नई दिल्ली. सरकार ने कोरोना मरीजों के लिए दवाइयों के इस्तेमाल को लेकर संशोधित गाइडलाइन जारी की है. नई गाइडलाइन में एंटीबायोटिक्स दवाइयां डॉक्सीसाइक्लिन (doxycycline) और एजिथ्रोमाइसिन (azithromycin) को लेने की सलाह नहीं दी गई है. लेकिन हकीकत यह है कि डॉक्टर हमेशा से एजिथ्रोमाइसिन लेने के सलाह धड़ल्ले से देते आ रहे हैं. कोरोना के मरीजों में सबसे ज्यादा इस दवाई का इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल, एजिथ्रोमाइसिन का व्यापक पैमाने पर छाती से संबंधित तकलीफों, निमोनिया, गले और नाक में संक्रमण, साइनस, स्किन इंफेक्शन, कान में इंफेक्शन जैसे कई परेशानियों में इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि एजिथ्रोमाइसिन एंटी-बैक्टीरियल दवा है लेकिन शुरुआतों अध्ययनों में कहा गया था कि इसमें कोविड-19 के खिलाफ लड़ने की संभावित क्षमता है. इसके बाद एजिथ्रोमाइसिन का इस्तेमाल धड़ल्ले से होने लगा. दूसरी ओर एजिथ्रोमाइसिन में स्टेरॉयड होता है जिसके कारण इससे कई तरह के साइड इफेक्ट भी होते हैं.
एजिथ्रोमाइसिन के साइड इफेक्ट
कुछ लोगों को एजिथ्रोमाइसिन रास नहीं आता है और इसके कई साइड इफेक्ट्स हैं. इससे एलर्जी हो सकता है. सबसे बुरी बात यह है कि एजिथ्रोमाइसिन लिवर और किडनी पर असर डालता है जिससे लिवर और किडनी में दिक्कतें आ सकती हैं. साथ ही यह हार्ट से संबंधित परेशानियों को भी बढ़ा देता है. इससे धड़कनें अनियमित हो सकती हैं. इस एंटीबायोटिक को लेने पर कभी-कभी डायरिया भी हो सकता है. एजिथ्रोमाइसिन में शुगर भी होता है जिसके कारण यह डायबिटीज का कारण भी बन सकता है. एजिथ्रोमाइसिन के इस्तेमाल से मसल्स कमजोर हो सकते हैं. यही कारण है नई गाइडलाइन में एजिथ्रोमाइसिन को लेने की सलाह नहीं दी गई है. सरकार ने डॉक्टरों को कोविड मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से हर हाल में बचने को कहा है. नई गाइडलाइन में एंटीबायोटिक्स दवाइयां डॉक्सीसाइक्लिन (doxycycline) और एजिथ्रोमाइसिन (azithromycin) को लेने की सलाह नहीं दी गई है.
स्टेरॉयड से सेकेंडरी इंफेक्शन का खतरा
नई गाइडलाइंस के मुताबिक अगर जरूरत से पहले किसी कोरोना मरीज में स्टेरॉयड्स वाली दवाइयां दी गई तो या जरूरत से ज्यादा डोज दी गई तो इससे म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस जैसे सेकेंडरी इन्फेक्शन का जोखिम बढ़ जाता है. नई गाइडलाइन में कोरोना के हल्के, मध्यम और गंभीर लक्षणों के लिए अलग-अलग दवाइयों की डोज़ की अनुशंसा की गई है. वहीं, यह भी कहा गया है कि अगर किसी को खांसी दो-तीन हफ्तों से ठीक नहीं हो रही है, तो उसे टीबी या ऐसी ही किसी दूसरी बीमारी के लिए टेस्ट कराना चाहिए. इसके साथ ही ये सलाह दी गई है कि जो रोगी ऑक्सीजन कृत्रिम तरीके से नहीं ले रहे हैं या घर में हैं, उन पर इस दवा का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
इन दवाइयों को कोरोना में न लें
नई गाइडलाइन में एजिथ्रोमाइसिन (azithromycin), आइवरमेक्टिन(ivermectin), फेवीपारिवर (favipiravir) और डॉक्सीसाइक्लिन (Doxycycline) को लेने से मना किया गया है. जब से कोरोना हुआ है, डॉक्टर धड़ल्ले से इन दवाइयों को मरीजों को लेने की सलाह दे रहे हैं. नई गाइडलाइन के मुताबिक फाइजर द्वारा हाल ही में विकसित एंटीवायरल टैबलेट मॉलनुपिराविर (Molnupiravir) और मोनोकॉलोनल एंटीबॉडिज (monoclonal antibodies) भी गाइडलाइन में शामिल नहीं किया गया है. नई गाइडलाइन में कहा गया है कि Tocilizumab भी तभी दिया जाना चाहिए जब बीमारी बहुत गंभीर हो जाए.
रेमडेसिवर का इस्तेमाल भी सोच समझकर करें
नई दिशा निर्देश में रेमडेसिवर का इस्तेमाल भी सोच समझकर करने की सलाह दी गई है. गाइडलाइन के मुताबिक रेमडेसिवर का इस्तेमाल की अनुमति इमरजेंसी की स्थिति में ‘ऑफ लेबल’ तहत दी गयी है. इसका उपयोग केवल उन्हीं रोगियों पर किया जा सकता है जिनको कोई भी लक्षण होने के 10 दिन के भीतर ‘रेनल’ या ‘हेप्टिक डिस्फंक्शन’ की शिकायत न हुई हो. इसमें आगाह किया गया है कि जो रोगी ऑक्सीजन कृत्रिम तरीके से नहीं ले रहे हैं या घर में हैं, उन पर इस दवा का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
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