की कहानी पर फिल्माई गई है. इस फिल्म को कुवैत और ओमान में बैन कर दिया गया है. कतर ने भी इसे होल्ड पर रखा है.

Beast फिल्म का विरोध

इसके पहले दक्षिण भारतीय फिल्मों के स्टार विजय की फिल्म ‘बीस्ट’ (Beast) को भी कुवैत और कतर में बैन कर दिया गया था. वहां की सरकारें फिल्म में दिखाए गए आतंकवादी एंगल से खुश नहीं थी.
इसे बैन करते हुए कहा गया कि फिल्म में इस्लामिक आतंकवाद के सीन्स दिखाए गए हैं जो कुवैत के हितों के खिलाफ हैं. फिल्म में एक्टर विजय, विजयवीरा राघवन नाम के एक रॉ एजेंट की भूमिका में हैं. वहीं, डायरेक्टर नेल्सन दिलीप कुमार का कहना था कि फिल्म एक एक्शन थ्रिलर है और होस्टेज ड्रामा है. इतना ही नहीं इससे पहले दलकर सलमान की kurup और विष्णु विशाल की FIR को भी प्रतिबंधित कर दिया गया था.

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