2020 में पराली जलाने की घटनाओं में 20 फीसदी का इजाफाः वायु गुणवत्ता आयोग सदस्य

के. जे. रमेश ने कहा कि 2020 में 17 नवंबर तक पराली जलाने के 73 हजार मामले सामने आए हैं. फाइल फोटो
वायु गुणवत्ता प्रबंधन (Air quality Management) पर गठित आयोग के सदस्य के. जे. रमेश ने कहा कि दिल्ली की प्रदूषित हवा (Air Pollution) में पराली जलाने (Stubble Burning) की घटनाओं की बड़ी भूमिका है.
- News18Hindi
- Last Updated: November 28, 2020, 10:33 PM IST
नई दिल्ली. पराली जलाने (Stubble Burning) की घटनाओं में पिछले दो वर्षों की तुलना में इस साल 20 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और पड़ोसी क्षेत्रों की वायु गुणवत्ता प्रबंधन ((Air quality Management)) को लेकर गठित एक आयोग के सदस्य के जे रमेश ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
रमेश ने बताया कि ‘एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन द नेशनल कैपिटल रिजन एंड एड्ज्वाइनिंग एरियाज’ ने विभिन्न पक्षों से इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की है और उन्हें विश्वास है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अगले साल तक ‘सभी को स्वीकार योग्य और उपयुक्त समाधान’ निकाला जाएगा.
उन्होंने बताया कि 2018 में मध्य अक्टूबर से नवंबर के अंत तक पराली जलाने की 51,751 घटनाएं हुई थीं. यह आंकड़ा 2010-2018 के बीच सबसे ज्यादा था. हालांकि इसके एक साल बाद यह घटकर 50,738 रह गया.
उन्होंने बताया कि हालांकि इस साल 17 नवंबर तक यह संख्या 73,000 हो गई. रमेश भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक रह चुके हैं. उन्होंने ‘एयर पॉल्यूशन एक्शन ग्रुप’ के आंकड़ों का हवाला देते हुए यह जानकारी दी. रमेश एक वेबिनार में बोल रहे थे.
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने की दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के प्रदूषण में उल्लेखनीय भूमिका है.
रमेश ने बताया कि ‘एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इन द नेशनल कैपिटल रिजन एंड एड्ज्वाइनिंग एरियाज’ ने विभिन्न पक्षों से इस मुद्दे पर चर्चा शुरू की है और उन्हें विश्वास है कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अगले साल तक ‘सभी को स्वीकार योग्य और उपयुक्त समाधान’ निकाला जाएगा.
उन्होंने बताया कि 2018 में मध्य अक्टूबर से नवंबर के अंत तक पराली जलाने की 51,751 घटनाएं हुई थीं. यह आंकड़ा 2010-2018 के बीच सबसे ज्यादा था. हालांकि इसके एक साल बाद यह घटकर 50,738 रह गया.
उन्होंने बताया कि हालांकि इस साल 17 नवंबर तक यह संख्या 73,000 हो गई. रमेश भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक रह चुके हैं. उन्होंने ‘एयर पॉल्यूशन एक्शन ग्रुप’ के आंकड़ों का हवाला देते हुए यह जानकारी दी. रमेश एक वेबिनार में बोल रहे थे.
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान में अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाने की दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के प्रदूषण में उल्लेखनीय भूमिका है.