Farmers Protest: कृषि कानून पर बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट की बनाई 4 सदस्यीय कमेटी में शामिल हैं ये लोग

सुप्रीम कोर्ट ने बनाई कमेटी. (File Pic)
Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे. किसान संगठनों से यह भी कहा कि यह राजनीति नहीं है.
- News18Hindi
- Last Updated: January 12, 2021, 2:49 PM IST
नई दिल्ली. केंद्र सरकार की ओर से लाए गए 3 कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसान पिछले एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन (Farmers Protest) कर रहे हैं. मंगलवार को इस आंदोलन से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों के लागू होने पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के क्रम में 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. इस कमेटी की जिम्मेदारी इन मुद्दों को सुलझाने की होगी.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई 4 सदस्यीय कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपेंद्र सिंह मान, किसानों के संगठन शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी और अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान के प्रमोद के जोशी शामिल हैं. ये सभी 4 सदस्य किसानों के मुद्दों को सुलझाने के उपायों पर काम करेंगे.
भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन (मान) के प्रधान हैं. कृषि कानूनों का विरोध कर रही किसान यूनियनों में यह भी शामिल है. वहीं अनिल घनवंत किसान संगठन शेतकारी संगठन के सदस्य हैं. अनिल घनवंत कृषि कानूनों की वापसी के पक्ष में नहीं रहे हैं. वह ये कह भी चुके हैं कि इन कानूनों को वापस लेने की कोई जरूरत नहीं है. इनके अलावा कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी भी कृषि कानूनों के समर्थन में रहे हैं. वह 1991 से लेकर 2001 तक प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार काउंसिल के सदस्य रहे हैं. वहीं प्रमोद के जोशी हाल ही में एक ट्वीट में कह चुके हैं कि हमें एमएसपी से परे, नई मूल्य नीति के बारे में सोचने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि कोई ताकत उसे नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती तथा उसे समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है. उसने किसानों के प्रदर्शन पर कहा, हम जनता के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं.
कोर्ट ने किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे. किसान संगठनों से यह भी कहा कि यह राजनीति नहीं है. राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा.

सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणयन की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए यहां तक संकेत दिया था कि अगर सरकार इन कानूनों का अमल स्थगित नहीं करती है तो वह उन पर रोक लगा सकती है.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई 4 सदस्यीय कमेटी में भारतीय किसान यूनियन के नेता भूपेंद्र सिंह मान, किसानों के संगठन शेतकारी संगठन के अनिल घनवंत, कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी और अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान के प्रमोद के जोशी शामिल हैं. ये सभी 4 सदस्य किसानों के मुद्दों को सुलझाने के उपायों पर काम करेंगे.
#FarmLaws: Supreme Court forms a committee to hold talks https://t.co/eIXr3WcNvA
— ANI (@ANI) January 12, 2021
भूपिंदर सिंह मान भारतीय किसान यूनियन (मान) के प्रधान हैं. कृषि कानूनों का विरोध कर रही किसान यूनियनों में यह भी शामिल है. वहीं अनिल घनवंत किसान संगठन शेतकारी संगठन के सदस्य हैं. अनिल घनवंत कृषि कानूनों की वापसी के पक्ष में नहीं रहे हैं. वह ये कह भी चुके हैं कि इन कानूनों को वापस लेने की कोई जरूरत नहीं है. इनके अलावा कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी भी कृषि कानूनों के समर्थन में रहे हैं. वह 1991 से लेकर 2001 तक प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार काउंसिल के सदस्य रहे हैं. वहीं प्रमोद के जोशी हाल ही में एक ट्वीट में कह चुके हैं कि हमें एमएसपी से परे, नई मूल्य नीति के बारे में सोचने की जरूरत है.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि कोई ताकत उसे नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती तथा उसे समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है. उसने किसानों के प्रदर्शन पर कहा, हम जनता के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं.
कोर्ट ने किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे. किसान संगठनों से यह भी कहा कि यह राजनीति नहीं है. राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा.
सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणयन की पीठ ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए यहां तक संकेत दिया था कि अगर सरकार इन कानूनों का अमल स्थगित नहीं करती है तो वह उन पर रोक लगा सकती है.