नई दिल्ली. देश के बहुचर्चित शीना बोरा मर्डर केस मामले में आरोपित इंद्राणी मुखर्जी की जमानत याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने बुधवार को इंद्राणी मुखर्जी को जमानत दे दी. शीर्ष अदालत ने जमानत देते हुए कहा कि वह छह साल से अधिक समय से हिरासत में हैं. इंद्राणी मुखर्जी ने दलील दी थी कि उनका मुकदमा 6 साल भी ज्यादा समय से चल रहा है. अभी इसके जल्द निपटने की कोई संभावना नहीं है. बता दें कि इंद्राणी मुखर्जी सीबीआई की विशेष अदालत की न्यायिक हिरासत में हैं. इंद्राणी मुखर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी. इंद्राणी मुखर्जी ने जनवरी में जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी.
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना की पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई जल्द पूरी होने की संभावना नहीं है. पीठ ने कहा, ‘‘ याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं कि उन्होंने अपनी बेटी के राहुल मुखर्जी के साथ प्रेम संबंध होने के कारण उसकी हत्या की साजिश रची। राहुल पीटर मुखर्जी और उनकी पूर्व पत्नी के बेटे हैं’’.
उसने कहा, ‘‘ हम याचिका के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं. अगर अभियोजन पक्ष 50 प्रतिशत गवाह भी पेश कर देता है, तो भी मुकदमा जल्द खत्म नहीं होगा. निचली अदालत के संतुष्ट होने पर उन्हें जमानत पर रिहा किया जाएगा. पीटर मुखर्जी पर लागू की गईं शर्तें उन पर भी लागू होंगी.’’
बता दें कि साल 2015 के अगस्त महीने में इंद्राणी मुखर्जी को शीना बोरा हत्याकांड मामले में गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद से इंद्राणी मुखर्जी को मुंबई की बायकुला महिला कारागार में बंद किया गया था. साल 2012 से सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है. इंद्राणी मुखर्जी, उनके पूर्व पति संजीव खन्ना और पीटर मुखर्जी ने 2012 में उनकी बेटी शीना बोरा की हत्या कर दी थी.
आरोपित पीटर मुखर्जी को साल 2020 में जमानत मिल गई थी. सीबीआई ने इंद्राणी मुखर्जी के जमानत का विरोध किया था. सीबीआई ने कहा था कि योजना बना कर अपनी ही बेटी की हत्या करने का जघन्य अपराध इंद्राणी ने किया है, जो नरमी दिखाने के काबिल नहीं है. बता दें कि शीना बोरा इंद्राणी मुखर्जी और उनके पहले पति की बेटी थी, जिसकी साल 2012 में 24 अप्रैल को गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी और उसके शव को जला दिया गया था. पूरा मामला साल 2015 में प्रकाश में आया था.
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