भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन के थर्ड फेज़ ट्रायल की रिपोर्ट DCGI को सौंप दी है. (प्रतीकात्मक)
नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस रोधी टीकाकरण (Vaccination In India) को लेकर जारी अभियान के बीच विषय विशेषज्ञ समिति (SEC) की आज बैठक होगी. समिति भारत बायोटेक की ओर से सौंपे गए कोवैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के डेटा का अध्ययन करेगी. गौरतलब है कि कोवैक्सीन के असर को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की बैठक से एक दिन पहले विशेषज्ञ समिति की बैठक होगी. मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को ही भारत बायोटेक ने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को रिपोर्ट सौंपी थी.
सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को कहा कि भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन के तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के आंकड़े ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) को सौंपे हैं. इस साल अप्रैल में भारत बायोटेक ने कहा था कि तीसरे चरण के अंतरिम विश्लेषण के अनुसार कोवैक्सीन ने COVID-19 के हल्के, मध्यम और गंभीर मामलों पर 78 प्रतिशत असर दिखा है.
Bharat Biotech की हुई आलोचना
वैक्सीन के तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण को जारी करने में देरी को लेकर वैक्सीन निर्माता की तीखी आलोचना हुई है. DCGI ने चरण 1 और 2 क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर जनवरी में भारत में प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग के लिए कोवैक्सीन को मंजूरी दी थी.
हाल ही में, एक शुरुआती अध्ययन में दावा किया गया था कि कोविशील्ड वैक्सीन, कोवैक्सीन की तुलना में अधिक एंटीबॉडी बनाती है. स्टडी के अनुसार दो डोज के बाद कोविशील्ड लगवाने वाले 98 प्रतिशत जबकि कोवैक्सीन की खुराक पाने वाले 80 फीसदी वाले लोगों में एंटीबॉडी बनी.
हालांकि, भारत बायोटेक ने स्टडी को लगभग खारिज करते हुए कहा कि इसमें 'बहुत सारी खामियां' हैं और इसे एडहॉक आधार पर किया गया था. कंपनी ने यह भी कहा था कि स्टडी को वैज्ञानिक रूप से डिजाइन नहीं किया गया था.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Covaxin Trial, Vaccination in India
2-3 पेन किलर लेकर ओपनर ने खेला वर्ल्ड कप मैच, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जमाया था शतक, फिर टूर्नामेंट से बाहर
बॉलीवुड की 6 फिल्में जो उड़ा देंगी होश! ट्विस्ट से भरपूर कहानियां, गलती से भी नहीं लगा पाएंगे एंडिंग का अंदाजा
हल्के से झुके क्यों होते हैं Window AC? जिनके घरों में दशकों से एसी, उन्हें भी नहीं इस बात का ज्ञान